श्री सत्यसाई सेवा समिति ने ईश्वरम्मा दिवस पर मरीजों एवं उनके परिजनों के बीच नारायण सेवा की ।******** ईश्वरम्मा ने त्याग, करुणा, धैर्य, भक्ति, क्षमा और सहनशीलता के दिव्य गुणों की खान रही-डा. मंगलेश्वरी जोशी ।******** जब-जब भी अवतार हुए हैं उनकी जन्मदात्री माताएं हमेशा कष्ट में ही रही-संदीप दलवी !
श्री सत्यसाई सेवा समिति ने ईश्वरम्मा दिवस पर मरीजों एवं उनके परिजनों के बीच नारायण सेवा की ।********
ईश्वरम्मा ने त्याग, करुणा, धैर्य, भक्ति, क्षमा और सहनशीलता के दिव्य गुणों की खान रही-डा. मंगलेश्वरी जोशी ।********
जब-जब भी अवतार हुए हैं उनकी जन्मदात्री माताएं हमेशा कष्ट में ही रही-संदीप दलवी !
रतलाम । श्री सत्य सांई सेवा समिति द्वारा भगवान श्री सत्यसांई बाबा की माताजी ईश्वरम्मा का निर्वाण दिवस स्थानीय रेल्वे कालोनी स्थित श्री सत्यसाई मंदिर पर श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया। समिति के जिला संयोजक श्री अनिलभट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति द्वारा पिछले 7 दिनों से सतत ईश्वरम्मा दिवस पर बच्चों के नैतिक संस्कार के साथ ही धर्म एवं आध्यात्म में आकर्षण पैदा करने के उद्देश्य से प्रतिदिन कई धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही प्रातःकालीन नगर संकीर्तन भी निकाले गये । ईश्वरम्मा दिवस के पावन अवसर पर शासकीय मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में बच्चों एवं मरीजों के बीच नारायण सेवा के तहत स्वादिष्ट भोजन एवं मीठाई का वितरण भी डा. मंगलेश्वरी जोशी, संदीप दलवी, श्री गौड, श्रीमती प्रीति जय,रमेश मालवीय,हनुमंत रत्नपारखे, दीपक जय, सहित समिति के सेवादल सदस्यों द्वारा किया गया ।
ईश्वरम्मा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए डा. मंगलेश्वरी जोशी ने कहा कि माँ ईश्वरम्मा (अर्थात् ईश्वर या भगवान की माँ) ने त्याग, करुणा, धैर्य, भक्ति, क्षमा और सहनशीलता के दिव्य गुणों की खान रही । आंध्रप्रदेश के एक छोटे से ग्रामीण गाँव में पैदा होने के कारण उनके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी, लेकिन उन्होंने गहन ज्ञान का प्रदर्शन किया, जिसका उपयोग उन्होंने दूसरों के उत्थान के लिए किया।
माँ ईश्वरम्मा ने अपने आस-पास के बच्चों और सत्य साईं बाबा के दर्शन के लिए आने वाले कई भक्तों को प्यार और मार्गदर्शन दिया। हम वास्तव में माता ईश्वरम्मा का उदाहरण पाकर धन्य हैं, जो ज्ञान, प्रेम और विनम्रता का अवतार थीं। सत्य साईं अपनी माँ की पूजा करते थे और उनसे बहुत प्यार करते थे और उनका सम्मान करते थे। हम प्रार्थना करते हैं कि हम उनके उदाहरण का अनुसरण कर सकें और अपनी माँ को कृतज्ञतापूर्वक याद कर सकें और अपना जीवन उनकी खुशी के लिए समर्पित कर सकें।
इस अवसर पर समिति के संदीप दलवी ने कहा जब-जब भी अवतार हुए हैं उनकी जन्मदात्री माताएं हमेशा कष्ट में ही रही है। श्रीराम के जन्म के बाद माता कौशल्या व कृष्ण के जन्म पर माता देवकी ने भी कष्ट झेले। इसी तरह मां ईश्वरम्मा को भी सत्यसांई अवतार होने के बाद अपनी ममता से विमुख होना पड़ा। यह सभी अवतार लीला का अंग है किंतु इन अवतारों ने इनकी माताओं को विश्व पूज्य बना दिया। श्री भट्ट ने ईश्वरम्मा के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा वे अत्यंत ही भोली व सरल हृदय की विदुषी माता रहीं और सत्यसांई बाबा को स्वामी के नाम से पुकारती रहीं। 1971 में अपना भौतिक शरीर त्याग कर वे सांई चरणों में विलीन हो गई। ईश्वरम्मा को बाबा महिला जागृति व बच्चों के विकास का प्रकल्प मानते थे। बाल विकास के बच्चों को ईश्वरम्मा के जीवन का अध्ययन करवा कर समिति के बाल विकास गुरु नैतिकता की शिक्षा देते हैं।
सायंकाल को 6.30 बजे से रेल्वेकालोनी स्थित श्री सत्यसाई मंदिर में आकर्षक झांकी लगाई गई तथा नाम संकीर्तन एवं आध्यात्मिक प्रवचन का आयोजन किया गया । इस अवसर पर बाल विकास के बच्चों को सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतिया देने पर उन्हे पुरूस्कृत किया गया । महामंगल आरती नन्ही बालिका वान्या सोनी ने की तथा प्रसादी वितरण के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ ।