जैन तीर्थ देवझिरी में चार दिवसीय लब्धी पूर्णिमा महोत्सव का हुआ समापन श्रावक श्राविकाओं ने लिया महामांगलिक एवं प्रचन का लाभ झाबुआ । भगवान आदिनाथ का संदेश है कि ऋषि बनो या कृषि करो। आज पूरा विश्व उन्हीं के बताये मार्ग पर चलकर अपना जीवनयापन कर रहा है। जिस-जिस देश में लोगों ने अहिंसा को छोड़कर हिंसा की, आज वहां पर महामारी प्राकृतिक आपदा जैसे संकट आ रहे हैं। जैन धर्म के सिद्धांत प्रारंभ से ही अहिंसा के सिद्धांत रहे हैं। सभी को अहिंसा का पालन करते हुए अपने जीवन को जीना है और पूरे विश्व को अहिंसा का संदेश देना है। उक्त सार गर्भित प्रवचन करते हुए पूज्य आचार्य श्री सुयशसूरिश्वर जी मसा ने पवित्र तीर्थ देवझिरी में 13 मई से 16 मई तक लब्धी पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा निमित्त आयोजित चार दिवसीय श्री माणीभद्र वीर हवन पूजन महोत्सव के अन्तिम दिन वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कही । आचार्य श्री ने आगे कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है। महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया। यद्यपि उनकी धर्मयात्राओं का ठीक वर्णन कहीं नहीं मिलता तो भी उपलब्ध वर्णनों से यही विदित होता है कि उनका प्रभाव विशेष रूप से क्षत्रियों और व्यवसायी वर्ग पर पड़ा, जिनमें शूद्र भी बहुत बड़ी संख्या में सम्मिलित थे। महावीर अहिंसा के दृढ़ उपासक थे, इसलिए किसी भी दिशा में विरोधी को क्षति पहुंचाने की वे कल्पना भी नहीं करते थे। वे किसी के प्रति कठोर वचन भी नहीं बोलते थे और जो उनका विरोध करता, उसको भी नम्रता और मधुरता से ही समझाते थे। इससे परिचय हो जाने के बाद लोग उनकी महत्ता समझ जाते थे और उनके आंतरिक सद्भावना के प्रभाव से उनके भक्त बन जाते थे।
श्री आदिनाथ माणीभद्र पारमार्थिक ट्रस्ट देवझिरी द्वारा आयोजित इस आध्यात्मिक आयोजन के अन्तिम दिन धुमधाम से श्रद्धा एवं भक्ति के साथ लब्धी पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा पर प्रतिवर्षानुसार आयोजन किया गया । लब्धी वैशाख पूर्णिया के अवसर पर मुम्बई से पधारे महेन्द्रभाई पोपट भाई जैन द्वारा माणीभद्र मंडल का निर्माण कराया गया । इस अवसर परलिमडी, इन्दौर, धार दोहद, गोधरा, रानापुर, पारा, राजगढ,संजेली, पर्वतपुरबगोत, कानपुर आदि श्री संघो के प्रतिनिधि उपस्थित रहें । इस पुनित दिन प्रातः 6 बजे से भक्तामर पाठ, गुरू गुण इक्कीसा, का पाठ किया गया ।प्रातः 6-30 बजे भगवानजी का अभिषेक किया गया व भगवान को आभूषण अर्पण किये गये, तत्पश्चात प्रातः 8 बजे स्पात्र पूजन पढाई गई । जिसका लाभ मधुकर शाह परिवार माहवा द्वारा लिया गया । मंदिर जी में श्री हेमेन्द्र सूरि मंडल द्वारा आदिनाथ पंचकल्याणक पूजन पढाई गई । एवं प्रातः 10 बजे से विधिकारक आनन्दजी जैन मंदसौर द्वारा माणीभद्र हवन पूजन प्रारंभ किया गया । पूज्यश्री सुयशसूरश्वरजी मसा द्वारा इस अवसर पर बडी संख्या में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को जिनवाणी प्रवचन एवं मांगलिक प्रदान की गई । तथा भगवान महावीर एवं प्रथम तीर्थकंर आदिनाथ प्रभू के बारे में विस्तार से बताया । इस असर पर ललीत जी सकलेचा परिवार रानापुर ने आजीवन मंदिरजी मे णुप केशर व चन्दन का लाभ लिया । लिमडी निवासी प्रवीण भाई जेन ने दीपक व आरती व घी का लाभ लिया । कार्यक्रम के समापन पर ट्रस्ट मंडल नेसभी आगन्तुकों का आभार ज्ञापित किया ।
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