झाबुआ – वन विभाग में कर्मचारीयो की मनमानी कार्यशाली , मेघनगर में घुमटी वाले को अतिक्रमण की सुविधा देने वाले को संरक्षण देने के साथ-साथ , विभाग में मूल पद स्थापना को छोड़कर कर्मचारी अपने मनमानी स्थापना पर कार्य कर रहे हैं । वहीं विभाग में नाकेदार / वन रक्षक के पद पर पदस्थ होने के बाद जंगल में ड्यूटी करने के बजाय यह कर्मचारी कंप्यूटर बाबू बनकर शासन द्वारा प्रदत बजट को रफा दफा करने में ही लगा रहता है वहीं विभाग के आला अधिकारी भी इसे मूल पद स्थापना पर भेजने के बजाय ऑफिस कार्य करा रहे हैं जो की जांच का विषय है। जंगलों में सुरक्षा करने के नाम पर भर्ती हुए वनरक्षकों से उनकी मूल ड्यूटी कराए जाने के संभवतः आदेश हुए थे । स्पेशल ड्यूटी के नाम पर दफ्तरों में बाबू बनकर बैठे वनरक्षकों को जंगल भेजने के आदेश अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जारी कर दिए थे इसके अंतर्गत ऐसे वनरक्षक जो पिछले 10 वर्षों से जंगल ड्यूटी से बचे हुए हैं और जिनकी पोस्टिंग फील्ड के लिए हुई थी लेकिन साथ घटकर सुबह 10 से शाम 5 की ड्यूटी कर रहे हैं ऐसे सभी वंनरक्षकों को तत्काल जंगल भेजने के आदेश संभवत जारी हुए थे । वही इंदौर वन विभाग द्वारा आदेश के तहत सभी वन रक्षकों को जंगल की सुरक्षा में लगाया गया। लेकिन झाबुआ में आज भी एक ऐसा वनरक्षक या नाकेदार जिसकी मूल पद स्थापना जंगल की सुरक्षा करना है को छोड़कर विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर कंप्यूटर बाबू बनकर वन विभाग के बजट को सिर्फ रफा दफा करने में ही व्यस्त रहता है । यह बाबू अपने चाहते ठेकेदार को किस तरह उपकृत करना तथा किस तरह से आर्थिक लाभ पहुंचाना, में ही लगा रहता है । यह कंप्यूटर बाबू संभवत मूल रूप से जंगलों में ड्यूटी से बचते हुए दफ्तर में बाबूगिरी करने में व्यस्त रहता है तथा विभागीय कर्मचारियों के ट्रांसफर करना आदि में भी विशेष रूप से रुचि लेकर कार्य करता है । विभागीय सूत्रों के अनुसार कंप्यूटर बाबू ने पूर्व में विशेष ठेकेदार को कई बार आर्थिक लाभ पहुंचाने का प्रयास किया और लाभ भी लिया । उनसे मनमाने दामों में सामग्री खरीदी में , इस कंप्यूटर बाबू की विशेष भूमिका रही । वही विभागीय कर्मचारियों से भी भूगतान संबंधी वाउचर पर आनलाइन पेमेंट के लिए परेशान किया जाता है । ईमानदारी पूर्वक कार्य करने वाले कर्मचारियों को काफी दिक्कतें आती है । यह बात भी समझ से परे है अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के आदेश का पालन इंदौर जिले में तो हुआ, लेकिन झाबुआ जिले में नहीं। यह चिंतन का विषय है या फिर झाबुआ वन विभाग उन आदेशों को मानने को तैयार नहीं । जानकारों का कहना है कि यदि इस कंप्यूटर बाबू की आय से अधिक संपत्ति की जांच भी की जाए,तो एक बड़े खुलासा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता । आने वाली खबर में… किस दलाल द्वारा आरा मशीन संचालक से, जांच दल से किसी भी कार्रवाई न करने के लिए राशि 50000 की मांग की है या लिए हैं ।