RATLAM

मजदूर परिवार में पला, बराक ओबामा को देख 10 साल तक राजनीतिक संघर्ष, आज सबसे ज्यादा वोटों से जीता झोपड़ी से निकला ये विधायक

Published

on

मजदूर परिवार में पला, बराक ओबामा को देख 10 साल तक राजनीतिक संघर्ष, आज सबसे ज्यादा वोटों से जीता झोपड़ी से निकला ये विधायक

कमलेश्वर की जीत से बेखबर था परिवार। मां तो मजदूरी पर गईं थीं। कमलेश्वर यह कहते हुए भावुक हो गए कि जिस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया, आज उसी जगह अपनी विधायकी का प्रमाण पत्र लिया। जरूर पढ़ें सैलाना से नए विधायक बने कमलेश्वर डोडियार की ये मोटिवेशनल स्टोरी…

रहने को झोपड़ी…बारिश में उस पर तिरपाल डालकर पानी से बचने की जुगत…मतगणना के दौरान जैसे-जैसे अंतर बढ़ता रहा आसपास के लोग बेटे को जीत की बधाई देते रहे, पर मां सीताबाई मजदूरी में व्यस्त रहीं। यह घर है रतलाम जिले के सैलाना के नए विधायक का। 33 साल के कमलेश्वर डोडियार ने भारत आदिवासी पार्टी से इस सीट पर जीत का परचम फहराकर सभी को चौंकाया है। डोडियार ने 4618 मतों से जीत हासिल की है। मजदूर परिवार में पले-बढ़े झोपड़ी से निकले डोडियार ने ग्रेजुएशन के बाद 4 साल तक राजस्थान के कोटा में मजदूरी की। बचपन से लेकर अब तक गरीबी को नजदीक से देखा। उनके पिता ओंकारमल के दोनों हाथों में फ्रैक्चर है। झोपड़ी पर तिरपाल लगाते समय गिरने से एक हाथ जख्मी हुआ तो दूसरा हाथ छह माह पूर्व हुई एक दुर्घटना में।

छह भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटे

लूणी ग्राम पंचायत में राधा कुआं गांव निवासी कमलेश्वर छह भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटे हैं। करीब ढाई सौ की आबादी वाले इस गांव में छितरी हुई बस्ती है, यानी अधिकांश झोपड़ीनुमा मकान अलग-अलग दूरी पर हैं। कमलेश्वर मजदूरी करते थे, लेकिन अमरीका के बराक ओबामा से प्रेरित होकर राजनीति में आने का मानस बनाया। डोडियार कहते हैं कि बीते दस साल से राजनीतिक रूप से स्वयं का धरातल मजबूत करने में जुटे रहे।

दिल्ली से एलएलबी किया

डोडियार के माता-पिता ने मजदूरी कर अपने परिवार का लालन-पालन किया। अभी भी मां मजदूरी पर जाती है। आठवीं तक गांव में चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की। बाद में पढ़ने के लिए रतलाम आए और अंग्रेजी साहित्य विषय के साथ ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के दौरान इस तरह टिफिन बांटते थे। डोडियार यह कहते हुए भावुक हो गए कि जिस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया, आज उसी जगह अपनी विधायकी का प्रमाण पत्र लिया। ग्रेजुएशन के बाद मजदूरी के लिए राजस्थान के कोटा गए। बाद में पढ़ाई का मन हुआ और एलएलबी के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। रहने-खाने के लिए आर्थिक परेशानी भी आड़े आई। अनुत्तीर्ण हो गए तो घर लौटे और मजदूरी शुरू की। रुपए जुटाकर फिर दिल्ली गए और एलएलबी पूरी की।

गांव में कई समस्याएं हैं

बकौल डोडियार गरीबी और अभाव की जिन्दगी को करीब से देखा है। चुनाव प्रचार के दौरान कई गांवों में देखा कि पीने का पानी तक नहीं है। आदिवासी समाज के उत्थान के लिए तमाम योजनाओं के बावजूद विकास नहीं हो रहा है। अब ऐसे वंचित लोगों के साथ ही सर्वसमाज के हित में कार्य करेंगे।

कहने, सुनने और देखने में तो यह असम्भव सा लग रहा है लेकिन कमलेश्वर ने 12 लाख का कर्ज लेकर चुनाव लड़ा। उन्हाेंने कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत को 4618 वोट से मात दी। कमलेश्वर को 71,219 वोट मिले और हर्ष विजय को 66,601 वोट। भाजपा की संगीता चारेल तीसरे स्थान पर रहीं। इस सीट पर प्रदेश का सबसे अधिक मतदान (90.08%) हुआ था। यह वोट कमलेश्वर के लिए था।(दैनिक पत्रिका से साभार)

Trending