झाबुआ

आदिशक्ति  की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्री ।***** श्रद्धा एवं भक्ति के साथ दक्षिणमुखी कालिकामाता के दरबार में मनाया जावेगा चैत्र नवरात्रोत्सव***** नवरात्रि पर्व में व्रत करके श्रद्धालु केवल फल का आहार करें, तो उसे वर्ष भर पूर्ण शक्ति प्राप्त होती है- राधेश्याम परमार।

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आदिशक्ति  की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्री ।
श्रद्धा एवं भक्ति के साथ दक्षिणमुखी कालिकामाता के दरबार में मनाया जावेगा चैत्र नवरात्रोत्सव ।
नवरात्रि पर्व में व्रत करके श्रद्धालु केवल फल का आहार करें, तो उसे वर्ष भर पूर्ण शक्ति प्राप्त होती है- राधेश्याम परमार।

झाबुआ ।  प्राचीन दक्षिणी महाकाली माता मंदिर, नेहरू मार्ग झाबुआ द्वारा प्रतिवर्ष चैत्र एवं शारदेय नवरात्री पर्व विधि विधान से मनाए जाते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर्व 9 अप्रैल से आरंभ हो रहा है, तथा 17 अप्रैल 2024 क मनाया जाएगा। महाकालिका माता मंदिर परिसर में समिति के वरिष्ठ सदस्य ’कांतिलाल नानावटी ’की अध्यक्षता में समिति की एक बैठक आयोजित की गई,  जिसमें चैत्र नवरात्रि पर्व को परंपरागत तरीके से मनाए जाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। समिति के अध्यक्ष राजेंद्रप्रसाद अग्निहोत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। तथा दसवीं के दिन विधि विधान से विसर्जन किया जाता है । उन्होने चैत्र नवरात्रि पर्व पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि माता महारानी के मंदिर में जगद्जननी कालिका माता की प्रातः 5.00 बजे काकड़ आरती होगी तथा शुद्ध घी से निर्मित राजगिरा आटे का हलवा मां की प्रसादी के रूप में भक्तों में वितरित किया जावेगा !
उन्होने बताया कि माताजी की प्रतिदिन नियमित आरती प्रातः 8.30 बजे एवं सायंकाल 7.30 बजे मंदिर पर होगी । जहां प्रतिदिन किसी विशिष्ट अतिथि को आमंत्रित कर माताजी की आरती की जावेगी । साथ ही प्रतिदिन माताजी का आकर्षक श्रृंगार भक्तों में आकर्षण का केंद्र रहेगा ।  नवरात्रि में नौ दिनों तक घी एवं तेल की अखंड ज्योति जलाई जाएगी तथा घट स्थापना के दिन जवारे भी बोये जाएंगे । महा अष्टमी के दिन सायंकाल 5.00 बजे शास्त्रोक्त मंत्रों के साथ हवन किया जाएगा। हवन का कार्य पंडित हिमांशु शुक्ला के मार्गदर्शन में पूर्ण होगा तथा रात्रि 8.00 बजे पूर्णाहुति के उपरांत महामंगल आरती का आयोजन किया जावेगा । चैत्र शुक्ल  दसवीं के दिन जवारे का विसर्जन किया जावेगा।
मंदिर के पुराने सक्रिय सदस्य राधेश्याम परमार (दादू भाई) ने चैत्र नवरात्रि पर्व की कई पौराणिक मान्यताओं की भी जानकारी देते हुए बताया कि इसका कई पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व है । नवरात्रोत्सव मनाए जाने के कारण बताते हुए उनका कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र सुदी प्रतिपदा को आदिशक्ति का प्राकट्य का समय होता है । इस दिन भगवान ब्रह्माजी को सृष्टि की संरचना करने का आदेश आदिशक्ति द्वारा दिया गया था। माना जाता है कि सतयुग का आरंभ भी चैत्र प्रतिपदा से ही हुआ था।
उन्होने आदिशक्ति की विभिन्न रूपों में पूजा करने का महत्व भी बताते हुए पौरााण्कि कथा की जानकारी देते हुए कहा कि  श्रीब्रह्मा जी ने महिषासुर को अमर होने का वरदान दे दिया था, किंतु मां दुर्गा ने चैत्र प्रतिपदा से नवमी तक विभिन्न रूप धारण कर महिषासुर का वध कर दिया, अतः इन नौे  दिवस को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है ।
श्री कांतिलाल नानावटी के अनुसार प्राचीन दक्षिणी महाकाली का माता मंदिर लगभग 200 वर्षों से अधिक प्राचीन है । तथा यहां दोनों नवरात्रि उत्सव मनाए जाते हैं। उन्होनेे इसका वैज्ञानिक कारण बताते हुए कहा कि दोनों नवरात्रियों में ऋतुु का परिवर्तन होता है । और इस ऋतु परिवर्तन से कई प्रकार की बीमारियां भी होती है। किंतु नवरात्रि पर्व में व्रत करके अगर आदमी केवल फल का आहार करें, तो उसे वर्ष भर पूर्ण शक्ति प्राप्त होती है, तथा वह बीमार भी नहीं होता है ! इसलिए भी इसको वैज्ञानिक आधार से भी कई लोग नियम से मना कर इन नौ दिनों में पूरी तरह उपवासरत रहते हैं।
श्री राधेश्याम परमार दादूभाई के अनुसार हिंदू मान्यताओं में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अलग-अलग मान्यताएं भी प्रचलित है । शारदीय नवरात्रि में भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजयश्री प्राप्त की थी । अतः विजयादशमी तक नवरात्रि पर्व मनाया जाता है । जबकि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है ,जिसे  श्रीरामनवमी के रूप मे मनाया जाता है!
उन्होने आगे बताया कि महाराष्ट्र में चैत्र प्रतिपदा को गुड़ीपड़वा के रूप में मनाया जाता है। गुडी का अर्थ होता है ,ध्वज पताका । छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इसको आरंभ किया था। इसे वे विजय उत्सव के रूप में मनाते थे, तथा प्रत्येक परिवार में आज भी गुड़ी बांधी जाती है .जो सफलता एवं समृद्धि का प्रतीक है !
श्री अग्निहोत्री ने इस पावन पुनीत पर्व पर अधिक  से अधिक संख्या में उपस्थित रहकर धर्म लाभ प्राप्त करने की अपील की है। आयोजित बैठक में समिति के सदस्य कन्हैयालाल राठौर, मनोज सोनी, मनोज शाह ,महेंद्र शर्मा ( पिंटू) आतिश शर्मा ,दयानंद पाटीदार, चंद्रकांत जायसवाल, राजेश डामोर ,राजेंद्र पूरी, लोचन गुप्ता, अजय पंवार इत्यादि सम्मिलित हुए । सभी सदस्यो एवं पदाधिकारियों ने अधिक से अधिक संख्या मेंचैत्र नवरात्रोत्सव में आयोजित सभी कार्यक्रमों में श्रद्धालुजनो को उपस्थित रहकर धर्म लाभ प्राप्त करने का अनुरोध किया है।

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