मेरी मां मेरे जन्म के बाद ,मेरी शिक्षा को लेकर शुरू से ही गंभीर भी थी और उत्सुक भी थी । मेरी मां शुरू से धार्मिक प्रवृत्ति की होते हुए एकासन तप, उपवास , आयंबिल तप तथा रोजाना सामायिक करना उनकी जीवन शैली का हिस्सा है । उन्होंने मुझे अंग्रेजी माध्यम में अध्ययन कराने के साथ ही धार्मिक संस्कार भी दिए । मेरी मां गृह कार्य के साथ-साथ मुझे शुरूआती दिनों में पढ़ाती भी थी । उन्हीं की प्रेरणा से ही मैंने हाईस्कूल और हाई सेकेंडरी परीक्षा में करीब 90% से अधिक अंक प्राप्त किए । साथ ही साथ मेरी मां की प्रेरणा से ही मेने विभिन्न धार्मिक और अन्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया । मेरी मां ने मेरी परवरिश के साथ ,मुझे शिक्षा देने के साथ, गृह कार्य होने के बाद भी, जैन विद्या के भाग 1-9 का अध्ययन किया और सभी में उत्तीर्ण भी हुई । साथ ही साथ मेरी मां ने ज्ञानशाला प्रशिक्षिका का 3 वर्षीय कोर्स भी पूर्ण किया और उत्तीर्ण भी हुई और वर्तमान में ज्ञानशाला के बच्चों को पढ़ा भी रही है । मेरी मां की इस उपलब्धि पर तेरापंथ महासभा द्वारा आने वाले दिनों में तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी के समक्ष सम्मान भी किया जाएगा , जो गौरव की बात है । मेरी मां की प्रेरणा से ही मैंने उच्च शिक्षा हेतु , सीए की शिक्षा के लिए इंदौर से अध्ययन कर रही हूं । साथ ही मुझे वह अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के लिए हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित भी करती रहती है । मेरी मां ने मुझे जैन धर्मसंघ अंतर्गत भक्तांबर स्त्रोत , पच्चीस बोल , प्रतीक्रमण भी कंठस्थ करवाया, सामयिक करना, अणुव्रत के नियमों का पालन करना भी मेरी मां ने ही सिखाया है । मेरी मां मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा है और वह मेरे लिए एक रोल मॉडल भी है ।