*प्रसंग – श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर :-*
*श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को कांग्रेस क्या राष्ट्रीय शर्म दिवस मानती है?*
*22 जनवरी को कांग्रेस उत्सव नहीं, क्या मातम मनाएगी ?*
*वाम मार्गी नेहरू-इंदिरा की कांग्रेस से गोविंद मालू के सवाल*
1. कांग्रेस नेता राहुल गांधी जानबूझकर इसे संघ, भाजपा का कार्यक्रम बताते हुए ना जाने का बहाना ढूंढ रहे हैं। सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित ट्रस्ट ही आयोजन, व्यवस्था, निमंत्रण कर रहा है। भाजपा और संघ तो देश भर में इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाने का कार्यक्रम और आव्हान कर रहें हैं। पूरा देश उत्सव मना रहा है,कांग्रेस क्या मातम मनाएगी ? क्या कांग्रेस राष्ट्रीय शर्म का दिन मानती है राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को ?
2. राहुल गांधी न्याय यात्रा निकाल कर झूठ बोल रहे हैं, कि यह राम का नहीं मोदी का कार्यक्रम है। क्या यह देश की अगाध श्रद्धा,उल्लास,उमंग के साथ अन्याय नहीं है ?
क्या यह राहुल का राष्ट्र-धर्म है या अधर्म है, जो वे केवल वोटबैंक- तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं?
“रोम” वाले “राम” को क्या समझेंगे? क्या कांग्रेस नें राम को काल्पनिक नहीं माना था ?
जब देश खुश होता है तो, कांग्रेस दुःखी होती है।
3. क्या 1885 में पहली बार महंत रघुवरदास ने विवादित इमारत से लगे रामचबूतरा पर श्री राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए फैजाबाद सिविल जज के यहाॅ अपील दायर नहीं की थी ? क्या कांग्रेस ने उस समय विरोध किया था ? तब क्या विहिप, भाजपा बन गयी थी ? यह सदियों पुराना सभ्यता का संघर्ष क्या नहीं है ?
4. 10 मई 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था, कि देश में सभी नागरिकों के लिये एक समान नागरिक कानून होना चाहिए – संपत्ति, विवाह, उत्तराधिकार संबंधी उसे समाज ने क्यों नहीं स्वीकार किया, कांग्रेस ने अदालत का फैसला मानने को सभी समाजो को बाध्य क्यों नहीं किया ? राम मंदिर पर तो अदालत के फेसले का राग अलापा
5. पाकिस्तान के अहमदपुर सियाल में जब सीता-राम का मंदिर तोड़कर चिकन की दुकान खोल दी, तब कांग्रेस के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता क्यों ?