आबकारी विभाग द्वारा 28 हजार रुपए से अधिक कीमत की अवैध शराब व महुआ लहान जब्त
रतलाम /लोकसभा निर्वाचन 2024 के दौरान कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री राजेश बाथम के निर्देशानुसार तथा सहायक आयुक्त आबकारी डॉ. शादाब अहमद सिद्दीकी के मार्गदर्शन में अवैध मदिरा विक्रय, संग्रह और उत्पादन के विरुद्ध 12 अप्रैल को वृत स के आबकारी अमले द्वारा वृत के ग्राम नंदलाई में शिवा पिता बालू के कब्जे से 12 लीटर हाथ भट्टी मदिरा, राधेश्याम पिता मोहनलाल के कब्जे से 05 लीटर हाथ भट्टी मदिरा एवं ग्राम पंथपाड़ा में 250 केजी लहान जब्त कर नष्ट किया गया। इस प्रकार आबकारी अधिनियम की धारा 34 (1) के तहत 03 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए। कुल जब्त मदिरा 17 लीटर हाथ भट्टी मदिरा व महुवा लहान की अनुमानित कीमत 28400 आंकी गई। सम्पूर्ण कार्यवाही में आबकारी उपनिरीक्षक पुष्पराज सिंह, आबकारी आरक्षक भगवती सोलंकी, विक्टोरिया बोरासी नगर सैनिक चेतराम, बद्रीलाल का सराहनीय योगदान रहा।
जिला चिकित्सालय रतलाम को पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए मान्यता मिली
रतलाम /रतलाम जिले के जिला चिकित्सालय को एमबीबीएस करने के उपरांत पीजी डिप्लोमा कोर्स करने के लिए मान्यता मिली है। सिविल सर्जन डॉ.एम.एस.सागर ने बताया कि रतलाम जिले के जिला चिकित्सालय में अब नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ऑफ मेडिकल साइंसेज से पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा के लिए मान्यता मिल चुकी है। इस संबंध में एमबीबीएस करने के उपरांत चिकित्सक नीट परीक्षा के माध्यम से पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन एनेस्थीसिया, गायनेकोलॉजी और फैमिली मेडिसिन का डिप्लोमा प्राप्त कर सकेंगे।
जिला चिकित्सालय सर्जन डॉ.बी.एल.तापड़िया को डिप्लोमा कोर्स के लिए प्रभारी नामांकित किया गया है जबकि गायनेकोलॉजी की फैकल्टी के रूप में डॉ.ममता शर्मा स्त्री रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया के लिए डॉक्टर महेश मौर्य, फैमिली मेडिसिन के लिए डॉक्टर जीवन चौहान, डॉ.भगवतीलाल तापड़िया, डा.ममता शर्मा, डॉ.नावेद अंजुम कुरैशी को फैकल्टी के रूप में नामांकित किया गया है। प्रत्येक विद्या के लिए दो-दो सीट जिला चिकित्सालय में आवंटित की गई है।
सिविल सर्जन ने बताया कि नेशनल बोर्ड से विधिवत सूक्ष्म निरीक्षण और मूल्यांकन के उपरांत समस्त आवश्यक शर्तों को पूर्ण करने के उपरांत जिला चिकित्सालय को मान्यता मिल सकी है। सिविल सर्जन ने बताया कि मान्यता पूर्व मूल्यांकन के लिए डॉ.बी.एल.तापड़िया को प्रभारी नियुक्त किया गया था। लगभग चार माह से अधिक समय से अथक परिश्रम करने के उपरांत मान्यता मिल सकी है । इसके लिए विभिन्न विषय विशेषज्ञों का प्रयास सराहनीय रहा है।