झाबुआ -म.प्र. शासन द्वारा आदिवासी बाहुल्य जिले के विकास के लिए लाखों करोड़ों की राशि का आबंटन किया जाता है विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में । लेकिन कई बार उसका सही उपयोग नहीं हो पाता है । शासकीय महाविद्यालय झाबुआ अंतर्गत वाणिज्य संकाय हेतु 6 अतिरिक्त कक्ष का निर्माण पीडब्ल्यूडी पीआईयू केद्धारा किया गया.। भवन निर्माण होने के बाद , अधिकारी व इंजीनियर की लापरवाही से बिल्डिंग में जगह-जगह दरारें नजर आ रही है जिससे बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है ।
जानकारी अनुसार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय हेतु छह अतिरिक्त कक्ष का निर्माण किया गया । निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग (पीआईयू ) थी । प्रशासकीय स्वीकृति का आदेश क्रमांक /एफ-21/ 4/ 2015/38-2/ भोपाल । 16 अप्रैल 2018 को शासन से राशि स्वीकृत हुई । कार्य की कुल लागत 353.05 लाख है तथा कार्य 26 अक्टूबर 2019 को प्रारंभ हुआ और 24 नवंबर 2021 को पूर्ण हुआ । महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा अधिग्रहण या हैंडओवर 1 जनवरी 2022 को किया गया । तथा निर्माण कार्य फर्म या ठेकेदार अजय अग्रवाल निवासी धार द्धारा किया गया । सूत्रों के अनुसार पीडब्ल्यूडी ( पीआईयू ) द्वारा बनाए गए इस भवन निर्माण में कई जगह बाहर और कई जगह अंदर के बीम कालम और दीवारों में साफ तौर पर दरारें नजर आ रही है । बिल्डिंग की दीवारों में कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल सकती है । सूत्रों के अनुसार इस बिल्डिंग के कई बीम कालम में बड़ी-बड़ी दरारें थी जिससे संबंधित विभाग या ठेकेदार द्वारा एसीपी या अन्य शीट लगाकर ढंक दिया गया है। साथ ही साथ इस बिल्डिंग की कई दरारों में विभाग द्वारा या ठेकेदार द्वारा पुट्टी भरकर दरारों को दबाने का प्रयास भी किया गया है । 10 दिसंबर 2022 को शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा इस भवन निर्माण के 6 अतिरिक्त कक्ष की दीवारों में दरार आने पर एवं एंगल गिरने को लेकर संबंधित विभाग को पत्र के माध्यम से शिकायत भी की थी । संभवतः तत्पश्चात पीडब्ल्यूडी पीआईयू विभाग द्वारा इन दरारों में लीपापोती कर इति श्री की गई है । संभवत एसीपी शीट लगाकर भी बीम-कालम की दरारों को छुपाने का प्रयास किया गया है और पुटी भरकर दीवार की दरारो को । यदि सूत्रों की बात पर विश्वास करें , तो इन बीम कलाम पर लगाई गई एसीपी या अन्य शीट को हटा दिया जाए , तो संभवत बड़ी-बड़ी दरारे साफ तौर पर देखने को मिल सकती है । भवन निर्माण के दौरान या बाद में इस तरह की दरारें बीम कालम में नजर आना, ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय सब इंजीनियर ने निर्माण कार्य के दौरान ,मटेरियल को लेकर लापरवाही बरती होगी । तथा संभवत: समय-समय पर इसका अवलोकन भी नहीं किया होगा ,जिस ठेकेदार द्वारा मनमानी पूर्वक कार्य किया गया । जिसका नतीजा यह हुआ कि बिल्डिंग में बीम कालम और दीवारों में दरारे देखने को मिल रही है ।
संभवत बरसात में पानी टपकने की समस्या भी हुई होगी । तो बिल्डिंग की छत पर जाकर अवलोकन करेंगे, तो छत पर भी संबंधित विभाग या ठेकेदार द्वारा जी.आय. शीट लगाकर उसको छुपाने का प्रयास किया गया है । इस प्रकार पीआईयू द्वारा बनाई गई , इस बिल्डिंग में जगह-जगह दरारें को छुपाने का प्रयास किया गया । जिससे उसकी गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है । प्रश्न यह भी है कि क्या यह दरारे भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने के पूर्व आई है या निर्माण पशचात । वही वनवासी कल्याण परिषद अध्यक्ष मनोज अरोरा का कहना है कि बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर, जिला प्रशासन को अवगत कराकर , जांच करवाई जाएगी । क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देकर इस लापरवाही पूर्ण कार्य प्रणाली को लेकर कोई कारवाई करेगा या फिर यह भवन की दीवारें और भी गहरी होती जाएगी…?
पीआईयू द्वारा बनाई गई इस बिल्डिंग मे , आई दरारो को लेकर, जिला प्रशासन को अवगत कराया जाएगा और गुणवत्ता को लेकर जांच करवाई जाएगी ।