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झाबुआ

कलेक्टर द्वारा जिले में संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों के नियंत्रण हेतु जाँच दल का गठन

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         झाबुआ 31 जुलाई, 2024।  कलेक्टर नेहा मीना के आदेशानुसार आयुक्त चिकित्सा शिक्षा म.प्र. संचालनालय, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, भोपाल के परिपालन में जिले में संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे अमानक चिकित्सकीय व्यवसाय को नियंत्रित करने हेतु जिले के अधिकारिथों का अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत जॉचकर निर्देशानुसार/नियमानुसार कार्यावाही करने हेतु जाँचदल का गठन किया गया है। जिसमें अनुविभागीय विभागीय अधिकारी (राजस्व) झाबुआ, मेघनगर, थांदला एवं पेटलावद को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। खण्ड चिकित्सा अधिकारी (संबंधित) को सचिव नियुक्त किया गया है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार झाबुआ, मेघनगर, थांदला, पेटलावद, रामा, रानापुर, सारंगी, झकनावद एवं खवासा तथा थाना प्रभारी (संबंधित) को सदस्य नियुक्त किया गया है।
         उक्त गठित जाँचदल शासन निर्देशानुसार अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे अमानक चिकित्सकीय व्यवसाय की सतत जांचकर नियमानुसार कार्यावाही करेगें। शासन निर्देशः- जिले में अपात्र व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा अनैतिक व्यवसाय को नियंत्रित करने हेतु समस्त जिला क्षेत्रान्तर्गत ऐसे अमानक क्लीनिक्स व चिकित्सकीय स्थापनाओं को तत्काल प्रतिबंधित किया जाए, जन समुदाय में ऐसे अपान्न व्यक्तियों से उपचार प्राप्त करने पर संभावित दुष्परिणामों के संबंध में जागरूकता लाई जाए एवं शासन द्वारा ग्रामीण स्तर तक उपलब्ध कराई जा रही स्वस्थ्य सेवाओं के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित की जाए।
        अतः स्पष्ट है, कि बिना उचित पंजीयन के ऐसे अमानक चिकित्सकीय स्थापनाओं का संचालन उक्त विनियामक अधिनियम का उल्लंघन है एवं विधिक कार्यवाही उपरान्त दण्डनीय अपराध है। यह भी उल्लेखनीय है, कि चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम, 1973 यथा संशोधित 5 अधिनियम, 1975 एवं संशोधन अधिनियम, 2008 की धारा 7-ग अनुसार डॉक्टर अभिधान का उस व्यक्ति के नाम के साथ उपयोग किया जा सकेगा, जो कोई मान्यता प्राप्त चिकित्सकीय अर्हता धारित करता हो और जो तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा स्थापित किसी बोर्ड या परिषद या किसी अन्य संस्था में चिकित्सा व्यवसायी के रूप में रजिस्ट्रीकृत है तथा अन्य कोई व्यक्ति स्वयं को चिकित्सा व्यवसायी के रूप में अभिव्यक्त करने के लिए डॉक्टर अभिधान का उपयोग नहीं करेगा, उपरोक्त वर्णित अधिनियम की धारा 7-ग के उल्लंघन में कारावास की कालावधि 3 वर्ष तक व जुर्माना पचास हजार रूपये तक का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि धारा का संबंध गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से है, म.प्र. उपचर्यागृह  तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 की धारा 3 का उल्लघंन, न्यायालय में दोषसिध्दी  (Conviction) होने पर दण्डनीय है जिसके प्रावधान धारा 8 में वर्णित है, निजी चिकित्सकीग स्थापनाओं के पंजीयन एवं अनुज्ञापनकर्ता अधिकारी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी है। अवएव, गैर मान्यता प्राग्न संस्थाओं, अपात्र व्यक्तियों द्वारा संचालित चिकित्सकीय स्थापनाओं का संचालन पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा उचित विधिक कार्यवाही हेतु संबंधित जिला अभियोजन अधिकारी (District Prosecution Officer) को प्रकरण के समस्त तथ्य तत्काल उपलब्ध कराए जाए ताकि उचित वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित हो सके।

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