झाबुआ

जानिए 19 वर्षो बाद थांदला की पुण्यधरा पर किन 19 साधुओ के साथ श्री पुण्य सागर जी का होगा मंगल प्रवेश.                                            

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थांदला (वत्सल आचार्य)  थांदला नगर गौरव परम पूज्य दिगंबर जैन मुनि श्री पुण्य सागर जी का 19 वर्षो के बाद 19 साधुओं जिनमे 4 साधु थांदला के हैं भव्य मंगल प्रवेश हो रहा है जिनमे मुख्य रूप से

🙏परम् पूज्य मुनि श्री 108 पुण्य सागरजी महाराज
(2) महोत्सव सागरजी
(3)उदित सागरजी
(4) मुदित सागरजी
(5) उत्सव सागरजी
(6)उपहार सागरजी
(7) क्षुलक पुर्ण सागरजी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
(1) सोरभमति माताजी
(2) प्रमोद मति माताजी
(3) हर्षित मति माताजी
(4) पर्व मति माताजी
(5) उत्साह मति माताजी
(6) निर्णय मति माताजी
(7) निश्चय मति माताजी
(8) नियम मति माताजी
(9) उपासना मति माताजी
(10) सवर्ण मति माताजी
(11)उपशम मति माताजी
(12) सुवर्ण मति क्षुल्लिका
12+7=19

बाल ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी
बाल ब्रह्मचारी विकास भैया

आइए हम मुनि श्री के जीवन परिचय को जाने
1 मुनि श्री का वर्तमान नाम
1 मुनि श्री पुण्य सागर जी
2 पूर्व का ग्रहस्थ अवस्था का नाम
2 श्री हंसमुख जी मेहता
3 जन्म दिनांक
3 29 सितंबर 1965
4 जन्म स्थान
4 थांदला मध्यप्रदेश
5 पिता जी
5 श्री पन्नालाल जी मेहता
समाधिस्थ मुनि श्री परमेष्ठि सागर
6 माताजी
6 श्रीमती गुणवंती देवी
समाधिस्थ आ श्री पुण्य मति जी
7 लौकिक शिक्षा
7 हायर सेकेंडरी
8 धार्मिक शिक्षा
8 बहुत से ग्रंथो का अध्ययन
9 विवाह या ब्रहचर्य
9 बाल ब्रह्मचारी
10भाई बहन
10 7 भाई एक भाई मुनि श्री महोत्सव सागर जी मुनि श्री उपहार सागर जी
2 बहन
10 परिवार में त्यागी हो तो जानकारी
10 पिता,माता, भाई चाचा चाची भतीजा
11 व्रत प्रतिमा कब किनसे
11 मुनि श्री दया सागर जी से 2 प्रतिमा के व्रत कार्तिक कृष्ण अमावस्या वीर निर्माण संवत 2510 सेमारी राजस्थान
12 दीक्षा कब कहा किनसे
12 चतुर्थ पट्टाधीशआचार्य श्री अजित सागर जी से ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 7 जून 1987 उदयपुर में
आचार्य पदारोहण के अवसर पर
सीधे मुनि दीक्षा

13 नगर के साधुओं की जानकारी
13 नगर से दीक्षित मुनि आर्यिका की जानकारी ऊपर दी है
अनेक साधु नगर से है
14 दीक्षित शिष्यों की सूची
1 मुनि श्रीपरमेष्ठिसागर जी,2 मुनि श्री प्रवेश सागर जी ,3मुनि श्री हर्षेंद्रसागर जी ,4 मुनि श्री महोत्सव सागर जी, 5 मुनि श्री उदितसागर जी 6 मुनि श्री मुदित सागर जी, 7मुनि श्री क्षेमंकर सागर जी ,8 मुनि श्री उत्सव सागर जी ,9 मुनि श्री एकत्व सागर जी ,10 मुनि श्री ऐश्वर्य सागर जी ,11मुनि श्री उपहार सागर जी
आर्यिका माताजी
1आर्यिका श्री राजूलमती जी2 आ श्री पुण्यमति जी ,3 आ श्री पारसमति जी ,4 आ श्री प्रांजल मति जी, 5 आ श्री प्रमोदमति जी,
6आ श्री प्रशममति जी,7आ श्री प्रेक्षामति जी,8 आ श्री हर्षितमति जी ,9 आ श्री पर्वमति जी10 आ श्री शरण मति जी ,11 आ श्री उत्सव मती जी, 12 आ श्री उत्साहमति जी,13 आ श्री सिद्धमति जी,14 आ श्री तीर्थमति जी, 15 आ श्री उत्तम मति जी,16आ श्री निर्णय मति जी ,17आ श्री निश्चयमति जी,18 आ श्री नियममति जी,
19 आ श्री उत्तममति जी,20आ श्री उज्जवलमति जी,21आ श्री उपासनामति जी, 22आ श्री उदितमति जी,23 आ श्री उदकमति जी,24 आ श्री उत्कृष्टमती जी,25आ श्री सुगंधमति जी ,26आ श्री स्वर्णमती जी,27 आ श्री पूर्णिमामति
क्षुल्लक

