अथाह भीड के बाद भी शांतिपूर्ण तरिके से की जारही शिव पुराण महाकथा
’’’रतलाम । कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने रतलाम में आयोजित गुरुवार को शिव पुराण कथा में कहा कि सारे दुख और समस्या का एक ही हल, एक लोटा शिव को जल चढ़ाने की प्रेरणा पांडाल में उपस्थित लाखों लोगों को दी । कथा की शुरुआत में भला किसी का कर न सको तो बुरा किसी का मत करना पुष्प नहीं बन सकते तो तुम कांटे बनकर मत रहना भजन की प्रस्तुति दी इस भजन पर मदमस्त होकर हजारों शिवभक्त झूम उठे । पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने प्रवचन में कहा कि शिव पुराण एक प्रकार से कुआ और बावड़ी है जिस प्रकार इनमें बार-बार बाल्टी डालकर पानी लेते हो उसी प्रकार शिव पुराण की भक्ति में जितना खुद को डूबोओगे तभी तो कुछ धर्म लाभ प्राप्त कर पाओगे । राजनीति पर प्रहार करते हुए आपने कहा कि राजनेताओं के कारण आज सनातन धर्म विभाजित हो गया है जबकि सनातन धर्म की किसी भी पुराण में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को अलग नहीं बताया गया है । हमारा सनातन धर्म जात-पात में बटा नहीं है लेकिन कुछ लोगों ने सनातन धर्म के टुकड़े टुकड़े कर दिए हैं । शिव पुराण व्यासपीठ यह कहती है कि राम हो या कृष्ण या हो गुरु हमें तो सिर्फ भजन और आराधना को मन व दिल से भजना है । पंडित मिश्रा ने प्रवचन में कहा कि दूसरों में बुराई ढूंढना बहुत सरल है किंतु खुद में बुराई ढूंढना बहुत मुश्किल है चोर को चोर, बेईमान को बेईमान, कपटी को कपटी और अधर्मी को अधर्मी ही नजर आता है यदि किसी को सत्य का आईना दिखाया जाएगा तो उसे थोड़ा गुस्सा और क्रोध भी आएगा किंतु सच यह है कि दर्पण को मत तोड़ो क्योंकि दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता । राजनेता, व्यापारी, डॉक्टर, वकील, थानेदार और चोर सभी अगरबत्ती लगाते हैं सबके अपने अपने कर्म है लेकिन दो अगरबत्ती मे भगवान सबकी सुनता है । यदि अपने कर्मों से किसी के चेहरे पर प्रसन्नता लाते हैं तो वह सबसे बड़ी आराधना और पूजा है । पंडित श्री मिश्रा आगे कहा कि सत्कर्म करने वाले को कभी कष्ट मत दो उसके सत्कर्म में व्यवधान उत्पन्न मत करो, बल्कि उसे सत्कर्म करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करो यदि कोई मंदिर, देवालय और तीर्थ यात्रा पर जाता है तो उसे प्रोत्साहित करो छोटे बच्चों को को भी एक लोटा जल मंदिर पर चढ़ने के लिए माताएं प्रेरित करें । ’’युवतियों को दिलाया संकल्प। ’’’प्रवचन के दौरान पंडित मिश्रा ने कहां की मां बहन प्रसव पीड़ा के समय नया जन्म लेती है प्रसव के समय उसे बहुत पीड़ा होती है किंतु जब कोई युवती सनातन धर्म को छोड़कर अन्य धर्म अपनाती है तो उसे चौगुनी पीड़ा होती है मेरा कहना है कि यदि दूसरे धर्म के लोग उसे गलत नजर से देख ले तो उसे एक भाई के नाते मेरी ओर से तुम्हें पूरी छूट है क्योंकि सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। पांडाल में उपस्थित युवतियों को खड़े होकर संकल्प दिलाया कि मैं भगवान शिव और भारत मां को लज्जित नहीं करूंगी तथा सनातन धर्म के युवक से ब्याह रचाऊंगी । ’पंडित मिश्रा ने डीआईजी से लेकर समाज सेवकों और पुलिसकर्मियों तक को दी बधाई ’’’प्रवचन के दौरान पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने ऐसी सेवाभावी समाज सेवकों को बधाई दी जो कथा श्रवण करने वाले लोगों को खुद धूप में खड़े होकर पानी, पोहे, चाय, नाश्ता भोजन, रसना श्रीखंड, टेंट का प्रबंध कर प्रेरणास्पद सेवा को लगातार कर रहे हैं । पंडित श्री मिश्राजी बोले -अजब नजारा है, गजब नजारा है रतलाम का । कलेक्टर, डीआईजी, एसपी, सभी टीआई, सभी पुलिसकर्मी और समाजसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस आयोजन में बहुत शानदार व्यवस्था की है । ओम जय शिव ओंकारा हर शिव ओंकारा की आरती के पश्चात कथा का समापन हुआ ।