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झाबुआ

जब-जब धरती पर अन्याय अत्याचार बढ़ता है धर्म की हानि होती है तब तक भगवान अलग-अलग रूपों में अवतार लेते है- पडित अनुपानंद जी । भागवत कथा में सतत बढ रही कथाश्रावकों को भीड ।

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जब-जब धरती पर अन्याय अत्याचार बढ़ता है धर्म की हानि होती है तब तक भगवान अलग-अलग रूपों में अवतार लेते है- पडित अनुपानंद जी ।
भागवत कथा में सतत बढ रही कथाश्रावकों को भीड ।

झाबुआ । जब-जब धरती पर अन्याय अत्याचार बढ़ता है धर्म की हानि होती है तब तक भगवान अलग-अलग रूपों में अवतार लेते हैं उक्त उदगार श्री नवग्रह शनि मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा के चैथे दिवस पण्डित अनुपानंदजी  ने उपस्थित भागवत श्रद्धालुओं को संबोाित करते हुए कहीं । कथा के दौरान बली वामन संवाद, सूर्यवंश वर्णन, राम जन्म, चंद्रवंश वर्णन के साथ ही उल्लास के साथ  श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।कृष्ण जन्म का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि अत्याचारी कंस ने अपने पिता बहन देवकी को अपनी सत्ता बचाने के लिए जेल में डाल दिया तथा अपने स्वयं की पूजा करवाने का धर्म विरुद्ध कार्य करते हुए साधु संतों पर अनगिनत अत्याचार किया। श्री हरि का नाम लेने पर आमजन के साथ दुव्र्यवहार अत्याचार करता था ऐसे समय धर्म की स्थापना के लिए भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। कथा पाण्डाल में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धुमधाम से मनाया गया। महिलाओें ने नृत्य कर अपनी भक्ति भावना को व्यक्त किया ।


कथा के दौरान पण्डित अनुपानंदजी ने सूर्यवंश का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत महापुराण के मुताबिक चंद्रमा को दिए वरदान की वजह से ही द्वापर में भगवान नारायण यदु कुल में अवतरित हुए और चंद्र वंश की महिमा बढ़ाई। शास्त्रीय मान्यता है कि भगवान राम के जन्म के समय से ही रामनवमी के दिन ठीक 12 बजे सूर्य की गति थम जाती है। यही वजह है रामनवमी की दोपहरी थोड़ी लंबी होती है। सूर्यवंश विशेष रूप से अयोध्या के राजा राम से जुड़ा है, जिनकी कहानी रामायण में बताई गई है। वंश के नियम के अनुसार राम असली उत्तराधिकारी थे, लेकिन क्योंकि उनके पिता राजा दशरथ ने अपनी तीसरी रानी कैकेयी से वादा किया था, जिन्होंने राम को 14 साल के लिए वन में निर्वासित करने के लिए कहा था और उनके अपने बेटे को राम के स्थान पर ताज पहनाया गया था, राम थे शासन करने से अयोग्य, हालांकि, कैकेयी के पुत्र भरत ने कभी भी सिंहासन स्वीकार नहीं किया, लेकिन राम के वनवास से वापस आने तक प्र्रतिनिधि के रूप में शासन किया।
उन्होने आगे बताया कि सतयुग में दैत्यराज बलि हुए थे जो विष्णु भक्त भगवान प्रह्रलाद के पौत्र थे। राजा बलि ने अपने पराक्रम और बल से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था जिस कारण से सभी देवी-देवताओं में हडकंप मच गया था। तब राजा बलि से रक्षा के लिए सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने सभी देवी-देवताओं की रक्षा का वचन देते हुए कहा कि मैं देवमाता अदिति के यहां वामन देव के रूप में जन्म लूंगा। भगवान विष्णु ने सभी देवी-देवताओं की रक्षा का वचन देते हुए कहा कि मैं देवमाता अदिति के यहां वामन देव के रूप में जन्म लूंगा। वामन देव भगवान विष्णु के अवतार थे इसलिए इस तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। भगवान वामन का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वादशी तिथि पर दोपहर अभिजीत मुहूर्त में हुआ था इसी कारण से इनका जन्मोत्सव दोपहर के समय विधि -विधान के साथ किया जाता है।

गुजरात के भक्तों का स्वागत
पंडित अनुपानंदजी के भक्त गुजरात राज्य के अहमदाबाद से कथा का श्रवण करने आए। श्री द्वारिकाधीश मित्र मंडल अहमदाबाद के रामवीरसिंह चैहान, आदेशसिंह चैहान, इंदलसिह चैहान, गोवर्धनसिंह चैहान, अजयसिंह चैहान, पीयूषसिंह चैहान, हरेंद्रसिंह चैहान, नरेंद्रसिंह चैहान आदि भक्तो का समाज के सह सचिव कुलदीप पंडियार ने गले में गमछा डालकर स्वागत किया।
लाभार्थी परिवार का किया स्वागत
श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिन के लाभार्थी परिवार का कथा के अंत में स्वागत किया गया। लाभार्थी शांतिबाई सागरमल मावर, मंजू गोवर्धनलाल गोलानिया के गले में गमछा एवं नितेश गोवर्धनलाल गोलानिया को गले में गमछा व साफा बांधकर तथा श्रीफल भेटकर समाज के सह सचिव कुलदीप पंडियार ने स्वागत किया तथा समाज के वरिष्ठ सदस्य रामनाथ देवचंद झरवार द्वारा प्रतिक चिन्ह देकर लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया। स्वागत समारोह के पश्चात लाभार्थी परिवारों द्वारा भागवतजी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।

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