झाबुआ

प्रवेश उत्सव के पहले दिन शालाओं में जड़े मिले ताले……….शिक्षक व‌ जिम्मेदार उड़ा रहे पढना-बढ़ना की धज्जिया….

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झाबुआ। अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर जिले भर में पढना-बढ़ना की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है जहां देखो वहां जमीनी धरातल पर कम, कागजों पर ज्यादा सक्सेसफुल पढ़ना बढ़ना कारागार साबित हो रहा है। जिले भर में आज 1 अप्रैल से शासकीय शालाओं का प्रवेश उत्सव शासकीय स्कूलों में प्रारंभ होना था जिसके तहत विद्यार्थियों से लेकर पैरंट्स तक को आओ भगत कर पालकों को व विद्यार्थियों को मार्गदर्शन शिक्षकों को देना था लेकिन जिले भर में व्याप्त अवस्था के कारण कई शालाओं में 1 अप्रैल आज के पहले दिन ताले जड़े से मिले और शिक्षक कोसों दूर बच्चों की परवाह करे बगैर शाला नहीं पहुंचे। शिक्षको की इस लापरवाही का खामियाजा विद्यार्थियों को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा, शिक्षकों की इस प्रकार की लापरवाही झाबुआ ब्लाक के कई शालाओं में शिक्षकों की व जिम्मेदारो की लापरवाही पहले ही दिन देखने को मिली इससे लगता है कि शिक्षा का इस्तर किस कदर शिक्षक व जिम्मेदार चौपट करने में लगे हैं।

इन शालाओं में मिले पहले दिन ताले…
1 अप्रैल आज से शासकीय शालाओं में प्रवेश उत्सव प्रारंभ हो चुका है। जिसके तहत शिक्षकों को शाला के प्रथम दिन विद्यार्थी को तिलक लगाकर विद्यार्थियों के पालकों के साथ मीटिंग रख मार्गदर्शन शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए देना था लेकिन शिक्षकों व शिक्षा के जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण शालाओं के प्रथम दिन ही ताले नहीं खुल पाए। जिसमें झाबुआ 5 से 7 किलोमीटर दूर (1) सैटेलाइट प्राथमिक विद्यालय (महुडी फलिया- ग्राम नवागांव) झाबुआ शाला कोड-23240807403 इस शाला के शिक्षक रमेश देवदा, शिक्षिका श्रीमती लता डामोर (2) शासकीय प्राथमिक विद्यालय (गोरर्धन पाड़ा-ग्राम फुटिया) शाला कोड़ 23240807302 जिसका संकुल केंद्र झाबुआ मुख्यालय की रातितलाई स्कूल है,(3) शासकीय प्राथमिक विद्यालय (बिलवाल फलिया -ग्राम कुंडला) शाला 23240803405 विकासखंड झाबुआ की शालाओं में आज लगभग 11:30 12:00 बजे के प्रतिनिधि द्वारा मौका मुआयना करने पर शालाओं में ताले लगे मिले इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर पहले ही दिन सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं पहले ही दिन इस कदर व्याप्त अवस्थाओं के कारण किस कदर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ जिम्मेदार खिलवाड़ करते नजर आए यह नजर पहले ही दिन दिखाई दिया।

एसी से लेकर डीपीसी से लेकर बीईओ, बीआरसी सब चला रहे कागजों पर पढ़ना बढ़ना….
शिक्षा का इस्तर किस कदर शिक्षा के जिम्मेदार चौपट करने में लगे हैं यह पहले ही दिन शालाओं में ताले बता रहे हैं ज्यादातर शिक्षा के जिम्मेदार अपनी एक्टिविटीज कागजों पर ज्यादा जमीनी धरातल पर कम कर वहां वाही लूटने में लगे हुए हैं। चाहे शिक्षा के जिम्मेदार सहायक आयुक्त हो या डीपीसी या शिक्षा अधिकारी,बीईओ, बीआरसी, बीएससी,सिएससी या शिक्षक सभी की मिली भगत से शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल या निशान खड़े हो रहे हैं, यह सभी जिम्मेदार शिक्षा का हाल भगवान भरोसे छोड़ अपने हाल पर मस्त दिखाई दे रहे हैं और विद्यार्थियों के भविष्य के साथ पहले ही दिन खिलवाड़ करते नजर आए हैं। समय रहते रहते शालाओं की मॉनिटरिंग होती रहती तो इस तरह शिक्षक शालाओं पर ताला लगाकर नदारत नहीं रहते यह सबसे बड़ा सवाल है..? लेकिन सबकी मिली भगत से हाल बेहाल हो चले हैं.?

कुछ शिक्षक तो शिक्षक कम नेतागिरी ज्यादा कर रहे हैं..?
देखा जाए तो कुछ शिक्षक अपना ईमानदारी से शिक्षा का दायित्व निभा रहे हैं कुछ शिक्षक तो ऐसे भी हैं जो शिक्षक कम और नेता ज्यादा दिखाई देते हैं और ज्यादातर समय उनका नेता नगरी लोगों से मिलने में ही निकल जाता है जिसके कारण वह अपना प्रभाव दिखाते हुए शालाओं में अक्सर नहीं पहुंचते हैं।

बीएलओ बहाना देकर शालाओं से रहते हैं अक्सर
गायब…
देखा जाए तो अधिकांश बीएलओ बहाना देकर शालाओं अक्सर गायब रहते हैं जिसके कारण शाला से लेकर विद्यार्थी तक इन बीएलओ से प्रभावित होते रहते हैं, यही स्थिति बनी रहेगी तो शासन की समस्त योजनाओं के साथ आदिवासी बहुल अंचल झाबुआ में शिक्षा सिर्फ एक सपना बन कर रह जाएगा। बीएलओ जैसे कार्य के लिए भी अतिरिक्त मानदेय दिया जात है एवं समस्त कार्य शाला समय के बाद करने के स्पष्ट निर्देश है इसके बाद भी अक्सर बीएलओ शाला समय मे ही इन कार्यों का बहाना देकर शालाओं से गायब रहते हैं।

जिम्मेदार भी करते हैं ज्यादातर में रोड की शालाओं का निरीक्षण
अक्सर देखा जाए तो शिक्षा से जुड़े जिम्मेदार या जिले के मुखिया अक्सर मेंन रोड से लगी शालाओं का निरीक्षण या मौका मुआयना करते देखे जाते हैं कई लोगों का कहना है कि इससे स्पष्ट है कि गांव फलियां में अंदर दबी शालाओं का निरीक्षण मात्र कागजों पर चल रहा है जिसके कारण सही मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे हैं यह मात्र छंटे-चौमासे मौका मुआयना कर वहां- वही कागजों पर लूट रहे हैं यह अधिकांश समय एसी (ठंडी हवा खा रहे हैं) में बैठकर अपनी खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं जिसके कारण शिक्षा की कई खामियां जमीनी धरातल पर शिक्षा की जन्म ले रही है।

जिम्मेदार बोले:-
निर्देश भी जारी किए थे, इन शाला शिक्षकों को करना था, डीपीसी या इनको भी देखना था, आपने संज्ञान में डाला है, तत्काल कार्रवाई की जाएगी , हम लेटर जारी कर रहे हैं।
निशा मेहरा- जिला सहायक आयुक्त अधिकारी झाबुआ

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