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चंद्रशेखर आज़ाद स्मृति व्याख्यान माला के प्रथम सोपान का गरिमामय आयोजन

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चंद्रशेखर आज़ाद स्मृति व्याख्यान माला के प्रथम सोपान का गरिमामय आयोजन

चंद्रशेखर आज़ाद स्मृति व्याख्यान माला के प्रथम सोपान का गरिमामय आयोजन स्थानीय निजी चिकित्सक डॉ राजीव परमार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। आज की इस व्याख्यान माला में हिंदी एवम अंग्रेजी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर तथा क्रिश्चियन कॉलेज इंदौर के प्राध्यापक सुब्रतो गुहा ने राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर विषय पर ऐतिहासिक एवं पौराणिक संदर्भों के साथ अत्यंत ही सरल भाषा में व्यख्यान दिया गया जिससे उपस्थित समाजजन भावविभोर हो उठे। उन्होंने अपनी बात की शुरुआत इस तथ्य को रेखांकित करते हुए की की किस प्रकार विश्व की अनेकोनेक संस्कृतियां आक्रांताओं के प्रभाव में आकर मात्र सौ दो सौ वर्षो में ही अपना अस्तित्व खो चुकी है जबकि सनातन संस्कृति पुरोधा भारत वर्ष के बड़े भूभाग पर लगभग एक हजार वर्षों तक अलग अलग आक्रांताओं के आक्रमण हुए और उन पर उनका आधिपत्य भी रहा लेकिन सनातन संस्कृति इस सब के बाद भी अक्षुण्ण रही इसके मूल में हमारे धर्मस्थलों का विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा की सनातन विरोधियों को भी इस बात का अहसास है की सनातन संस्कृति को नष्ट करना है तो आस्था के केंद्र इन मंदिरों से समाज को विमुख करना पड़ेगा। इसी ध्येय से एक विमर्श का निर्माण किया गया जिसके अंतर्गत प्रयास किया गया की हमे अपनी संस्कृति पर गौरव का अनुभव होने के स्थान पर ग्लानि का अहसास हो और आजादी के बाद के कुछ वर्षो में सत्ता के अनुचित सहयोग से वे अपने इस लक्ष्य में कुछ हद तक सफल भी हुए। सनातन विरोधियों और सत्ता के अनुचित गठजोड़ ने दोहरे मापदंड अपनाते हुए हिंदू धर्म से संबंधित समस्त परंपराओं को सांप्रदायिक घोषित कर दिया जबकि अन्य धर्मों से संबंधित परंपराओं को पवित्र धार्मिक भावनाओं का दर्जा दिया। इसी का परिणाम था की स्वतंत्र भारत में जिस राम मंदिर का निर्माण प्राथमिकता से होना था उसके निर्माण के लिए विभिन्न कानूनी अड़चनों के चलते आजादी के बाद भी ७५ वर्षो तक प्रतीक्षा करना पड़ी। उन्होंने जोर देकर कहा की राम मंदिर केवल पूजास्थल मात्र नही वरन राष्ट्र की चेतना के जागरण का सशक्त माध्यम है। आपने बताया की हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर का विध्वंस होते हुए देखा और इसकी पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष किया जिसमे लगभग चार लाख लोगो का बलिदान हुआ, आने वाली पीढ़ी इस मंदिर के दर्शन करेगी लेकिन हम जो वर्तमान की पीढ़ी है वो असीम सौभाग्यशाली है की हमने अपनी आस्था के इस केंद्र में प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से इस राष्ट्र के गौरव का पुनरुत्थान देखा है। आज के व्याख्यान में नगर के ख्याति प्राप्त चिकित्सक, प्राध्यापक, व्यवसायी, एडवोकेट, साहित्यकार, शिक्षक सहित ५०० से अधिक बुधीजन सम्मिलित हुए। आज की इस व्याख्यान माला का सफल संचालन गजेंद्र सिंह चद्रावत द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विपुल सरोलकर द्वारा एकल गीत की  प्रस्तुति दी गई। केशव इंटरनेशनल के छात्रों द्वारा दीप मंत्र की सुमधुर प्रस्तुति दी गई। किरण बरिया, रविंद्र सिसोदिया, शीतल जादौन, उदय बिलवाल ने अथितियो को स्मृति चिन्ह भेंट किए। आयोजन समिति के अध्यक्ष छगन सिंह चौहान द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अंत में केशव इंटरनेशनल के विद्यार्थियों ने वंदे मातरम् की मनमोहक प्रस्तुति दी। समिति की तरफ से सचिव एवं युवा समाजसेवी मयंक रूनवालने आभार प्रकट किया।

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