मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल के सदस्यों को भोपाल से लेकर दिल्ली तक चले लंबे विचार मंथन के बाद विभागों का बंटवारा हो गया है। लेकिन अब सभी की नजरें मंत्रियों के जिलों के प्रभार पर टिकी हुई हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों को किस जिले का प्रभार सौंपना है, इसके लिए हाईकमान ने सीएम को हरी झंडी दे दी है। सीएम की पहली कैबिनेट के बाद इनकी घोषणा हो सकती है। सीएम और दोनों डिप्टी सीएम सहित 31 मंत्रियों के बीच प्रदेश के सभी 55 जिलों के प्रभारी निर्धारित होंगे। इनमें खासतौर पर आदिवासी बहुल जिलों को लेकर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मंत्रिमंडल में शामिल आदिवासी क्षेत्रों के नेताओं को उन्हीं जिलों की कमान सौंपने की तैयारी है।
सूत्रों का कहना कि लोकसभा चुनाव में अभी बहुत ही समय बचा हुआ है। इसलिए चुनाव के मद्देनजर मोहन कैबिनेट के मंत्रियों को जिलों का प्रभारी मंत्री बनाया जाएगा। खासतौर पर ऐसे जिले, जहां विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा के चुनाव नतीजों के हिसाब से आधा दर्जन संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सत्ताधारी दल से ज्यादा था। इसलिए सत्ता और संगठन के बड़े नेता अभी से सतर्क हो गए हैं।
जबलपुर कैबिनेट के बाद होगा फैसलामुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने 13 दिसंबर को शपथ ली थी। इसके 12 दिन बाद 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल के 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसके ही अगले दिन 26 दिसंबर को मोहन कैबिनेट की पहली बैठक बुलाई गई। 30 दिसंबर को विभागों का वितरण किया गया। विभाग के वितरण के बाद अब 3 जनवरी को जबलपुर में पहली कैबिनेट बुलाई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट मंत्रियों से विचार विमर्श के बाद मंत्रियों को प्रभार वाले जिले आवंटित किए जा सकते हैं।
आदिवासी जिलों में भुनाने की तैयारी मेंपार्टी सूत्रों का कहना है कि आदिवासी अंचल के एक मंत्री को आदिवासी जिलों की कमान सौंपी जा सकती है। इसी तरह कैबिनेट के अन्य वरिष्ठ मंत्रियों को भी चुनावी रणनीति के हिसाब से ही जिलों की बागडोर सौंपी जाएगी। विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा को 47 आदिवासी सीटों में से 25 सीटों पर सफलता मिली है। इस बार पार्टी को 9 सीटों का फायदा हुआ है। अब लोकसभा चुनाव में भी यही विजयी अभियान आगे ले जाने की रणनीति पर भाजपा काम कर रही है