झाबुआ

मेरे गुरू ने पत्थर मेे कमल खिला दिया यह मेरे जीवन का अलौकिक चमत्कार ही है- आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेंद्रसुरीश्वर जी । आचार्य श्री के नगरागमन पर धर्म धरा हुई धर्म मय । आचार्य श्री के जन्मोत्सव पर कामली ओढा कर किया गया बहुमान ।

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मेरे गुरू ने पत्थर मेे कमल खिला दिया यह मेरे जीवन का अलौकिक चमत्कार ही है- आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेंद्रसुरीश्वर जी ।
आचार्य श्री के नगरागमन पर धर्म धरा हुई धर्म मय ।
आचार्य श्री के जन्मोत्सव पर कामली ओढा कर किया गया बहुमान ।


झाबुआ
। झाबुआ नगर की धर्मधरा धन्य हो गई जब 18 वर्षो के अन्तराल के बाद प.पू गच्छाधिपति राष्ट्रसंत कोंकण केशरी आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेंद्रसुरीश्वर जी के चरणस्पर्श के साथ ही जयघोष के साथ धर्ममय हो गई । पूज्य आचार्यश्री के 6 अप्रेल को 67 वें जन्म दिवस के शुभसंयोग पर उनका नगरागम समुुचे जैन श्री संघ में उर्जा का संचार कर गया । श्रीमद विजय आचार्य लेखेद्र सुरीश्वरजी आदि ठाणाका  सुबह करीब 8.00 बजे दिलीप गेट स्थित महावीर बाग पर मंगल प्रवेश हुआ । 9.00 बजे ऐतिहासिक चल समारोह प्रारंभ हुआ । प्रथम पंक्ति पर आदिवासी नृत्य दल , महाराष्ट्र नृत्य दल अपनी प्रस्तुति के साथ,  श्री हनुमान ध्वज पथक के करीब 50 युवक युवतियों नृत्य करते हुए जिसमें से 20 ढोल व 10 ताशो से के माध्यम से अपनी प्रस्तुति देते हुए नगर में आकर्षण का केन्द्र बने हुए थी वही बग्गी में सवार संतोष रुनवाल एवं परिवार के  पश्चात ड्रेस कोड में स्थानक महिला मंडल, ड्रेस कोड में तेरापंथ महिला मंडल,मूर्ति पूजा महिला मंडल सिर पर कलश धारण किए हुए शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रही थी । इसके पीछे ही  पूज्य आचार्य श्रीलेखेन्द्र सूरिश्वरजी , मृगेंद्रसुरीश्वर  महाराज साहब के साथ अनंत भक्त, तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया व झाबुआ विधायक विक्रांत भूरिया भी शोभायात्रा वरघोडा में शामील हुए ।ं,

उल्लासमय वातावरण में शोभा यात्रा शहर के जेल चैराहे, बस स्टैंड ,बाबेल चैराहे ,जैन मंदिर, राजवाड़ा होते हुए पैलेस गार्डन पर समाप्त होकर वहां धर्म सभा में तब्दील हुई। कार्यक्रम में प्रथम दीपक करणपुरिया प्रतापगढ़ ने गीतिका ’’लेखेन्द्र गुरु पर हम सभी को नाज है’’ के माध्यम से अपनी भावभीनी प्रस्तुति दी । तत्पश्चात पूज्य गुरुदेव राष्ट्र संघ आचार्य श्री लेखेद्रसुरीश्वर जी महाराज साहब द्वारा मंगलाचरण में नमस्कार महामंत्र का उच्चारण किया ।


इसके पश्चात मुख्य अतिथि के तौर पर जावरा विधायक राजेन्द्र पांडे, पूर्व उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा , पद्मावती संघ ट्रस्टी के राजेंद्र जैन , विधायक झाबुआ विक्रांत भूरिया , पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया , झाबुआ श्री संघ अध्यक्ष मनोहर भंडारी लाभार्थी परिवार ललित बसंतीलाल शाह परिवार आदि मंचासीन हुए । जावरा श्री संघ से मदनलाल चोरडिया , झाबुआ श्री संघ से मनोज मेहता , संतोष रूनवाल व मुख्य अतिथियों ने दादा गुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण किया । तत्पश्चात झाबुआ श्री संघ अध्यक्ष मनोहर भंडारी ने स्वागत भाषण दिया इस अवसर पर बडौदा के डांस ग्रुप ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी ।
इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेंद्र सुरीश्वर जी ने  अपने साधु जीवन के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि 1971 में रतलाम में परमपूज्य मुनि लक्ष्मणविजय जी मसा पधारे थे तब उनसे सानिध्य मिला था यदि किसी योग्य गुरू का सानिध्य मिल जावे तो एक जड व्यक्ति भी ज्ञानी बन जाती है। मैने कल्पना तक नही की थी कि मैं किसी दिन इस मुकाम पर पहूंचुआ यह सब गुरू के आशीर्वाद का ही प्रतिफल है। पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि 1971 में पूज्य मुनिराज लक्ष्मण विजय जी मसार अकेले थे,  मै उनके साथ हुआ उस समय मेंरी आयु 13 वर्ष थी, उन्होने मुझे साथ लेकर मालवा अंचल के कई ग्रामों में भ्रमण किया। उनका चातुर्मास कुशलगढ में हुआ और उसके बाद आलीराजपुर व लक्ष्मणी जैन तीर्थ में उन्हे सफेद वस्त्र धारण करवा कर सन्यास दिलाया गया । उन्होने कहा कि न तो मैने स्कूल में पढाई की और न कभी स्कूल गया था । मैने जन्म लिया उस परिवार में नवकार मंत्र सीखा हुआ था। मुझे अक्षर ज्ञान नही होने के बाद भी 52 साल बाद मुझे सन्यास दिया गया और मेरा नाम भी अनोखीलाल से लेखेन्द्र विजय कर दिया गया । उन्होने सन्यास काल के कई सस्मरण सुनाते हुए कहा कि सन्यास के बाद मेरे ताउजी ने भी इसका विरोध किया था । मुझे गुरूवर ने ज्ञान की पिपासा शांत करवाई । सुखलाल पण्डित का जिक्र करते हुए कहा कि गुरू की आज्ञ से 14 साल की उम्र में अ आ ई वर्णमाला सिखाई । चातुर्मास में मुझे अक्षरज्ञान की समझ भी मां सरस्वती की कृपा से होगई । उन्होने आगे कहा कि आज जो कुछ हूं व मां सरस्वती  एवं गुरू की कृपा से ही है।

