झाबुआ – पीडब्ल्यूडी पीआईयू द्वारा करीब साढे तीन करोड रुपए की लागत से बनाए गए 6 अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्य मे भवन के अंदर और बाहर के भी बीम-कालम में जगह-जगह क्रैक्स और दरारें नजर आ रही है । भवन निर्माण होने के बाद , अधिकारी व इंजीनियर की लापरवाही से बिल्डिंग में जगह-जगह दरारें नजर आ रही है जिससे बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है ।
जानकारी अनुसार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय हेतु छह अतिरिक्त कक्ष का निर्माण किया गया । निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग (पीआईयू ) थी । कार्य की कुल लागत 353.05 लाख है तथा कार्य 26 अक्टूबर 2019 को प्रारंभ हुआ और 24 नवंबर 2021 को पूर्ण हुआ । महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा अधिग्रहण या हैंडओवर 1 जनवरी 2022 को किया गया । तथा निर्माण कार्य फर्म या ठेकेदार अजय अग्रवाल निवासी धार द्धारा किया गया । सूत्रों के अनुसार पीडब्ल्यूडी ( पीआईयू ) द्वारा बनाए गए इस भवन निर्माण में कई जगह बाहर और कई जगह अंदर के बीम कालम और दीवारों में साफ तौर पर दरारें और क्रैक्स नजर आ रही है । पूर्व खबर में हमने आपको बताया था कि किस तरह पीडब्ल्यूडी पीआईयू विभाग द्वारा इस भवन निर्माण कार्य में भवन के अंदर के बीम-कालम में एसीपी शीट लगाकर क्रैक्स को दबाने का प्रयास किया गया है । वही बिल्डिंग के बाहर की ओर देखेगे, तो बिल्डिंग के बाहर बड़े-बड़े कालम में बड़े-बड़े क्रैक्स और दरारे साफ तौर पर देखने को मिल सकती हैं । यह क्रैक्स कालम के ऊपरी सतह से लेकर नीचे नीव तक नजर आ रही हैं । यह क्रैक्स बाहरी कालम पर एक या दो नही ,कई कालम पर साफ तौर पर नजर आ रहे हैं ।
वही बाहरी दीवारों में भी बड़ी-बड़ी दरारे देखने को मिल रही हैं जिसमें से कुछ दीवारों में पुट्टी भरकर उनको दबाने का प्रयास किया गया है । कई कालम के क्रैक्स इतने बड़े नजर आ रहे हैं मानो कालम ने जगह छोड़ दी है । इस बिल्डिंग के कालम और दीवारों में इतनी दरारे हैं कि दरारों वाला निर्माण कार्य कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । कहा जाता है कि किसी भी भवन निर्माण कार्य की मजबूती उसके बीम-कलाम पर टिकी हुई होती है । लेकिन पीआईयू विभाग द्वारा बनाया गया यह निर्माण कार्य के बीम-कालम ही दरारों से युक्त हैं । तो इसकी मजबूती और गुणवत्ता को लेकर समझा जा सकता है । पीआईयू विभाग द्वारा 3 वर्ष पूर्व ही बनाए गए ,इस भवन निर्माण कार्य की दूर्दशा नजर आ रही है । इस तरह के निर्माण कार्य को लेकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो विभाग के इंजीनियर और अधिकारियों ने निर्माण कार्य के दौरान लापरवाही बरती होगी, जिस ठेकेदार द्वारा मनमानी पूर्वक कार्य किया गया और जिसका नतीजा यह हुआ, कि इस निर्माण कार्य में जगह-जगह क्रैक्स और दरारें नजर आ रही है । इस तरह की कार्य प्रणाली से वर्तमान सरकार की छवि भी धूमिल होती है और जिला प्रशासन द्वारा भी इस तरह के निर्माण कार्य की जांच और कारवाई न करना भी चिंतनीय है । क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देकर इस तरह के दरारें और क्रैक्स वाले निर्माण कार्य को लेकर कोई जांच और कारवाई करेगा या फिर यह विभाग यूं ही मनमानी करता रहेगा……?