झाबुआ

शास्त्रों में मोक्ष की प्राप्ति का उपाय आत्मतत्व या ब्रह्मतत्व का साक्षात् करना बतलाया गया है-डा. जया पाठक । वैकुण्ठधाम में श्री अन्नपूर्णा पूजन के साथ महामंगल आरती का हुआ आयोजन ।

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शास्त्रों में मोक्ष की प्राप्ति का उपाय आत्मतत्व या ब्रह्मतत्व का साक्षात् करना बतलाया गया है-डा. जया पाठक ।
वैकुण्ठधाम में श्री अन्नपूर्णा पूजन के साथ महामंगल आरती का हुआ आयोजन ।

झाबुआ । श्री वैकुण्ठ धाम, गुरूद्वारा श्री क्षेत्र थांदला में प्रातःस्मरणीय पूज्य गुरूदेव श्री सरस्वतीनंदन जी महाराज के प्रगम्य सप्ताह के अन्तर्गत गुरूभक्ति एवं आध्यात्मिकता की बयार पूरे वेग से बह रही है। भजनाश्रम में नाम संकीर्तन का अखण्ड क्रम सतत जारी है। बुधवार को गुरूद्वारा में माता अन्नपूर्णा की पूजा का अभिनव विधान गुरूभक्तों ने किया । ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहौत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अवसर पर उनके साथ ही अन्नपुर्णा पूजन जितेन्द्र अग्निहौत्री,, ट्रस्टी वासुदेव व नन्दकिशोर सोनी, डाक्टर जगदीश मराठे, परमानन्द सोनी ने पूजन का लाभ प्राप्त किया । माता अन्नपूर्णा की जय हो , सत्यगुरूदेव की जय हो से पूरा वातावरण गंुजित हो उठा। इस अवसर पर फूलो से आकर्षक रंगोली श्रीमती अंशुभट्ट श्रीमती मीनाक्षी मोदी द्वारा बनाई गई । इस अवसर पर भूदेव आचार्य, भागवत शुक्ला,नामदेव, रमेन्द्र सोनी ने आरती उतारी।

ट्रस्ट की सचिव डा. जया पाठक ने गुरूदेव श्री सरस्वतीनंदन जी महाराज के उपदेशों के बारे मे बताते हुए कहा कि परम पूज्य गुरूदेव का कहना था कि महाराष्ट्र,गुजरात एवं मध्यप्रदेश में उनके स्थान है, परन्तु गुरूदेव ने थांदला में स्थित वैकुंठधाम का महत्व मोक्ष मार्ग के लिये बताया था । गुरूदेव ने कहा था कि जो भी थांदला में इस स्थान पर आयेगा वह उनकी कृपा का पात्र होगा तथा मोक्षधाम का अधिकारी होगा । डा. जया पाठक ने मौक्ष मार्ग के बारे में बताया कि शास्त्रकारों ने जीवन के चार उद्देश्य बतलाए हैं-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । इनमें से मोक्ष परम अभीष्ट अथवा परम पुरूषार्थ कहा गया है । मोक्ष की प्राप्ति का उपाय आत्मतत्व या ब्रह्मतत्व का साक्षात् करना बतलाया गया है । न्यायदर्शन के अनुसार दुःख का आत्यंतिक नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । सांख्य के मत से तीनों प्रकार के तापों का समूल नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । वेदान्त में पूर्ण आत्मज्ञान द्वारा मायासम्बन्ध से रहित होकर अपने शुद्ध ब्रह्मस्वरूप का बोध प्राप्त करना मोक्ष है । तात्पर्य यह है कि सब प्रकार के सुख दुःख और मोह आदि का छूट जाना ही मोक्ष है । इसी लिये गुरूदेव के उपदेश प्रत्येक मानव एवं समाज के हितार्थ आज भी प्रासंगिक है ।

डा. जया पाठक ने गुरूवार को नाम संकीर्तन सप्ताह के समापन की जानकारी देते हुए कहा कि पोष पूर्णिमा गुरूवार को अरूणोदय में गुरूदेव के जन्मोत्सव के समय आरती के साथ  नाम संकीर्तन सप्ताह सम्पन्न हो जायेगा । तत्पश्चात गुरूदेव की पादुका पूजन का विधि विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ अनष्ठान संपन्न होगा । दोपहर 12 बजे महामंगल आरती होगी तथा तत्पश्चात महाप्रसादी का आयोजन होगा तथा नाम संकीर्तन सप्ताह का समापन हो जायेगा ।


नाम संकीर्तन सप्ताह के गुजरात से पधारे गुरूभक्तो भजन मंडल में अरविंद भाई, पून्जाभाई, करसन भाई, विठ्ठल भाई, मूलजी भाई, दीपक आचार्य, मनीष बैरागी, अतुल सोनी, हेमन्त सोनी, नन्दलालभाई, रमण भाई नरेन्द्रभाई, सुरेशभाई अतुल मोदी, विठ्ठल ,परमार, आदि के द्वारा हारमोनियम, ढोलक, तबला, मजीरो, एवं वाद्ययंत्रो के साथ सुमधुर संगीत लहरियो से ’’जय जय सरस्वतीनंदन स्वामी सत्यगुरुदेव ’’के नाम संकीर्तन से वातावरण मे आल्हादित कर भक्तो को भक्तिभाव से सरोबार किया जा रहा है। वही अन्नपूर्णा प्रसादी में तरूण भट्ट, ओम बैरागी, किशोर आचार्य ,खुशाल, दिनेश की सेवा प्रशंसनीय रही। श्री तुषार भट्ट के अनुसार अंचलवासियों से नाम संकीर्तन सप्ताह के समापन के अवसर पर समिति द्वारा सभी धर्मप्रमियों से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में सहभागी होने की अपील की गई है ।

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