झाबुआ —- 5 जुलाई को गुरू शिष्य परपंरा महोत्सव राधा कृष्ण मार्ग राजवाडा चौक पर स्थित राधा कृष्ण सरकार में पीपलखुंटा के प्रख्यातमंहत श्रीश्री1008 श्री जमुनादासजी महाराज के प्रखर शिष्य एवं गोपेष्वर महादेव मंदिर के प्रथम सेवक श्री गोपालदास जी महाराज का भक्ति भाव से मनाया जाने वाला गुरू पूर्णिमा महोत्सव कोरोना संक्रमण के चलते मुख्य आयोजन निरस्थ किया जाकर युटयुब/फेसबुक पर लाईव के साथ अपने अपने घर पर ही गुरूचित्र के साथ मनाया जावेगा। यह जानकारी देते हुए महाराज श्री कि प्रथम शिष्या श्रीमति देविका बैरागी ने बताया की भारतीय संस्कृति में सदगुरू का स्थान ब्रम्हा विष्णु महेश से भी श्रेष्ठ होता है व गुरू पूर्णिमा का यह पर्व गुरू के प्रति शिष्यो कि अगाध भक्ति व श्रद्वा पूर्वक पूजन का यह दिवस होता है,साथ ही श्रीमति बैरागी ने अपने गुरू गोपालदासजी महाराज के जीवन पर प्रकाष डालते हुवे बतलाया कि उनके जैसा तपस्वी भजनांदी एवं सरल सहज एवं मार्मिक स्वभाव वाले संत उनके जीवन में नही देखे,वर्षो तक पुलिस सेवा में रहते हुवे इन्होने पुलिस लाईन में शिव मंदिर कि स्थापना कि गई आज उस मंदिर का नाम इन्ही के नाम से गोपेश्वर महादेव नाम हुवा सेवा निवत्ति पष्चात महाराज श्री अपने गुरू आश्रम पिपलखुंटा रहने गये परन्तु भजन पूजन में बाधा आने से ये कनकबिहारी आश्रम कोटेश्वर धाम नर्मदा किनारे मंहत श्री कमलदास जी महाराज के सानिध्य में अपना जीवन यापन करने लगे।परन्तु इनके भक्तो का प्रेम एवं प्रार्थना इन्हे झाबुआ खिच लाई झाबुआ में लगभग 13 वर्षो तक राधाकृष्ण मार्ग स्थित राधा कृष्ण सरकार में विराजकर अपने शिष्यों को धार्मिक ज्ञान गंगा बहाते रहे दिनांक 5दिसंबर 2002को प्रात 4 बजे इनका हरिशरण हो गया। गुरू जी का अपने शिष्यो से इतना प्रेम था कि प्रत्येक गुरू पुर्णिमा महोत्सव हेतु उनके गुरू आश्रम पीपलखुंटा से अपने भक्तो को दर्षन देने आते थे एवं भोले भाले भक्तो के साथ पर्व को मनाते थे। ऐसे मृदुभाषी संतसगी संत का गुरू उत्सव प्रातः10.00 बजे से सोशल मिडिया के माध्यम से युटयुब/फेसबुक पर लाईव के साथ सादगी सदभाव एवं आदर पूर्वक मनाया जावेगा जिसमे पादुका पुजन,व्यास पुजन,दिनभर चलने वाली दीप प्रज्जवलित की जाकर महाआरती का प्रसारण दोप 12.00 बजे लाईव किया जावेगा। श्रीमति बैरागी ने सभी गुरूभक्तो व श्रृद्वालुओ से अपील की गई है कि कोरोना संक्रमण के चलते गुरू भक्त अपने घर पर ही रह कर इस पावन प्रसंग का लाभ लेवे।