दाहोद लोकसभा चुनाव 2024 – आज थम जायेगा सायंकाल 5 बजे से चुनाव प्रचार
(दाहोद से चेतन सोनी की रिपोर्ट) दाहोद – दोहद लोकसभा सीट पर 7 मई को मतदान किया जावेगा । 5 मई को सायंकाल 5 बजे से सम्पूर्ण लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार थम जावेगा । जहां तक
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में शामिल दाहोद की सीमा मध्य और राजस्थान से लगती है, इसीलिये पहले इसे दोहद नाम दिया गया था. बाद में अपभ्रंश से इसका नाम दाहोद पड़ गया. भालू अभ्यारण के लिये प्रसिद्ध यह जिला कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था । लंकिन अब यह भाजपा का किला है. यह जिला समोसा कचोरी रतलामी सेव आदि पकवानों के लिये जाना जाता है. दाहोद किला यहां का प्रमुख पर्यटन स्थल है. यहां उद्योग धंधे न होने की वजह से यहां का मुख्य व्यवसाय खेती ही है.
राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां सबसे पहली बार 1951 में चुनाव हुए थे. पहले ही चुनाव से यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और लंबे समय तक कांग्रेस ने ही इस पर कब्जा जमाए रखा. 1977 से 1998 तक इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सोमजी भाई ने लगातार सात बार जीत हांसील की थी. उनसे यह सीट भाजपा के बाबू भाई खीमा ने 1999 में छीन ली थी. वर्तमान में यहां से जसवंत सिंह सुमन भाई भाभोर सांसद हैं, जिन्होनेे 2019 के चुनाव में कांग्रेस के कटारा बाबू भाई खीमा को हराया था. वह अब तक दो बार इस सीट से चुने जा चुके हैं, इससे पहले उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस के ही डॉ. प्रभा किशोर को मात दी थी. खास बात ये है कि 1999 में इस सीट से पहली बार जीती भाजपा ने अब तक सिर्फ 2009 में ही इस सीट पर कांग्रेस को जीतने का मौका दिया था.
दाहोद सीट की बात करें यहां 91 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में रहती है, यहां 75 प्रतिशत आबादी एसटी समुदाय की है. इसीलिये ये सीट एसटी के लिये आरक्षित है. यहां पर एससी मतदाताओं की संख्या महज 2 प्रतिशत है. यहां की आबादी 24,36,636 है. यदि 2014 की बात करें तो यहां रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 14,11,765 थी, इसमें से 9 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकारका प्रयोग किया था. पलायन और अशिक्षा यहां का मुख्य मुद्दा था, लेकिन हाल फिलहाल के वर्षों में स्मार्ट सीटी योजना में इस शहर के शामील हो जाने के बाद इस शहर के इन दो मुद्दों में सुधार हुआ है।