करवा चौथ का व्रत सभी सुहागन महिलाएं निर्जला रहकर अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए रखती है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ।
20 अक्तुबर को श्रद्धा के साथ मनायेगी सुहाग का पर्व करवा चौथ .
झाबुआ ।करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है और रात के समय चांद देखकर ही इस व्रत का पारण किया जाता है।करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है।उक्त जानकारी ज्योतिषशिरोमणी पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ने देते हुए बताया कि करवा चैथ का व्रत सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु की कामना करके रखती है। करवा चौथ व्रत की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं। करवा चैथ का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है।
करवा चौथ हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रत है, जो हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान से करवा माता की पूजा अर्चना करती हैं। करवा चैथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास और मिठास बढ़ाता है। इस पर्व को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि करवा चैथ व्रत की शुरुआत सरगी खाने से होती है, जो सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले तक खाई जाती हैं इस बार करवा चैथ पर 21 मिनट का भद्रा का साया रहेगा ऐसे में महिलाएं करवा चैथ का व्रत कैसे शुरू करें
वे बताते है कि पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 21 अक्तूबर दिन सोमवार को तड़के सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। करवा चौथ के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर 2024 की शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा। ये मुहूर्त शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस दौरान विधि विधान से करवा माता की पूजा की जा सकती हैं.
करवा चैथ के उपवास में चांद की अहम भूमिका होती हैं, क्योंकि बिना इसके उपवास अधूरा होता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चैथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 44 मिनट का है। ऐसे में आप 7 बजकर 53 मिनट के बाद चंद्रमा की पूजा कर व्रत का पारण कर सकते हैं।
इस साल 2024 में करवा चौथ के दिन भद्रा का साया रहेगा। यह भद्रा दिन में केवल 21 मिनट के लिए ही रहेगी, जिसका वास स्थान स्वर्ग है। ज्योतिष गणना के अनुसार, करवा चैथ पर भद्रा का साया सुबह 06 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा, लेकिन यह व्रत के शुरुआत में ही है इसलिए करवा चैथ व्रत पर भद्रा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अगर किसी को भद्रा का डर सता रहा है तो वह इस दिन माता के 12 नामों को लेने के बाद ही करवा चैथ व्रत की शुरुआत करें। ऐसा करने पर भद्रा की आंच पति पर नहीं पड़ेगी। इस साल करवा चैथ का व्रत रखने वाली सभी सुहागिन महिलाओं को इन 12 नामों को लेकर ही व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। इसमें धन्या, महारुद्रा, कुलपुत्रिका, दधीमुखी, खरानना, भैरवी, महाकाली, असुरक्षयकाली, भद्र, महामारी, विष्टि, कालरात्रि नाम शामिल है।
श्री व्यास बताते है कि करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है. करवा चैथ व्रत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में मुख्य रूप से मनाया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ व्रत करने से पति निरोगी व दीर्घायु होता है। परिवार में अंनत खुशियां व सुख-समृद्धि का आगमन होता है और वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाएं खत्म होती हैं।
वे बताते है कि मान्यताओं के अनुसार, करवाचैथ का व्रत सभी सुहागन महिलाएं निर्जला रहकर अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए रखा था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, एक बार जब देवताओं का राक्षसों के साथ युद्ध चल रहा था तो उस समय सभी राक्षस देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। तो सभी देवी ब्रह्मदेव के पास पहुंचते हैं और उन्हें सारी बात बताई और उनसे कहा कि वह अपनी पतियों की रक्षा के लिए क्या कर सकती हैं। तब ब्रह्मदेव ने उन्हें करवा चैथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। ब्रह्मदेव के बताए अनुसार, सभी महिलाओं ने करवा चैथ का व्रत रखा जिस वजह से देवताओं की रक्षा हो सकी। तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है।उनका कहना है कि ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करवा चौथ के दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए सुहागिन महिलाएं चंद्रमा से अपनी पति की सुख समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए चंद्रमा का पूजन करती हैं।