अलीराजपुर – कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डाॅ. अभय अरविंद बेडेकर ने जिले में ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 एवं म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 का सख्ती से पालन कराये जाने हेतु निम्नानुसार प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 यथा संशोधित के नियम 3(1) व 4(1) के अनुसार नियमावली के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहायसी व शांत क्षेत्र में दिन व रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई हैै, जिसके तहत औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 डेसीबल एवं रात्रि में 70 डेसीबल, वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन में 65 एवं रात्रि में 55 डेसीबल, रिहायशी क्षेत्र में दिन में 55 एवं रात्रि में 45 डेसीबल तथा साइलेंट जोन में दिन में 50 एवं रात्रि में 40 डेसीबल से अधिक ध्वनि की तीव्रता निर्धारित की गई है। उक्त सीमा से अधिक ध्वनि तीव्रता प्रतिबंधित की गई है। वाहन पर ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग की स्थिति वाहन में वाहन का पंजीयन, वैद्य ड्रायविंग लायसेंस, बीमा, फिटनेस आदि दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। यदि चलित वाहनों में लाउड स्पीकर का प्रयोग किया जाता है तो उपयोग में लाए जाने वाले मार्ग अथवा क्षेत्र का विवरण प्रस्तुत करना भी आवश्यक होगा। शासकीय विश्राम गृह, न्यायालय, चिकित्सालय, कलेक्ट्रेट, जेल, विद्यालय, शासकीय कार्यालय, पुलिस थाना, बैंक, दूरसंचार विभाग आदि से 200 मीटर की परिधि में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के प्रयोग की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 में ध्वनि के संबंध में निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि का प्रदूषण नहीं करेगा। समस्त संबंधित सार्वजनिक, धार्मिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग के संबंध में निहित नियमों का पालन करवाया जाए। ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग की अनुमति दिये जाने हेतु समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी, कार्यपालिक दंडाधिकारी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में सक्षम होंगे। ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग हेतु दी गई अनुमति में भारत सरकार द्वारा निर्धारित परिवेशी वायु क्वालिटी मानक का स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(2) के अन्तर्गत एक पक्षीय रूप से पारित किया जाता है। आदेश से व्यथित व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(5) के अन्तर्गत अधोहस्ताक्षरकर्ता के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। अत्यंत विशेष परिस्थितियों में अधोहस्ताक्षरकर्ता संतुष्ट होने पर आवेदक को किसी भी लागू प्रतिबंध से छूट दे सकेगा। यदि कोई व्यक्ति उपर्युक्त प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करेगा तो भारतीय दण्ड संहिता एवं म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम,1985 के प्रावधानों के तहत अभियोजित किया जाएगा ।