झाबुआ

बाल विवाहएक सामाजिक कुप्रथा है इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिये समाज को आगे आकर कार्य करना होगा- सुश्री निर्मला भूरिया । पीएमश्री हायर सकेंण्डरी स्कूल में मंत्री सुश्री भूरिया का किया गया आत्मीय स्वागत ।

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बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिये समाज को आगे आकर कार्य करना होगा- सुश्री निर्मला भूरिया ।
पीएमश्री हायर सकेंण्डरी स्कूल में मंत्री सुश्री भूरिया का किया गया आत्मीय स्वागत ।


(राजेन्द्रकुमार सोनी,)
झाबुआ 
। पीएम श्री कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल झाबुआ में सिकलसेल, एनीमिया, बाल विवाह,स्वच्छता जागरूकता पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि सुश्री निर्मला भूरिया, मंत्री महिला एवं बाल विकास, मध्य प्रदेश शासन के द्वारा कन्याओं में जागरूकता लाने के लिए प्रभावी उद्बोधन दिया । मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने सिकलसेल के बारे में छात्राओं को बताया कि यह रोग हीमोग्लोबिनोपैथी लाल रक्त कोशिकाओं का एक अनुवांशिक रोग है जिसमें मुख्यतः सिकल सेल एनीमिया एवं थैलेसिमिया शामिल हैं। सिकल सेल एनीमिया ऐसा रक्त विकार है जिसमे लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूट जाती हैं जिसके कारण एनीमिया तथा अन्य जटिलताएं जैसे कि वेसो- ओक्लुसिव क्राइसिस, फेफड़ों में संक्रमण, एनीमिया, गुर्दे और यकृत की विफलता, स्ट्रोक आदि के कारण रूग्णता और मृत्यु की सम्भावना होती है। सिकल सेल के रोगी दो प्रकार के होते है , सिकल सेल वाहक (लक्षण रहित-मंद लक्षण) एवं सिकल सेल रोगी (गंभीर लक्षण) सिकल सेल वाहक में गंभीर लक्षण नहीं होते किन्तु यह एक असामान्य जीन को अगली पीढ़ी में संचारित करता हैद्य सिकल सेल की पहचान विशेष रक्त जांच से की जा सकती है । उन्होने बताया कि सिकल सेल रोग वंशानुगत लाल रक्त कोशिका विकारों का एक समूह है जो हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है, प्रोटीन जो शरीर के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाता है। आम तौर पर, लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार की और इतनी लचीली होती हैं कि रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आसानी से चल सकें। सिकल सेल रोग में, आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्राकार या ’सिकल’ आकार की हो जाती हैं। ये सिकल्ड लाल रक्त कोशिकाएं आसानी से मुड़ती या हिलती नहीं हैं और शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं। इसलिये इस रोग के प्रति पूरी सतर्कता बरतने के साथ ही तुरन्त ही चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिये । उन्होने कहा कि केन्द्र एवं प्रदेश की डबल इंजिन की सरकार इस रोग के निवारण एवं उपचार के लिये गंभीरता से काम कर रही है ।


सुश्री भूरिया ने बाल विवाह को  एक सामाजिक कुप्रथा बताते हुए कहा कि कुप्रथा को समाप्त करने के लिये समाज को आगे आकर कार्य करना होगा। उन्होने बताया कि बाल विवाह का सम्बन्ध आमतौर पर भारत के कुछ समाजों में प्रचलित सामाजिक प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है, जिसमें एक युवा लड़की (आमतौर पर 15 वर्ष से कम आयु की लड़की) का विवाह एक वयस्क पुरुष से किया जाता है। बाल विवाह की दूसरे प्रकार की प्रथा में दो बच्चों (लड़का एवं लड़की) के माता-पिता भविष्य में होने वाला विवाह तय करते हैं। इस प्रथा में दोनों व्यक्ति (लड़का एवं लड़की) उनकी विवाह योग्य आयु होने तक नहीं मिलते, जबकि उनका विवाह सम्पन्न कराया जाता है। कानून के अनुसार, विवाह योग्य आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष एवं महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। यदि किसी का कोई भी साथी इससे कम आयु में विवाह करता है, तो वह विवाह को अमान्य याने निरस्त घोषित करवा सकता सकती है। विवाह के लिये उचित आयु पुरूष के लिये 21 वर्ष एवं महिला के लिये 18 वर्ष नियत हे इसका पालन नही पर पालकगण भी दण्ड के भागीदार बन सकते है।


उन्होने बताया कि महिलाओं में खून की कमी एनीमिया उचित पोषण आहार नहीं लेने के कारण हो रही है । महिलाएं विशेष कर आदिवासी समाज की महिलाएं काम के प्रति संवेदनशील होती है वही अपने पोषण पर भोजन पर ध्यान नहीं देती इस कारण उनमें खून की कमी हो जाती है। यही कारण है कि आने वाली संतति भी कमजोर होती है एवं कुपोषण की शिकार होती है। सुश्री भूरिया ने बालिकाओ से आव्हान  किया वे स्वयं भी जागरूक रहे एवं समाज को जागरूक करने का प्रयास करें ताकि हमारा समाज स्वस्थ और सुखी रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ में संस्था की प्राचार्य श्रीमती सीमा त्रिवेदी द्वारा अतिथियों का स्वागत  कर किया गया  इस अवसर पर छात्राओ ने अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां  भी दीं । इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष भानु भूरिया, डीपीओ श्री बघेल, सहित अनेक विभाग के अधिकारी कर्मचारी एवं बडी संख्या में छात्रायें एवं विद्यालय परिवार के सदस्यगण उपस्थित रहे ।

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