रतलाम / रोहित पिता सुरेश उम्र 9 वर्ष को आंख में लोहे की कील से चोट लग गई थी, इसके उपचार के लिए गुजरात में कार्यरत उसके पिता ने कई अस्पताल और नैत्र रोग विशेषज्ञों के पास उपचार के लिए चक्कर लगाए किन्तु उन्हें हर बार निराशा हाथ लग रही थी। उसके पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उपचार नहीं हो पा रहा था। उसके पिता उच्च स्तरीय अस्पताल में अपने बच्चे का उपचार कराने के लिए खुद को असहाय महसूस कर रहे थे, किन्तु उन्होंने अपने बच्चे को जिला चिकित्सालय रतलाम लाकर दिखाया।
यहां नैत्र रोग विभाग में कार्यरत स्टाफ ने संवेदनशीलतापूर्वक बच्चे के उपचार हेतु जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन एवं वरिष्ठ नैत्र रोग विशेषज्ञ डा. एम.एस. सागर को बुलवाकर उसका नैत्र परीक्षण कराया। डा. सागर ने नैत्र का सूक्ष्म परीक्षण किया और पाया कि उसके नैत्र में केवल प्रकाश की अनुभूति थी और रोहित की आंख के लैंस मेटर के साथ कार्निया फट गया था जिसके कारण विटरस आंसू की भांति निकल रहा था। डा. सागर द्वारा लैंसेक्टामी के साथ आईरिडेक्टामी और विट्रेक्टामी के साथ कार्नियल टियर रिपेयर किया। रोहित को फालोअप के लिए जिला चिकित्सालय रतलाम बुलाया गया जिसमें परीक्षण उपरांत आशातीत अप्रत्याशित एवं सुखद् परिणाम सामने आए। रोहित सभी दिशाओं से प्रकाश को समझने और प्रकाश किस दिशा से आ रहा है, उसे समझने में पूर्ण रुप से सक्षम हो चुका है। रोहित को हाथ की परछाई दिखने लगी है, एक आपरेशन और करने के बाद रोशनी आने की पूर्ण संभावना है।