कालीदेवी

चित्र बहुत कुछ कहता है, सुनने वाला चाहिए*

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        *चित्र, भारतीय जनमानस में व्याप्त लोकतंत्र की गहराई को दर्शाता है! देश में कैसे कैसे जीवट वाले लोकतंत्र के योद्धा हैं, जो पूर्ण प्रण पण से लोकतंत्र को शाश्वत बनाये रखने का प्रयास कर रहे हैं!*
        *ये उन लोकतंत्र विरोधी देशी विदेशी ताकतों को भारत के मतदाता का मुंहतोड़ जवाब है, जो येन केन प्रकारेन भारत के लोकतंत्र को समाप्त करने में जुटे हैं!*
       *जो भी दल, राजनेता या समीक्षक इस चुनाव को मुद्दा विहीन घोषित कर चुके हैं, या घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं, वे सभी देख लें, देश के दूरस्थ क्षेत्र के मतदाता की प्राथमिकता राष्ट्र है, वो देश के विकास में अपनी सक्रिय सहभागिता निभाना जानता है! आम मतदाता के लिए राष्ट्र प्रथम का मुद्दा ही विमर्श में है, अन्य व्यक्तिगत सुख सुविधा गौण हैं!*
        *देश का एक निर्भीक, दिव्यांग मतदाता द्वारा उसके चेहरे पर वोट करने का आत्मविश्वास और आत्म संतोष स्पष्ट दिखाई दें रहा है, जो लोकतंत्र से कह रहा है, कि मैंने आपकी लाज रखी है, समय आने पर आप मुझ मतदाता की भी लाज रखना, ठीक वैसे ही जतन करना जैसे भरी सभा में श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की लाज रखी थी!*
       *चित्र को गौर से देखें, उसके बाएँ हाथ की तर्जनी लोकतंत्र की रक्षा का साक्ष्य प्रस्तुत करती है, वहीं हाथ का अंगूठे पर लगी नीली स्याही, आजादी के अमृत काल में भी शिक्षा व्यवस्था की कमी को प्रदर्शित करता है! शासन द्वारा शिक्षा के उत्थान की सभी योजनाओं चाहे महिला शिक्षा हो या प्रोढ़ शिक्षा हो या हर फलिया, मजरा, टोला में स्कूल खोलने का हो या स्कूल चलो अभियान हो, सभी को धता बताता, दिव्यांग मतदाता का स्याही लगा अंगूठा! ये सरकार को चेतावनी देता नजर आता है कि, मेरी तरह मेरी संतति शिक्षा से वंचित न रहे, मैंने ये वोट मेरी आने वाली पीढ़ी को श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था मुफ्त में उपलब्ध कराने के लिए किया है!*
        *साथ ही ये निर्भीक मतदाता श्रेष्ठ, सहज, सुलभ, मुफ्त स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग करता दिखता है, इसी चित्र में मतदाता का नकली दाहिना पैर, सरकार से कुछ ऐसी ही अपेक्षा करता है, जो उसका अधिकार भी है और समय की आवश्यकता भी!*
          *पुरे विश्व में भारतीय लोकतंत्र ही ऐसी व्यवस्था है, जहाँ मतदाता अपने उज्जवल भविष्य के निर्धारण के लिए जागरूक है! यह मतदाता श्रेष्ठ शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, और सम्मान के लिए तो वोट करता ही है, साथ में लोकतंत्र के शाश्वत होने की कामना करता है!*

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