गुरु के अनुग्रह से शिष्य को अलौकिक आचार-व्यवहार का ज्ञान होता है, विज्ञान की प्राप्ति होती है और वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है- सांसद गुमानसिह डामोर ।********* श्री वैकुंठधाम श्री क्षेत्र में नाम संकीर्तन का श्रद्धा भक्ति के साथ हुआ समापन ।********** रूद्राभिषेक एवं महामंगल आरती तथा महाप्रसादी भंडारे का हुआ आयोजन ।
गुरु के अनुग्रह से शिष्य को अलौकिक आचार-व्यवहार का ज्ञान होता है, विज्ञान की प्राप्ति होती है और वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है- सांसद गुमानसिह डामोर । श्री वैकुंठधाम श्री क्षेत्र में नाम संकीर्तन का श्रद्धा भक्ति के साथ हुआ समापन । रूद्राभिषेक एवं महामंगल आरती तथा महाप्रसादी भंडारे का हुआ आयोजन ।
झाबुआ। हम सभी किसी न किसी उलझन में फंसे रहते हैं, हांलांकि उनसे छुटकारा पाने के लिए स्वयं ही लड़ना होता है किंतु कभी-कभी हमें सूझता ही नहीं कि कौन सा मार्ग अपनाएं। ऐसी परिस्थितियों से जो भी हमें सद्बुद्धि प्रदान कर उबार दे वह गुरु ही है। गुरु को उसकी वेशभूषा, महारत और ख्याति के आधार पर मत आंकिए, हमारे लिए वह कोई भी हो सकता है, एक साधारण व्यक्ति भी। जिन बातों-रहस्यों से हमें पीड़ा होती है गुरु सदैव ही उन गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाकर हमारे भीतर ज्ञान की ज्वाला प्रज्ज्वलित करते हैं। ऐसा होने पर हम खुद को कुछ हद तक समझने का प्रयास करते हैं और दूसरों का अहित नहीं करते। गुरु शिष्य बना उसे एक नया जन्म देता है इसलिए ब्रह्मा, गुरु शिष्य की रक्षा करता है इसलिए विष्णु और वह शिष्य के अवगुणों का संहार करता है इसलिए महेश भी कहा जाता है। भारत में अनेक महान संतों ने जन्म लिया और दुनिया को अपने सुविचारों से बड़ी सीख दी है। संसार रुपी भवसागर को पार करने में गुरु ही सहायक होता है । उक्त उदगार नाम संकीर्तन सप्ताह के विशेष अतिथि के रूप से उपस्थित रहे क्षेत्रीय सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ने उपस्थित गुरूभक्तो एवं श्रद्धालओं को संबोधित करते हुए कही ।
श्री डामोर ने कहा कि सच्चे गुरु की महिमा को ठीक-ठीक समझना और बताना एक सामान्य शिष्य के लिए असंभव-सा है। सच्चे गुरु शिष्य को सदाचारी बनाते हैं और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर अंतस्साधना (आंतरिक भक्ति) करने के योग्य बनाते हैं। पश्चात वे शिष्य को जप-ध्यान की सच्ची क्रिया बतलाकर उनके लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरु तीर्थ बड़ा उत्तम तीर्थ है। गुरु के अनुग्रह से शिष्य को अलौकिक आचार-व्यवहार का ज्ञान होता है, विज्ञान की प्राप्ति होती है और वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। गुरु अपने शिष्य के हृदय में सदा ही प्रकाश फैलाते रहते हैं। वे शिष्य के अज्ञानमय अंधकार का नाश करते हैं। अतः शिष्य के लिए गुरु ही सबसे उत्तम तीर्थ है। इसके पूर्व सांसद श्री डामोर ने गुरूदेव का पूजन अर्चन भी किया ।
श्री सरस्वतीनंदन भजनाश्रम वैकुण्ठधाम श्री क्षेत्र थांदला में पोष पुर्णिमा गुरूवार को श्रीनाम संकीर्तन सप्ताह के समापन के अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहोत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि वैकुण्ठधाम में नाम संकीर्तन सप्ताह में अन्तिम समापन दिवस पर अरूणोदय में प्रातः 5 बजे भगवान स्वरूपा श्री सरस्वतीनंदन जी के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर उनकी पावन प्रतिमा के साथ ही भगवान श्री विट्ठल, माता सरस्वती का रूद्राभिषेक ,श्री सुप्त अजमेर के श्री विजय चैहान द्वारा मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान किया गया तथा महामंगल आरती प्रातः 6 बजे श्री भूदेव आचार्य द्वारा की गई । इस के अलावा विभिन्न अनुष्ठानों के क्रम में प्रातः 9 बजे गुरूदेव की पादूका का पूजन लाभार्थी विजय चैहान के साथ ही सैकडो की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुजनों द्वारा किया गया । दोपहर 12 बजे गुरूदेव की समापन के अवसर आरती श्री भूदेव आचार्य एवं उनके सहयोग ज्ञानदेव आचार्य द्वारा की गई ।
पूरा गुरूद्वारा ’’सत्यगुरूदेव की जय’’ के गगनभेदी जयकारांें से गुंज उठा । दोपहर की महा मंगल आरती के साथ ही गुरूद्वारा परिसर में भोजन प्रसादी भंडारे की आयोजन हुआ जिसमें करीब तीन हजार से अधिक श्रद्धालुजनों ने महाप्रसादी का लाभ लिया । गुरूभक्तों ने तन-मन धन से गुरूमहाराज के प्रति अपनी श्रद्धा एवं भक्ति भावना को समर्पित किया । श्री तुषार भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि इस समग्र सप्ताह के आयोजन में गुरूभक्त ट्रस्ट अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहौत्री,सचिव डा.जया पाठक, कोषाध्यक्ष भागवत शुक्ला, रमेशचन्द्र उपाध्याय, श्री भूदेव आचार्य, श्री रंग आचार्य, रमेन्द्र पूनमचंद सोनी, न्यासी जगदीप आचार्य, ओमी बैरागी, वासुदेव सोनी,ईश्वरभाई,सत्यप्रकाशभाई धर्मेन्द्रसोनी, आचार्य नामदेव, किशोर आचार्य, गणपति बैरागी, दीपक आचार्य, ओम बैरागी, मनीष बैरागी, विट्ठल परमार बडौदा, अरविंद भाई, पून्जाभाई, करसन भाई, विठ्ठल भाई, मूलजी भाई, अतुल सोनी, हेमन्त सोनी, नन्दलालभाई, रमणभाई, नरेन्द्रभाई, सुरेशभाई अतुल मोदी, विठ्ठल ,परमार,मफतभाई, प्रवीणभाई, पंूजाभाई, मन्नुभाई, करसनभाई, जगदीशभाई, ,नरेन्द्रभाई नागजी,सुरेश भाई, महिला भजन मंडल प्रभारी श्रीमती जयश्रीपाठक,श्रीमती अंजली भट्ट,बिन्दू आचार्य,स्वाति आचार्य, मंजु अरोरा आदि का सक्रिय एवं सराहनीय सहयोग रहा । श्री गुरूद्वारा ट्रस्ट द्वारा सभी गुरूभक्तो एवं आगंन्तुक अतिथियों का सप्ताहभर चले कार्यक्रम में श्रद्धावतन होकर सफल बनाने पर आभार व्यक्त कर धन्यवाद ज्ञापित किया है ।
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