झाबुआ

सेवा निवृत 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक जयेन्द्र बैरागी ने अनशन पर बैठने की मांगी अनुमति। कलेक्टर को आवेदन सौप कर अपना व्यथा-कथा बताई ।

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सेवा निवृत 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक जयेन्द्र बैरागी ने अनशन पर बैठने की मांगी अनुमति।
कलेक्टर को आवेदन सौप कर अपना व्यथा-कथा बताई ।


झाबुआ। लम्बी अवधि से अपनी मांगों के निराकरण नही होने तथा जिला प्रशासन की हठधर्मिता पूर्ण रवैये को लेकर 73 वर्षीय कई पुरस्कार प्राप्त शिक्षक जयेन्द्र बैरागी ने कई बार आन्दोलन धरना प्रदर्शन के बाद भी सफलता नही मिलने तथा प्रशासन के अडीयली रवैये को लेकर जिला कलेक्टर को पुनः अपने 23 जनवरी को धरना  हेतु दी गई सूचना के उपरांत भी निर्धारित स्थलसे उन्हे जबरन बेदखल करने और उनके साथ हुए अमानवीय कृत्य के सन्दर्भ पुनः आवेदन प्रस्तुत किया कि  न्यायिक पद पा आसीन आप इस बात से सहमत होगें कि किसी भी प्रकरण में न्याय समय पर ना होना अपनी सार्थकता खो देता है । उन्होने लिखा है कि वे प्रशासन की इस विसंगति के शिकार हुए है, फलतः पिछले 10 वर्ष पूर्व के प्रकरण मे न्याय प्राप्ति के लिये  प्रशासन को पूर्व सूचना देकर इसी वर्ष 23 जनवरी को  कलेक्टोरेट परिसर में निर्धारित स्थल  जहां आम तौर पर धरना प्रदर्शन होते रहे है, वहां पर उन्होने 15 गुणा 15 फीट का टेंट लगा कर धरना अनशन पर बैठे थे । फिर क्या कारण था कि  एसडीओ रेवेन्यु श्री विश्वकर्मा अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ  अनशन स्थल पर आ धमके और समाधानपूर्वक  चर्चा किये बिना ही  तत्काल टेंट बैनर हटाने का आदेश देते हुए परिसर से दफा हो जाने का फरमान सुनाया ।
श्री बैेरागी ने अपने आवेदनपत्र में कलेक्टर को लिखा है कि उन्होने स्वयं एसडीओ रेवेन्यु से 5 मिनट कस समय उपलब्ध कराने का निवेदन कर फाईल बैनर आदि व्यवस्थित रूप से समेटने का आग्रह किया, किन्तु श्री विश्वकर्मा द्वारा उन्हे मोहलत नही दी गई। जो कि प्राकृर्तिक न्याय सिद्धांत का उल्लंघन भी है,उन्होने परिसर के बाहर तत्काल चले जाने का आदेश दिया । यहां तक की उनका मोबाईल  भी छीन लिया गया । जबकि एसडीएम से बार बार अनुरोध किया कि उन्हे प्यास लगी है, पानी पीने के लिये वे अपने भाई को फोन लगाना है, उन्हे उनका फोन दे दीजिये । लेकिन निष्ठुर अधिकारीजी ने  उनके निवेदन का स्वीकार ही नही किया । उन्हे पहली
बार महसूस हुआ कि एक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त परिवार के साथ जिला स्तर के अधिकारी किस सीमा तक अमानवीय रूप  से पेश आते है।
श्री बैरागी ने आगे लिखा है कि 23 जनवरी के उनके प्रकरण की तिथि आनन फानन में तय हुई बाद में सुनवाई आगे बढाते हुए 30 जनवरी की तिथि सुनिश्चित हुई थी उसे बढाते हुए 6 फरवरी से 13 फरवरी निर्धारित की गई किन्तु परिणाम वही ढाक के तीन पात ही जेसे रहे । श्री बैरागी ने लिखा कि तारीख पर तारीख पर तारीख सिनेमाई संवाद उन जेसे 73 वर्षीय सेवा निवृत कर्मचारी के तीवन में हकीकत बन गये । उन्हे पुनः प्रकरण में में आगामी 20 फरवरी को बलायाजाना तय किया गया । किन्तु उनकी आपत्ती/न्याय की गुहार यथावत है। न्याय पाने के लिये संधर्श करनाउनका मौलिक अधिकार  है। उन्होने कलेक्टर से निवेदन किया है कि उनके प्रकरण में त्वरित निराकरण कर न्याय उपलब्ध कराया जावे अन्यथा आगामी 3 दिन के उपरान्त उन्हे कलेक्टोरेट परिसर में आमरण अनशन पर बैठने की अनुमति देते हुए अनशन हेतु स्थल चिन्हित कर अवगत करावें ताकि अनशन अवधि मे सहानुभूति रखने वाले साथी  उनके साथ क्रमिक अवधि हेतु बैठने के लिये टेंट सुविधा की व्यवस्था सुनिश्चित की जासकें ।

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