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अणुव्रत के नियम मानव मात्र का कल्याण करने वाला है  :- साध्वी श्री मृदुलयशाजी

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कालीदेवी – तेरापंथ धर्म संघ के एकादशमधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री उर्मिला कुमारी जी आदि ठाणा -4 का कालीदेवी मे मंगल प्रवास के बाद खजूरखो होते हुए उमरकोट पहुंचे । साध्वी श्री मृदुलयशा जी ने कालीदेवी प्रवास के दौरान हाई सेकेंडरी स्कूल रामा  कालीदेवी में विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता व नशा मुक्ति के संदर्भ में बच्चों को समझाया तथा अणुव्रत के बारे में विस्तार पूर्वक बताया ।

साध्वी श्री मृदुलयशाजी व साध्वी श्री ज्ञानयशा जी हाई सेकेंडरी स्कूल रामा.कालीदेवी में पहुंचे । जहां पर कक्षा नवी और 11वीं के विद्यार्थी उपस्थित थे । सर्वप्रथम साध्वीवृंद्व द्वारा द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । तत्पश्चात स्कूल के शिक्षक विनोद परमार व अंकित जैन ने अणुव्रत गीत…. संयम मय जीवन हो …..का संगान किया , जिससे सभी विद्यार्थियों ने लाइबद्ब तरीके से दोहराया । साध्वी श्री ने मृदुलयशा जी ने उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा महाव्रत का अनुपालन साधु करते हैं तो गृहस्थों के लिए अणुव्रत के नियम पालनीय होते हैं। परम पूज्य गुरुदेव तुलसी के समय अणुव्रत को व्यापक रूप मिला। इसमें किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय के लोग जुड़ सकते हैं। अणुव्रत के नियमों को स्वीकार करने के लिए जैन होना कोई आवश्यक नहीं। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति- इन तीन सूत्रों में मानों अणुव्रत के सारे नियम समाहित हो जाते हैं। इसमें नैतिकता की बात बताई गई है। साध्वी श्री ने बताया कि स्वयं के द्वारा स्वयं स्वयं पर शासन करना ही अणुव्रत है । आदमी स्वयं अपने विवेक से सदाचार के पद पर चले और संयमित रहने का प्रयास करें । दूसरों पर अनुशासन करने से पहले आदमी को स्वयं पर अनुशासन करने का प्रयास करना चाहिए । आत्मानुशासन के लिए आदमी को अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्प को स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए । इंसान को अपने जीवन में ईमानदारी के रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में नैतिकता हो, ईमानदारी के भाव होते हैं तो आत्मा भी शुद्ध बनी रह सकती है। अपना कार्य क्षेत्र में भी ईमानदारी हो। न्याय पाने के लिए भी आदमी को ईमानदारी के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। किसी को झूठे आरोप में फंसाने से, झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। न्याय व्यवस्था में भी यदि ईमानदारी व्याप्त हो जाए तो संभव है कि तत्काल न्याय भी प्राप्त हो जाए। अणुव्रत के नियम मानव मात्र का कल्याण करने वाला है अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्प जैसे चोरी नहीं करना, झूठ नहीं बोलना हिंसा व हत्या से बचाना व सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करना आदि अनेक नियमों का पालन  करना चाहिए उन्होंने नशा मुक्ति को लेकर भी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा नशा नाश का कारण है इंसान को किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए चाहे वह शराब का हो, सिगरेट का हो, पाउच का आदि का हो । नशा करने से इंसान की सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो.जाती हैं और कई बार इंसान नशे में कुछ गलत कर बैठता है, जिसे बाद में पछताना पडता हैं । इसके पश्चात साध्वी श्री से प्रेरणा पाकर उपस्थित करीब 125 से अधिक  विद्यार्थियों ने किसी भी तरह का नशा न करने का संकल्प लिया तथा इस संकल्प को निभाने की बात भी कहीं । कार्यक्रम के दौरान शिक्षक विनोद परमार, अंकित जैन, संजय माथुर आदि स्टाफ उपस्थित था । इसके अलावा कालीदेवी पंचायत से उप सरपंच श्रीमती संध्या गादीया भी उपस्थित थी ।

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