झाबुआ- जिले में निजी स्कूल संचालकों द्वारा ट्यूशन फीस के रूप में अभिभावकों से पूरी फीस वसूली जा रही है लगातार शिकायत होने के बाद भी जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है जबकि सरकार द्वारा स्कूल प्रारंभ करने के लिए नियम तो सभी के लिए एक समान बनाए जाते हैं और उन नियमों का पालन करना भी सभी निजी स्कूल संचालकों का प्रथम कर्तव्य हैं । लेकिन वही जब ट्यूशन फीस को लेकर बात आती है तो सभी स्कूलों की ट्यूशन फीस अलग-अलग होती है स्कूल प्रारंभ करने के लिए मापदंड तो सभी के लिए समान है फिर इस तरह ट्यूशन फीस में भिन्नता क्यों..? ट्यूशन फीस को लेकर कोई तय मापदंड नहीं होने के कारण कई निजी स्कूल संचालक मनमाने रूप से फीस वसूली अभियान में लगे हुए हैं । जिससे जिले की जनता इस फीस वसूली अभियान से परेशान है वही प्राइमरी और प्री प्राइमरी सेक्शन के बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जब इस वर्ष ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही पढ़ाई प्रारंभ नहीं की गई ,तो फिर फीस किस बात की…।
पेटलावद के निजी स्कूल का मामला….. महिषी धर्मपाल दयानंद आर्य विद्या निकेतन (एमडीएच) संस्था बामनीया के द्वारा सेवा की मंशा से स्कूल का निर्माण किया गया था । इस स्कूल के लिए भूमि भी दान में दी गई थी । यहाँ कोरोना में बन्द पड़े स्कूलों के कारण संस्था ने बच्चों के लिए ऑन लाइन शिक्षा की व्यवस्था मोबाइल एप के माध्यम से की थी । जिसके लिए संस्था ने बच्चों के पालकों से ट्यूशन फीस के नाम पर फीस वसूल की और जिन बच्चों के परिजनों द्वारा ऑन लाइन शिक्षा हेतु ट्यूशन फीस देने की सहमति नही दी तो उनको आनलाइन शिक्षा के एप से नही जोड़ा गया था जिन बच्चों के परिजनों ने समय पर ट्यूशन फीस नही जमा की ,उनको शिक्षा से वंचित कर मोबाइल एप से बहार कर दिया गया । पेटलावद नगर के मनीष गांधी और दीपक झाड़मता जिनके बच्चे लम्बे समय से एमडीएच संस्था में पढ़ाई कर रहे है ओर प्रतिवर्ष संस्था द्वारा निर्धारित फीस जमा करते आ रहे है । कोरोना संकट में ऑन लाईन पढ़ाई की फीस समय से जमा नही करने पर संस्था द्वारा बच्चों को ऑन लाइन पढ़ाई से वंचित कर एप से बहार कर दिया गया ।कई बार रिक्वेस्ट भेजने के बाद भी वापस नही जोड़ा गया । बच्चों के परिजन मनीष गांधी और दीपक झाड़मता ने बताया कि जब संस्था में ट्यूशन फीस जमा करने गए तो संस्था द्वारा लेट फीस के नाम पर अतिरिक्त राशि ली गई । दीपक झाड़मता के अनुसार उसके बच्चे की फीस 8200 और मनीष गांधी के अनुसार 8000 हजार थी उसमे दो से चार हजार तक अतिरिक्त राशि वसुली गई । अतिरिक्त राशि का पूछे जाने पर संस्था का कहना था कि ट्यूशन फीस में माह अक्टूबर के अंत तक राशि जमा करने पर 50 प्रतिशत की छूट थी और अक्टूबर के बाद इस छूट को घटा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया । एक ओर राज्य और केंद्र सरकारें निजी संस्थाओं पर फीस वसुली पर रोक लगा रही है तो वही शिक्षा को पूरी तरह व्यवसाय बना चुकी निजी संस्थाएं किसी न किसी प्रकार से फीस वसुली कर तरीका ईजाद कर वसुली करने में कामयाब हो ही जाती है ।.
