थांदला (वत्सल आचार्य) थांदला नगर गौरव परम पूज्य दिगंबर जैन मुनि श्री पुण्य सागर जी का 19 वर्षो के बाद 19 साधुओं जिनमे 4 साधु थांदला के हैं भव्य मंगल प्रवेश हो रहा है जिनमे मुख्य रूप से
बाल ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी बाल ब्रह्मचारी विकास भैया
आइए हम मुनि श्री के जीवन परिचय को जाने 1 मुनि श्री का वर्तमान नाम 1 मुनि श्री पुण्य सागर जी 2 पूर्व का ग्रहस्थ अवस्था का नाम 2 श्री हंसमुख जी मेहता 3 जन्म दिनांक 3 29 सितंबर 1965 4 जन्म स्थान 4 थांदला मध्यप्रदेश 5 पिता जी 5 श्री पन्नालाल जी मेहता समाधिस्थ मुनि श्री परमेष्ठि सागर 6 माताजी 6 श्रीमती गुणवंती देवी समाधिस्थ आ श्री पुण्य मति जी 7 लौकिक शिक्षा 7 हायर सेकेंडरी 8 धार्मिक शिक्षा 8 बहुत से ग्रंथो का अध्ययन 9 विवाह या ब्रहचर्य 9 बाल ब्रह्मचारी 10भाई बहन 10 7 भाई एक भाई मुनि श्री महोत्सव सागर जी मुनि श्री उपहार सागर जी 2 बहन 10 परिवार में त्यागी हो तो जानकारी 10 पिता,माता, भाई चाचा चाची भतीजा 11 व्रत प्रतिमा कब किनसे 11 मुनि श्री दया सागर जी से 2 प्रतिमा के व्रत कार्तिक कृष्ण अमावस्या वीर निर्माण संवत 2510 सेमारी राजस्थान 12 दीक्षा कब कहा किनसे 12 चतुर्थ पट्टाधीशआचार्य श्री अजित सागर जी से ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 7 जून 1987 उदयपुर में आचार्य पदारोहण के अवसर पर सीधे मुनि दीक्षा
13 नगर के साधुओं की जानकारी 13 नगर से दीक्षित मुनि आर्यिका की जानकारी ऊपर दी है अनेक साधु नगर से है 14 दीक्षित शिष्यों की सूची 1 मुनि श्रीपरमेष्ठिसागर जी,2 मुनि श्री प्रवेश सागर जी ,3मुनि श्री हर्षेंद्रसागर जी ,4 मुनि श्री महोत्सव सागर जी, 5 मुनि श्री उदितसागर जी 6 मुनि श्री मुदित सागर जी, 7मुनि श्री क्षेमंकर सागर जी ,8 मुनि श्री उत्सव सागर जी ,9 मुनि श्री एकत्व सागर जी ,10 मुनि श्री ऐश्वर्य सागर जी ,11मुनि श्री उपहार सागर जी आर्यिका माताजी 1आर्यिका श्री राजूलमती जी2 आ श्री पुण्यमति जी ,3 आ श्री पारसमति जी ,4 आ श्री प्रांजल मति जी, 5 आ श्री प्रमोदमति जी, 6आ श्री प्रशममति जी,7आ श्री प्रेक्षामति जी,8 आ श्री हर्षितमति जी ,9 आ श्री पर्वमति जी10 आ श्री शरण मति जी ,11 आ श्री उत्सव मती जी, 12 आ श्री उत्साहमति जी,13 आ श्री सिद्धमति जी,14 आ श्री तीर्थमति जी, 15 आ श्री उत्तम मति जी,16आ श्री निर्णय मति जी ,17आ श्री निश्चयमति जी,18 आ श्री नियममति जी, 19 आ श्री उत्तममति जी,20आ श्री उज्जवलमति जी,21आ श्री उपासनामति जी, 22आ श्री उदितमति जी,23 आ श्री उदकमति जी,24 आ श्री उत्कृष्टमती जी,25आ श्री सुगंधमति जी ,26आ श्री स्वर्णमती जी,27 आ श्री पूर्णिमामति क्षुल्लक
1 क्षु श्री एकत्व सागर जी,2 क्षु श्री ऐश्वर्यसागर जी,3 क्षु श्री पूर्ण सागर जी
क्षुल्लिका 1श्री उज्जवल मति जी, 2 श्री उत्तममति जी, 3 श्री सुवर्णमति जी,
15 चातुर्मास
1 1987 सलूंबर राज 2 1988 भिंडर राजस्थान 3 1989 लोहारिया राज 4 1990 साबला राजस्थान 5 1991 सलूंबर राजस्थान 6 1992 गेवराई महाराष्ट्र 7 1993 श्रवणबेलगोला 8 1994 श्रवणबेलगोला 9 1995 कुंभोज बाहुबली 10 1996 गिंगला राजस्थान 11 1997 पारसोला 12 1998 किशनगढ़ 13 1999 जयपुर राजस्थान 14 2000 टोडारायसिंह 15 2001 धरियावद 16 2002 उदयपुर राजस्थान 17 2003 धरियावद 18 2004 मुंगेर राजस्थान 19 2005 देवलगांव राजा 20 2006 श्रवणबेलगोला 21 2007 इचलकरंजी 22 2008 मुंबई 23 2009 मुंबई 24 2010 विरार मुंबई 25 2011 एरोली नवी मुंबई 26 2012 गिरिडीह 27 2013 सम्मेद शिखर 28 2014 भागलपुर 29 2015 बारसोई 30 2016 विजयनगर 31 2017 गुवाहाटी 32 2018 घुबडी 33 2019 सम्मेद शिखर जी 34 2020 सम्मेद शिखर जी 35 2021 सम्मेद शिखर जी 36 2022 सम्मेद शिखर जी 37 2023 सोनागिर mp
16 पुत्र पुत्री 16 नही अविवाहित 17 उपाधियां 17 वात्सल्य मूर्ति 18 18संपर्क मोबाइल नंबर 18 ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी ब्रह्मचारी विकास भैय्या 19 मुनि श्री पुण्य सागर जी ने स्वयं से दीक्षित एवम संघ के अनेक साधुओं की लगभग 40 से अधिक सम्यक समाधि सल्लेखना कराई है शास्त्रों में उल्लेख है कि उत्कृष्ट समाधि होने पर समाधिस्थ साधु अगले 2 से 8 जन्म में मोक्ष प्राप्त कर जन्म मरण से मुक्त हो जाते हैं 20 पंच कल्याणक पत्थर ,धातु और रत्नों की प्रतिमाओं में धार्मिक मंत्रोचार सूरी मंत्र से उन प्रतिमाओं की पंच कल्याणक में गर्भ,जन्म तप केवल ज्ञान और मोक्ष कल्याणक के माध्यम से प्रतिमाओं को पूजनीय बनाया जाता है ।आपने दीक्षित अवधि में अनेक पंच कल्याणक देश के विभिन्न राज्यों में करवाए हैं। उक्त जानकारी श्री राजेश पंचोलिया जी ने देते हुए थांदला की जानता से अधिक से अधिक संख्या मे पधार कर धर्म लाभ लेने की अपील की है।