झाबुआ

होली पर्व पर पर्यावरण बचाने की अनुकरणीय पहल’, प्राकृतिक रंगों से धुलेटी बनाकर देंगे समाज को संदेश’

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होली पर्व पर पर्यावरण बचाने की अनुकरणीय पहल’,
प्राकृतिक रंगों से धुलेटी बनाकर देंगे समाज को संदेश’

झाबुआ–शहर में अब सामाजिक बदलाव का परिदृश्य सामने आने लगा है। झाबुआ के लगभग आधा दर्जन संगठन होली का दहन के अवसर पर पर्यावरण बचाने के संकल्प के साथ कंडो की होली जलाकर सनातन परंपराओं का निर्वहन करेंग,े साथ ही प्राकृतिक रंगों एवं गुलाल से धुलेंडी पर्व मनाकर पानी का कम से कम अपव्यय करने का भी संदेश सामाजिक स्तर पर देने का प्रयास किया जा रहा है  ।


उक्त जानकारी देते हुए सामाजिक महासंघ के अध्यक्ष नीरजसिंह राठौर एवं उपाध्यक्ष राधेश्याम परमार दादू भाई ने बताया कि झाबुआ में अब अधिकतर स्थानों पर कंडो की होली जलाने की प्रथाएं बढ़ती जा रही है। इस बार 24 मार्च को होलिका दहन होने से अनेक संगठन पर्यावरण बचाने एवं पानी का कम से कम अपव्यय करने की अनुकरणीय पहल करते हुए नजर आ रहे हैं। इस तरह की सामाजिक परंपरागत बदलाव के लिए अपनी-अपनी बैठकों में अनेक सगठन इस बात का चिंतन भी कर रहे हैं ।
इस बार शहर के थांदला गेट, विवेकानंद कॉलोनी, गोपाल कॉलोनी, मेघनगर नाका, चारभुजा मंदिर सहित लगभग दो दर्जन स्थानों पर होलीका दहन में कुछ ऐसे ही नजारे देखने को मिल जाएंगे, जिससे समाज में एक नई चेतना का प्रादुर्भाव होता स्पष्ट दिखाई दे रहा है।


सामाजिक समरसता के लिए महासंघ की होली का आयोजन गडूलिया घटूलिया समाज में-
सामाजिक महासंघ झाबुआ के हरीश लालाशाह आम्रपाली एवं विनोद जायसवाल ने बताया कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी धुलेंटी का आयोजन सामाजिक महासंघ निचली बस्ती में मनाने जा रहा है। पिछले दो वर्षो से गांधी आश्रम एवं संत रविदास कॉलोनी में सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए धुलेटी पर्व मनाया गया था, इस बार यह आयोजन जिला जेल के सामने स्थित कच्ची झुग्गी में रहने वाले गडुुलिया एवं घटूलिया समाज के लोगों के साथ मनाया जाएगा। सामाजिक महासंघ के सभी सदस्य प्रातः 11.00 बजे इस बस्ती में पहुंचकर समाज जनों के साथ धुलेंडी पर्व मनाएंगें, साथ ही इस अवसर पर सभी परिवारजनों को मिठाई एवं नमकीन का वितरण करते हुए उनके साथ रंगारंग होली खेलकर एवं भजन, देशभक्ति गीतों पर डांस कर एकरूपता का परिचय देने का प्रयास करेंगे ।
मधुर फाग गीतों के साथ कंडो की मधुर होली का होगा आयोजन
राजवाड़ा मित्र मंडल के युवा अंकुश कांठी एवं अमित कांठी ने बताया कि सनातनी परंपरा के अनुसार राजवाड़ा परिसर को सजाया जाएगा एवं मधुर फाग गीतो की प्रस्तुति के बीच 24 मार्च को कंडो की होली का दहन किया जाएगा । साथ ही आमजन के लिए ठंडाई की व्यवस्था भी की जा रही है व आलू बड़े श्रीखंड की व्यवस्था भी आने वाले लोगों के लिए की जाएगी । इस अवसर पर शुभम राणे एवं टीम द्वारा  सुमधुर गीतों की प्रस्तुति भी राजवाड़ा परिसर में दी जाएगी । राजवाडा क्षेत्र मंे भी सूखे रंगों की होली खेलकर भाग उत्सव मनाया जाएगा ।
लक्ष्मी नगर की बैठक में हुए अनेक निर्णय’
लक्ष्मीनगर विकास समिति के अध्यक्ष मनोज भाटी एवं कोषाध्यक्ष प्रदीप सोलंकी ने बताया कि 20 मार्च को लक्ष्मीनगर की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें सर्वानुमति से कंडो की होली जलाने का निर्णय लिया गया।  1000 कंडे बाहर से मंगवाए जाएंगे एवं परंपरागत रूप से पूजा अर्चना करने के बाद 24 मार्च को रात्रि 8.00 बजे होलिका दहन किया जाएगा।  25 मार्च को धुलेंडी के अवसर पर फागयात्रा लक्ष्मी नगर में निकाली जाएगी जिसमें हर्बल कलर एवं प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाएगी। लक्ष्मी नगर में दोपहर 2.00 बजे अल्पाहार का आयोजन पूरे लक्ष्मी नगर के लिए किया जाएगा
सुखे रंगो के साथ मनाई जाएगी होली’ –
नवनीत कला मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री एवं अतिश शर्मा ने बताया कि दक्षिणी प्राचीन महाकालीका माता मंदिर प्रांगण पर सर्वसमाज को लेकर धुलेंडी पर्व मनाया जाएगा। सूखे रंगों की होली यहां 25 मार्च को दोपहर 12.00 बजे खेली जाएगी। जिसमें शहर के अनेक संगठनों के गणमान्य नागरिक एवं नवनीत कला मंडल के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर इंदौरी पोहे मधुर मिठाई एवं चटपटे नमकीन लोगों के लिए बनाए जाएंगे तथा ससम्मान खिलाये जावेगें ।
ब्रजवासी गवली समाज के परंपरागत कार्यक्रम होंगे आयोजित’ –
ब्रजवासी गवली समाज द्वारा स्थानीय मरीमाता मंदिर पर प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी होलिका दहन कार्यक्रम परंपरागत रूप से किया जाएगा । मरी माता मंदिर पर सजावट करने के साथ-साथ कंडो की होली जलाई जाएगी। बृजवासी समाज के अध्यक्ष मुकेश गवली ने बताया कि समाजजन रात्रि में उपस्थित होकर भजन कीर्तन का आयोजन करेंगे एवं होलिका का दहन भी करेंगे। समाज की परंपराओं के अनुसार आकर्षक सामाजिक गीतों की प्रस्तुति भी दी जाएगी होली धुलेंडी पर्व पर पारिवारिक गोट का कार्यक्रम भी रखा गया है।
शहर में अनेक स्थानों पर सूखे रंगों से होली खेलने की योजना के साथ-साथ कंडो से होली का पर्व मनाने की परंपराएं बढ़ती जा रही है, जिससे पर्यावरण बचाने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने के लिए समाज के लोग आगे आ रहे हैं। तथा संकल्प ले रहे है कि वे नगर में कण्डों से ही होली दहन करेगें तथा सूखे एवं हर्बल रंगों से ही धुलेंडी पर्व सौल्लास मनावेगें।

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