कुछ ऐसा ही झाबुआ के आईपीएस स्कूल में भी हुआ जहां कक्षा आठवीं के बच्चों को स्कूल फीस जमा नहीं करने पर परीक्षा से वंचित किया गया । वही कक्षा आठवीं के बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि आईपीएस झाबुआ द्वारा कक्षा आठवीं के ट्यूशन फीस के रूप में ₹35000 इस वर्ष भरने की बात कहीं जा रही है और लगातार मोबाइल पर मैसेज भी भेजे जा रहे हैं वही पालकों का कहना है कि जब ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई और कोराना काल संकट को देखते हुए स्कूल प्रशासन को फीस में कटौती की जाना चाहिए । लेकिन वही आईपीएस झाबुआ द्वारा पिछले वर्ष ट्यूशन फीस के रूप में ₹32000 वसूले गए थे जो इस वर्ष ₹35000 कर दिया गया । कई अभिभावकों का यह भी मत है कि स्कूल के शिक्षको की सैलरी की बात को देखते हुए 50% फीस भरने को तैयार है वही प्राइमरी के बच्चों के अभिभावकों का कहना है नो स्कूल नो फीस का नारा लगाते हुए कह रहे हैं या आंशिक रूप से फीस भरने की बात कह रहे हैं ।
वहीं पेटलावाद के.एक निजी स्कूल संचालक के फीस वसूली को लेकर दबाव बनाने के मामले में अभिभावको में भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कोरोनाकाल की वजह से शहर में 23 फीसदी लोग तो ऐसे है जो मकान, वाहन सहित अन्य मासिक किश्त भी नही चुका पा रहे है। इसके अलावा कई लोग अपनी नौकरी खो चुके है। अभिभावको का कहना है कि ऐसे दौर में निजी स्कूलो को मोटी फीस कहां से चुकाए। मामला है सेंट मेरी कांन्वेंट स्कूल का ,दरअसल स्कूल प्रबंधन ने अभिभावको को एक सूचना पत्र जारी किया है कि कारोना महामारी के चलते कक्षा 1 से 8वीं के विद्यार्थी आँनलाइन एवं कक्षा 9वीं से 12वीं के विद्यार्थी आँनलाइन के साथ आंशिक कक्षाओ के माध्यम से अध्यन कर रहे है, किंतु कुछ अभिभावको का कहना है कि नो स्कूल नो फीस, जो पालक अपने बच्चो को आॅनलाइन या आॅफलाइन के माध्यम से अध्ययन नही करवना चाहते है तथा स्कूल फीस नही जमा करना चाहते है, ऐसे विद्यार्थी अगले वर्ष पिछली यानि उसी कक्षा में ही रहेंगे अतः ऐसे विद्यार्थीयो को किसी प्रकार का जनरल प्रमोशन नही दिया जाएगा। स्कूल प्रबंधन द्वारा जारी किया गया यह सूचना पत्र अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिससे सभी अभिभावको में आक्रोश है। अभिभावको ने स्कूल के आॅनलाइन क्लास को लेकर भी सवाल उठाए है।
निजी स्कूल संचालक ट्यूशन फीस के नाम पर प्रदेश के मामा के भांजे भांजीयो से फीस के नाम पर वसूली कर रहे हैं । शासन द्वारा स्कूल प्रारंभ किए जाने को लेकर निजी स्कूल संचालकों के लिए मापदंड तो एक समान हैं लेकिन फीस वसूली को लेकर सभी स्कूल संचालक अपने स्तर से फीस वसूल रहे हैं या फिर शासन को ट्यूशन फीस की गाइडलाइन सभी स्कूलों में एक समान की जाना चाहिए , ऐसा अभिभावकों का मानना है.। स्कूल फीस का मामला एक या दो जिले का नहीं, वरन संभवत पूरे प्रदेश में एक सी स्थित है है । जनता फीस को लेकर भयभीत है । प्रदेश के भांजे भांजीयो के मामा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, निजी स्कूल संचालकों की भारी भरकम फीस से निजात दिलाएंगे या फिर फीस के नाम पर वसूली अभियान चलता रहेगा ।
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