झाबुआ 13 दिसम्बर, 2023। प्रधान मंत्री द्वारा अपने हाथों और उपकरणों से काम करने वाले पारम्परिक शिल्पकारों और कारीगरों को शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना प्रारम्भ की गई थी।
इस योजना के लिए 13,000 करोड़ के बजट का प्रावधान निर्धारित किया गया है। जिसमें 18 व्यवसायों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को शामिल किया गया है। बढ़ई (सुथार/बधाई), नाव निर्माता, कवच बनाने वाला, लोहार (लोहार), हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार (सोनार), कुम्हार (कुम्हार), मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला, मोची (चर्मकार) / जूता कारीगर/फुटवियर कारीगर, राजमिस्त्री (राजमिस्त्री), टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई (नाई), माला निर्माता (मालाकार), धोबी (धोबी), दर्जी (दारजी) और मछली पकड़ने का जाल निर्माता को लाभ प्रदान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ हाथ और औज़ारों से काम करने वाला और योजना में उल्लिखित 18 परिवार-आधारित पारंपरिक व्यवसायों में से एक में असंगठित क्षेत्र में स्व-रोज़गार से जुड़ा हुआ एक कारीगर या शिल्पकार आधार पर, पीएम विश्वकर्मा के तहत पंजीकरण के लिए पात्र होंगे। पंजीकरण की तिथि पर लाभार्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। लाभार्थी को पंजीकरण की तिथि पर संबंधित व्यापार में संलग्न होना चाहिए और स्व-रोजगार/व्यवसाय विकास के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार की समान क्रेडिट-आधारित योजनाओं के तहत पिछले 5 वर्षों में ऋण नहीं लिया हो, जैसे पीएमईजीपी, पीएम स्वनिधि, मुद्रा। योजना के तहत पंजीकरण और लाभ परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित रहेगा। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए, एक परिवार को पति, पत्नी और अविवाहित बच्चे से मिलकर परिभाषित किया गया है। सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे।
शिल्पकार और कारीगरों को प्रमाणपत्र और आईडीकार्ड के जरिए पहचान प्राप्त होगी। पहले चरण में 1 लाख रु तक की और दूसरे चरण में 2 लाख रु तक की सहायता महज 5% की ब्याज दर पर सहायता प्रदान की जाएगी, योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण, टूलकिट लाभ, डिजिटल लेनदेन के लिए इंसेंटिव और मार्केटिंग सपोर्ट आदि का लाभ प्राप्त होगा।