* श्री चंद्रशेखर आज़ाद बालक छात्रावास झाबुआ ने आज टंट्या मामा बलिदान दिवस विद्यार्थियों द्वारा व युवा कार्यकर्ताओ द्वारा मनाया गया। साथ ही सर्वप्रथम प्रतिमा के आसपास साफ सफाई कर ।माल्यार्पण किया गया और वनवासी कल्याण परिषद के छात्रावास अध्यक्ष द्वारा टंट्या मामाजी का जीवन परिचय पर प्रकाश डाला, टंट्या भील 1878 ओर 1889 के बीच भारत में सक्रिय एक आदिवासी जननायक थे । भारतीय रॉबिन हुड के रूप में प्रख्यात है टंट्या भील समुदाय के सदस्य थे,1874के आसपास खराब आजीविका के लिए गिरफ्तार किया गया एवं एक वर्ष की सजा काटने के बाद उनके जुर्म को चोरी और अपहरण के गंभीर अपराध में बदल दियागया 1878 में दूसरी बार उन्हें हाजिर नसरुल्लाखान सुफजई द्वारा गिरफ्तार किया गया था मात्र तीन दिनों बाद वे खंडवा जेल से भाग गए और एक विद्रोही के रूप शेष जीवन व्यतीत किया इंदौर की सेना एक अधिकारी ने टंट्या मामा को क्षमा करने का वादा किया था लेकिन घात लगाकर उन्हें जबलपुर ले जाया गया जहां उनपर मुकदमा चलाया गया और 4 दिसंबर 1889 को फांसी दी गई। उपस्थित युवा प्रमुख अल्केश मेड़ा, सुनील कामलिया,मनोज अरोरा, महेश जी मुजाल्दे ,नानसिंह बामनिया, अशोक त्रिवेदी, रेलेस सिंगार,विद्यार्थियों उपस्थित थे