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विदेशी कंपनियों में जमा धोखाधड़ी का 43.77 लाख रुपया वापस भारत लाया गया, पुलिस का दावा-मध्‍य प्रदेश का पहला मामला

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विदेशी कंपनियों में जमा धोखाधड़ी का 43.77 लाख रुपया वापस भारत लाया गया, पुलिस का दावा-मध्‍य प्रदेश का पहला मामला

रतलाम की पुलिस ने आज एक महत्‍वपूर्ण जानकारी दी है। इसमें खुलासा किया है कि मध्‍य प्रदेश में पहली बार ऐसा अवसर है कि धोखाधड़ी का पैसा वापस भारत लाया गया है। एसपी राहुल कुमार लोढा ने मीडिया को ब्रीफ करते हुए बताया कि जापान व सिंगापुर बेस्ड कंपनियों से 108 करेंसी में उक्त रुपया देश में वापस लाने का मध्यप्रदेश में यह पहला मामला है।

नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। एमटीएफई कंपनी द्वारा निवेश कर कम समय में अधिक लाभ कमाने का लालच देकर लोगों के साथ करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी करने के बहुचर्चित मामले में रतलाम पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने करीब एक वर्ष की मेहनत के बाद विभिन्न विदेशी कंपनियों में जमा धोखाधड़ी का 43.77 लाख 503 रुपये (भारतीय मुद्रा) वापस भारत लाया गया है। उक्त रुपया सरकारी खाता खोलकर उसमें जमा कराया गया। जापान व सिंगापुर बेस्ड कंपनियों से 108 करेंसी में उक्त रुपया देश में वापस लाने का मध्यप्रदेश में यह पहला मामला है।

एसपी राहुल कुमार लोढा ने शुक्रवार को पत्रकारवार्ता में बताया कि एक वर्ष पहले एमटीएफई क्रिप्टो करेंसी फ्राड के जिले में दो मामले दर्ज किए गए थे। एएसपी राकेश खाखा, सीएसपी अभिनव कुमार बारंगे, जावरा सीएसपी दुर्गेश आर्मो के मार्गदर्शन में जावरा औद्योगिक क्षेत्र, स्टेशन रोड थाना व सायबर सेल की संयुक्त टीम गठित कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

टीम ने कार्रवाई करते हुए अगस्त 2023 में आरोपित हुजैफा जमाली बोहरा निवासी नीमच, वाजिद व वसीम दोनों निवासी जावरा, गोविंदसिंह चंद्रावत निवासी ग्राम तुमरी (मंदसौर) व संदीप टांक निवासी प्रतापगढ़ (राजस्थान) सहित सात आरोपितों को गिरफ्तार किया था।

इसके बाद सितंबर 2023 में एमटीएफई से जुड़ी कंपनी कलिन स्केम प्रायवेट लि. के मालिक आरोपित योगानंदा बांबोरे निवासी बैंगलुरू (कर्नाटक) को भी गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान निवेशकों को दिए गए एमटीएफई के क्यूआर कोड/टीआरसी -20 के एड्रेस एकत्र किए गए।

मंदसौर, रतलाम, धार, नीमच, रतलाम, उज्जैन व राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के 373 पीड़ितों ने क्यूआर कोड़ जमा कराए थे। इनमें रतलाम जिले के 266 पीड़ित शामिल थे, जिनसे 1.43 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी। एमटीएफई फ्राड में संलिप्त कलिन कंपनी के डायरेक्टर योगानंदा बमोरे से पूछताछ कर बाइनेंस हुओबी टीआरसी 20 आदि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज प्लेटफार्म की जानकारी ली गई।

अनेक देशों में पाया गया फ्राॅड

विभिन्न माध्यमों से जानकारी प्राप्त कर पुलिस ने करीब 10.48 लाख टीआरसी 20 के एड्रेस प्राप्त किए, जिनमें एमटीएफई क्यूआर कोड द्वारा बड़ी मात्रा में रुपयों का लेनदेन अलग-अलग देशों से करना पाया गया। इनका एनालिसिस करने पर एमटीएफई द्वारा भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान व नाइजीरिया में भी इस तरह का फ्राड करने पाया गया।

टीआरसी20 से करेंसी कनवर्ट करने के लिए 56 काउंटरपार्टी एक्सचेंज का उपयोग किया गया, जिनमें मुख्य रूप से बाइनेंस, कूकाइन, ओक्स, हुओबी, बायबीट, यूएसडीटी-टोकन, एमइएख्स, सनक्रप्टो आदि एक्सचेंज शामिल है।

बायनेंस से संपर्क कर जानाकरी ली गई तथा एनालिलिस कर मुख्य खाता यूएलडी-301254931 चिन्हित किया गया, जिसमें भारत से ठगे गए करीब 40 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआहै।

बायनेंस का खाता प्रकरण के मुख्य आरोपित इनाकू पामे के नाम रजिस्ट्रड है। बायनेस के उक्त खाते को भारत के अलावा सिंगापुर,, मलेशिया से अलग-अलग डिवाइस पर रजिस्ट्रर्ड कर खाते का उपयोग किया गया था।बायनेंस के खेता पर भारत के साथ मलेशिया के मोबाइल नंबर भी रजिस्‍टर्ड होना पाए गए।

कोर्ट के आदेश से सरकारी खाते में लिए रुपये

एसपी राहुल कुमार लोढा व सायबल सेल ने बाइनेंस कंपनी से गुगल मीट व मेल के जरिए संपर्क कर जानाकरी ली। जांच में पाया गया कि एमटीएफई खाते से कनेक्टेड बायनेंस के 41 खातों में रुपये ट्रांसफर किए थे।

पुलिस ने न्यायालय के आदेश से उक्त खातों को फ्रिज कराया। उक्त खातों में करीब 44141 डालर (भारतीय मुद्रा में 43.77 लाख 503 रुपये) जमा थे। उक्त राशि लेने के लिए राजस्व नाम से सरकारी खाते खोले गया।

उक्त राशि अपराध से संबंधित होने से शासकीय खाते में लेने के लिए बायनेंस कंपनी से पत्राचार किया गया तथा उक्त राशि सरकारी खातों में रिफंड कराई गई।

मणिपुर के हैं मुख्य आरोपित

एसपी राहुल कुमार लोढा ने बताया कि जांच में सामने आया है कि पूरे फ्राड के मुख्य आरोपित मणिपुर के रहने वाले इनाकू पामे व मार्सी पामे है। इन दोनों को भी आरोपित बनाकर उनकी तलाश की जा रही है।

यह भी पता चला है कि इनाकू पामे ने एमटीएफई एप बनाया था। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। पीडितों को राशि न्यायालय से आदेश होने पर दिलाई जाएगी।

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