1 क्षु श्री एकत्व सागर जी,2 क्षु श्री ऐश्वर्यसागर जी,3 क्षु श्री पूर्ण सागर जी

क्षुल्लिका
1श्री उज्जवल मति जी, 2 श्री उत्तममति जी, 3 श्री सुवर्णमति जी,

15 चातुर्मास

1 1987 सलूंबर राज
2 1988 भिंडर राजस्थान
3 1989 लोहारिया राज
4 1990 साबला राजस्थान
5 1991 सलूंबर राजस्थान
6 1992 गेवराई महाराष्ट्र
7 1993 श्रवणबेलगोला 8 1994 श्रवणबेलगोला
9 1995 कुंभोज बाहुबली 10 1996 गिंगला राजस्थान
11 1997 पारसोला
12 1998 किशनगढ़
13 1999 जयपुर राजस्थान
14 2000 टोडारायसिंह
15 2001 धरियावद
16 2002 उदयपुर राजस्थान
17 2003 धरियावद
18 2004 मुंगेर राजस्थान
19 2005 देवलगांव राजा
20 2006 श्रवणबेलगोला
21 2007 इचलकरंजी
22 2008 मुंबई
23 2009 मुंबई
24 2010 विरार मुंबई
25 2011 एरोली नवी मुंबई
26 2012 गिरिडीह
27 2013 सम्मेद शिखर
28 2014 भागलपुर
29 2015 बारसोई
30 2016 विजयनगर
31 2017 गुवाहाटी
32 2018 घुबडी
33 2019 सम्मेद शिखर जी
34 2020 सम्मेद शिखर जी
35 2021 सम्मेद शिखर जी
36 2022 सम्मेद शिखर जी
37 2023 सोनागिर mp

16 पुत्र पुत्री
16 नही अविवाहित
17 उपाधियां
17 वात्सल्य मूर्ति
18
18संपर्क मोबाइल नंबर
18 ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी
ब्रह्मचारी विकास भैय्या
19 मुनि श्री पुण्य सागर जी ने स्वयं से दीक्षित एवम संघ के अनेक साधुओं की लगभग 40 से अधिक सम्यक समाधि सल्लेखना कराई है शास्त्रों में उल्लेख है कि उत्कृष्ट समाधि होने पर समाधिस्थ साधु अगले 2 से 8 जन्म में मोक्ष प्राप्त कर जन्म मरण से मुक्त हो जाते हैं
20 पंच कल्याणक
पत्थर ,धातु और रत्नों की प्रतिमाओं में धार्मिक मंत्रोचार सूरी मंत्र से उन प्रतिमाओं की पंच कल्याणक में गर्भ,जन्म तप केवल ज्ञान और मोक्ष कल्याणक के माध्यम से प्रतिमाओं को पूजनीय बनाया जाता है ।आपने दीक्षित अवधि में अनेक पंच कल्याणक देश के विभिन्न राज्यों में करवाए हैं।
उक्त जानकारी श्री राजेश पंचोलिया जी ने देते हुए थांदला की जानता से  अधिक से अधिक संख्या मे पधार कर धर्म लाभ लेने की अपील की है।

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