झाबुआ

परिवहन अधिकारी की दिखावटी कार्यशैली और वाहवाही लूटने का आसान तरीका…..

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झाबुआ — जिला परिवहन विभाग की मनमानी कार्यशैली, एजेंट की बढ़ती तादाद और विभागीय कर्मचारी का उदासीन रवैया, आम जनों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है । वहीं विभाग की आलाधिकारी द्वारा दिखावटी कार्यशैली के द्वारा जनसंपर्क के माध्यम से प्रेस नोट जारी कर वाह वाही लूटी जा रही है जबकि धरातल पर नजारा कुछ और ही है ।

जानकारी अनुसार जिला परिवहन अधिकारी ने अभी तीन दिन पहले फिर से जनसंपर्क विभाग के माध्यम से एक प्रेस नोट जारी कर बसो में किराया सूची की जांच और महिला यात्री से बात कर ,जानकारी ली और बताया कि बसों में शत प्रतिशत बसे मापदंड अनुसार है । परंतु मैडम जी आप जिस समय पर चैकिंग के लिए जाती है उसके पहले बस मालिको और उनके एजेंटों के पास सूचना , केसे पहुंच जाती है जबकि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बाद में सूचना मिलती है मानो ऐसा प्रतीत होता है की आपके ऑफिस या आप स्वयं द्बारा इनको , आपके चैकिंग अभियान की पहले से सूचना दी जा रही है और सूचना मिलते ही, जो बसे मापदंड अनुसार है उनको ही बस स्टेंड पर खड़ी पाती है और कार्यवाही कर निकल जाती है और अपनी कार्यवाही की वाह वाही जनसंपर्क विभाग के प्रेस नोट के माध्यम से ली जाती है । जबकि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, जब इन बसों को देखते है तो नियमानुसार पूर्ण मापदंड नहीं मिलता है । तो आपको केसे लगता है की मापदंड अनुसार बसो का संचालन हो रहा है कही आप जब कार्यवाही पर जाती है तो कही काला चस्मा लगाकर , तो कार्यवाही नही करती है। वही कुछ बसों में आपातकालीन द्वार को भी वेल्डिंग से बंद कर दिया गया है जो बसे संचालित हो रही है वो बस स्टेंड से चलती है और विजय स्तंभ तक कई जगह रुकती है । बसों में ओवरलोडिंग और किराया सूची से अधिक किराया तो वसूला नहीं जा रहा है इस ओर कभी आपका ध्यान गया ही नहीं …..क्या कारण है । आपने कभी इन पर कार्यवाही नही की……यह विचारणीय है । अन्य राज्यो की ट्रेवल्स बसों में ओवर लोडिंग आपको नजर नही आती. हैं जबकि स्लीपर बसों में 1 स्लीपर सीट पर 8 से 10 लोगो को ठूस ठूस कर बैठाया जाता है । क्या कारण है की आपके द्वारा इन ट्रेवल्स बसों में कार्यवाही नही की जाती है । वही हम बात करे झाबुआ से इंदौर बस की , तो किसी में किराया 180 ,तो किसी में 200 रू है जो नान एसी की है । वही चार्टर्ड नान एसी बस में 180 रुपए किराया वसूला जा रहा है । वही एसी बस में रू 220, तो 240 से250 रू तक किराया वसूला जा रहा है । वहीं छोटे-छोटे गंतव्य के लिए आपके निजी बस संचालकों द्वारा मनमाना किराया वसूला जा रहा है । जो जांच का विषय है और मैडम आप कह रही है की किराया सही वसूल किया जा रहा है । यदि हम बात करें टूरिस्ट बसो की तो, यह बस संचालक जिले के गांव-गांव से सवारियों को बैठाकर गुजरात की ओर यात्रा करवाई जा रही है यदि इनके टूर परमिट मे दर्शाए गए यात्री और बस में बैठे यात्रियों का मिलान किया जाए ,तो काफी भिन्नता मिलेगी । यदि इन सब बातों पर गौर किया जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि आप निजी बस संचालकों पर पूर्ण रूप से मेहरबान है वही यात्री परेशान है । इन सभी पहलुओं को देखते हुए लगता है की या तो आप कार्यवाही के समय काला चस्मा लगाती है या किसी लालच में इन पर कार्यवाही नही करती है। और जाते जाते यह बता दू …..अगली खबर में बताएंगे की गाड़ी नंबर 737की कहानी ।

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