झाबुआ

यदि हम प्रतिमा में शिव को देखें और जीव में शिव को ना देखें तो हमारा मनुष्य जन्म निष्प्राण ही है- पुज्य मुनि चन्द्रयश विजय जी म.सा. । चारोलीपाडा में श्रीकृष्ण गोसेवा सदन गौशाला का मुनिराज ने किया शुभारंभ ।

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यदि हम प्रतिमा में शिव को देखें और जीव में शिव को ना देखें तो हमारा मनुष्य जन्म निष्प्राण ही है- पुज्य मुनि चन्द्रयश विजय जी म.सा. ।
चारोलीपाडा में श्रीकृष्ण गोसेवा सदन गौशाला का मुनिराज ने किया शुभारंभ ।


झाबुआ । गोपाष्टमी के पावन पर्व पर 21 नवंबर को देवझिरी स्थित श्रीकृष्ण गौसेवा सदन का दिव्य अंतरण परम पूज्य आचार्य श्री ऋषभचंद्रसूरी जी महाराज साहब के आज्ञानुवर्ती परम पूज्य मुनिराज श्री चंद्रयशविजय जी महाराज साहब एवं परम पूज्य मुनिराज जिनभद्र विजय जी महाराज साहब की पावन मिश्रा में चारोलीपाडा में संपन्न हुआ तथा देवझिरी स्थित गौशाला का गोपूजन एवं शुभारंभ पूजन आचार्य गणेशप्रसाद उपाध्याय के द्वारा यजमान कन्हैयालाल राठौर तथा प्रत्यय शाह की उपस्थिति में पूर्ण किया गया । गौशाला के संरक्षक प्रत्याशा सुरेश कांठी, दयाराम , पाटीदार कन्हैयालाल राठौड़ ने का स्वागत गहूली करके किया । सभी आगन्तुको ने गौशाला का भ्रमण कर सभी श्रद्धालुओं को चमत्कारी मांगलिक सुना कर व संक्षिप्त आशीर्वचन दिया ।
परम पूज्य मुनिराज जिनभद्र विजय जी महाराज साहब ने अपने उदबोधन में स्वयं को को भक्ति गुरु आचार्य श्रीऋषभचंद्र सूरिजी महाराज का शिष्य होकर गौ माता का वर्णन करते हुए वर्तमान युवाओं को आधार बनाकर उन्हें धर्म की ओर लौटने की शिक्षा दी । उन्होने कहा कि वर्तमान पीढ़ी जो आडंबर एवं पाश्चात्य संस्कृति में डूब कर न केवल अपने पतन का मार्ग निश्चित कर रही है, वरन आगे की पीढ़ी को क्या जवाब देंगे इस और उनका ध्यान आकर्षित करते हुए सेवा कार्य के लिए अनुरोध किया और अपनी वाणी को विराम दिया ।


परम पूज्य मुनिराज श्री चंद्रयशविजय जी महाराज साहब ने अपने उदबोधन को धर्म की जय घोष से आरंभ करते हुए कविवर नीरज की पंक्तियों को सुनाते हुए बताया कि अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जावे । अर्थात उन्होंने बताया कि भगवान को हमने नहीं देखा लेकिन गौमाता संसार में साक्षात भगवान की सुंदर संरचना है । गायमाता को भगवान का प्रतिरूप होना निरूपित करते हुए उनमें 33 कोटि देवता का वास होना बताया । उन्होंने सनातन धर्म एवं जैन धर्म की समानता का वर्णन करते हुए जैन धर्म को हिंदू संस्कृति का अंश होना बताया । आपने कहा की उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन दोनों का उद्देश्य या लक्ष्य केवल और केवल मोक्ष की प्राप्ति है । सनातन धर्म को जीवन की रक्षा का मूल मान गया है।  यदि जीवों की रक्षा हम नहीं कर पाए तो हमारा जीवन कष्टप्रद ही होगा । संसार में भगवान ने समस्त जीवों की रक्षा का भार मनुष्य को सौपा है, लेकिन मनुष्य उन्मुख पक्षियों, पशुओं का भक्षण करना, करने लगा है जो उचित नहीं है । उन्होंने गौमाता की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रत्येक जीव ही शिव है । यदि हम प्रतिमा में शिव को देखें और जीव में शिव को ना देखें तो हमारा मनुष्य जन्म निष्प्राण ही है । हम वृक्ष की पत्तियां फूल और फल को तोड़ लें तो वह फिर आ जाएंगे, लेकिन यदि वृक्ष की जड़ ही काट देंगे तो दोबारा हमें फल फूल और पत्तियां प्राप्त नहीं होगी । वर्तमान में सारा समाज जड़ काटने में ही लगा हुआ है जिसके कारण वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है । आज विदेश में भूकंप क्यों आ रहे हैं इसका कारण है, जीवों का विनाश मुख्य जीवन को निर्दयता से मार देना पाप है। उनकी चित्कार एवं खून से सृष्टि भरी पड़ी है, उनकी चित्कार के कारण ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। जिसके परिणाम हमें नजर आने लगे हैं । गौमाता हमें न केवल दूध देती है वरन् उनके शरीर का हर भाग काम में आता है । गौ माता की मृत्यु उपरांत भी उसके शरीर के कई अंग का उपयोग होता है तथा समाज के कई वर्ग उनके अंगों से विविध सामग्री बनाकर अपना जीवन का उपार्जन करते हैं। अतः युवा पीढ़ी से आग्रह करता करूंगा कि प्रत्येक सनातनी एवं जैन परिवार एक गाय के रखरखाव का जीवन पर्यंत उत्तरदायित्व ले लेता है तो गौ हत्या स्वयं समाप्त हो जावेगी।

उनके उद्गार से प्रभावित होकर 13 गोभक्तों ने गौशाला में उपलब्ध 13 गायों के संरक्षण का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लिया। पूज्य मुनिवर ने गौशाला में पानी के लिए एक बोरिंग स्वयं के द्वारा किए जाने की भी घोषणा की तथा कार्यक्रम को मागंलिक सुना कर विराम दियाफ।
कार्यक्रम के दौरान नगर के कई गोभक्त हरीश शाह, रितेश शाह, कन्हैयालाल राठौर दयानंद पाटीदार, छोगाभाई मालवी, रमेश मालवी, महेश कोठारी, सुरेश , कोठारी, किशोर बोरसे, विमल , वर्मा इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राधेश्याम परमार ने किया और कार्यक्रम के समापन पर गुरुदेव ने पूर्ण गौशाला का भ्रमण कर सभी भक्तों को गौसेवा के उद्देश्य के सफल होने का आशीर्वाद दिया ।
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