पूज्य आचार्यश्री ने खचाखच भरी धर्मसभा में कहा कि तत्पश्चात मैने संस्कृत की पढाई की संयम जीवन के 52 साल एवं जन्म के 67 साल पूर्ण हुए है। गुरूकृपा एवं उनका वात्सल्यभाव से आज इस मुकाप पर पहूंचा हूं । गुरू कृपा से ज्ञान मिलता है बिना ज्ञान के जीवन शून्य कहलाता है। मेरी आध्यात्मिक साधना सरस्वती मंत्र से हुई । उन्होने कहा कि किचड में तो कमल कोई  भी खिला सकता है किन्तु मेरे गुरू ने पत्थर मेे कमल खिला दिया यह मेरे जीवन का अलौकिक चमत्कार ही है। यह मेरे गुरू मुनिराज लक्ष्मण विजय जी के आशीर्वाद का ही प्रतिफल है।

उन्होने गुरू कृपा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी कृपा एवं भगवान शंखेश्वर पाश्र्वनाथ की कृपा रही । उनके दरबार में की गई कृपा से ही मेरा जीवन परिवर्तित हुआ है। उन्होने आगे कहा कि प्रभू पाश्र्वनाथ असंभव  को भी संभव बना देते हैे इसलिये सभी को भगवान पाश्र्वनाथ की आराधना निश्छल भाव से करना चाहिये। पालीताना के चतुर्मास का जिक्र करते हुए उन्होने धर्माराधना पर प्रकाश डाते हुए गुरू महिमा का बखान करते हुएजो गड रहस्य बतावे वही गुरू हाोता है। गुरू कोई मामुली व्यक्तित्व नही होता है।जैन दीक्षा ज्ञान के बिना अधुरी होती है।सन्यास के बाद भी यदि ज्ञान नही होतो तो जीवन शून्य हो जाता है।गुरू की दृष्टि बडी दीर्घ होती है।उन्होने बताया कि मेरा जन्म रतलाम में हुआ था । रंभापुर के पास हनुमानजी के भक्त जमुनादास जी महाराज का जिक्र करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि  पूज्य जमुनादास जी ने मुझे देख कर मेरे परिजनों को बताया था कि पिछले जन्म में ये साधु था और इस जन्म में भी साधु बनेगा। ये साधना पूरी करेगा और धम्र घ्वजा फहरायेगा । उनके वचन सत्य है।  मेरे गुरू देव ने मुझे कहा था कि तुझ मे कुछ देखा है इसलिये सन्यास दिया था । उन्होने मुझे नवरात्री में सवा महीने का मंत्र जाप के लिये दिया । आचार्य श्री की धर्मसभा में समग्र  जैेन समाज के लोगों श्रद्धा एवं भक्ति भवना से उनके वचनों का श्रवण किया ।

पैलेस गार्डन में आयोजित पूज्य आचार्यश्री के जन्म दिवस के निमित्त आयोजित इस कार्यक्रम  में गुरुदेव को कामली ओढाने की बोली के लाभार्थी संतोष रूनवाल एवं परिवार बना उन्होने करीब 6 लाख 11000 में बोली ली । इसके पश्चात जावरा श्री संघ ने चातुर्मास की विनती विधायक राजेंद्र पांडे के नेतृत्व में आचार्य प्रवर से की तथा उनके जन्मोत्सव के उपलक्ष में कामली भी ओढाई । इसके पश्चात उज्जैन श्रीसंघ,रतलाम श्रीसंघ, इंदौर श्रीसंघ, नागदा श्रीसंघ , आलोट श्रीसंघ , बदनावर श्रीसंघ के श्रावकगणों ने भी चातुर्मास हेतु आचार्य प्रवर से विनति की तथा जन्मोत्सव के उपलक्ष में कामली भी औढाई । इसके ही साथ झाबुआ श्री संघ की ओर से भी चातुर्मास हेतु आचार्यश्री से विनती की गई , जिसमें विशेष रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ,झाबुआ विधायक विक्रांत भूरिया ने भी श्रीसंघ के साथ विनती की । तत्पश्चात उपस्थित सभी श्रीसंघ सदस्यों ने आचार्य प्रवर को सम्मान पत्र भेंट किया गया जिसका वाचन निर्मल मेहता ने किया ।
झाबुआ के इतिहास में इस प्रकार का आयोजन होना निश्चित ही झाबुआ की धर्मधरा के लिये गौरव का क्षण साबित हुआ । गुरूदेव ने सभी श्रावक श्राविकाओं से धर्माचरण करने का आव्हान करते हुए धर्मपथ पर चलने का संकल्प लेने का अनुरोध भी किया ।

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