रंगभरी ग्यारस से होलिकोत्सव धुलेंडी तक श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली में होंगे विशेष उत्सव । भक्तों ने खेली जा रही भगवान संग फूलों की होली’
झाबुआ । नगर के हृदय स्थल स्थित भगवान श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में भगवानश्री के समक्ष रंगभरी एकादशी का पर्व श्रद्धा एवं भक्ति भावना के साथ मनाया गया । इसी के साथ ही शहर में होली उत्सव का सिलसिला भी शुरू हो गया है । भगवान श्रीकृष्ण मंदिरों में भक्तजन भगवान के साथ होली खेल रहे है। शहर के हृदय स्थल में विराजित प्रभु श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में रंगभरी एकादशी से पांच दिवसीय विशेष उत्सव की शुरुआत हो गई है। इस अवसर पर भगवान श्री गोवर्धन नाथ जी को सुंदर मोर मुकुट और पीली काछनी धरा कर विशेष स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगारित किया गया। अलग-अलग प्रकार के फूलों से भगवान के साथ होली खिलाई जा रही है। प्रतिदिन सायंकाल शयन दर्शन में फाग उत्सव का सतत आयोजन किया जा रहा है जिसमें सैकड़ो भक्तजन फाग उत्सव का लाभ एवं रसिया कीर्तनों का आनंद ले रहे हैं।
मुखिया जी श्री दिलीप आचार्य ने बताया कि होली का उत्साह अब धीरे-धीरे दिखने लगा है। नगर के गोवर्धननाथ जी के मंदिर में बसंत पंचमी से फाग उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। 40 दिवसीय उत्सव में एकादशी पर गोवर्धननाथ जी की हवेली में भक्तों ने रंगभरी होली का उत्सव श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया गया। प्रतिदिन राजभोग आरती में मुखियाजी ठाकुरजी को अबीर व गुलाल से होली खिला रहे हैं। वहीं श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में रंगभरी एकादशी पर भक्ति का गुलाल उड़ाने के साथ ही गीली होली की शुरुआत हो गई है। भगवान श्रीकृष्ण के भजनों के साथ भक्तों ने होली का आनंद उठाया।
मंदिर के अधिकारी श्री बृजकिशोर त्रिवेदी के अनुसार श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में सैंकड़ों भक्तों की उपस्थिति में इस अवसर पर दोपहर में राजभोग आरती के दौरान भगवान के साथ गीले रंग की होली की शुरुआत हो गई है। भगवान के साथ ही मौजूद भक्तों पर टेसू के फूलों से बने प्राकृतिक रंगों की बौछार कर भिगो दिया। बच्चों से लेकर वृद्ध तक भगवान के साथ भक्ति रंग में रंगें नजर आए। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों के साथ ही भजन का दौर चलता रहा। एकादशी से प्रतिदिन गोवर्धननाथजी, महाप्रभुजी की बैठक में फाग उत्सव मनाया जा रहा है। रंगभरी एकादशी धुलेंडी तक गीले रंग से होली खेली जाएगी।
श्री गोवर्धननाथ मंदिर के श्री तनिष्क अरोडा कान्हा ने जानकारी देते हुए बताया इस पावन अवसर पर गुलाब,गेंदे एवं बिजली के 51 किलो फूलों से प्रभुश्रीजी को होली खिलाई गई। और यह क्रम आगामी होलिकोत्सव तक यह क्रम श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जारी रहेगा। इसी कडी में द्वादशी तिथि के दिन कुंज उत्सव मनाया गया। जिसमें भगवान को विविध पल्लव एवं पुष्पों से रचित कुंज में विराजित कर फाग खिलाई गई, जिसमें अबीर,गुलाल एवं टेसु के फूलों से निर्मित गीले रंग से भगवान को होली खिलाई गई एवं पिचकारी से वैष्णवजनों पर रंग की वर्षा की गई । शुक्रवार के दिन बगीचा उत्सव,जिसमें प्रभु को बगीचे में विराजमान करके फाग खिलाई गई तथा श्रद्धालुओं ने भगवान के जय जय कारो से पूरे मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया । उन्होने बताया कि विशेष तौर पर प्रतिदिन सायं 7 बजे फूल फाग एवं राल के दर्शन का क्रम होलिकोत्सव धुलेंडी तक सतत रहेगा।