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झाबुआ

जिले मे खुलेआम चल रही है मौत की अवैध दुकानें……….और गांधीछाप के सामने नतमस्तक हैं सीएचएमओ ……..

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झाबुआ – जिले भर में अवैध चिकित्सकों का ऐसा मकडजाल फैला हुआ है और यह अवैध चिकित्सक आए दिन जिले की भोली-भाली जनता के स्वास्थ्य से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं । जिला मुख्यालय की ही बात करें तो यहां सभी जिम्मेदार अधिकारी है यहां तक कलेक्टर साहब भी है मगर… मगर इन अवैध चिकित्सकों की मौत की दुकानों पर कोई लगाम कस नही पाता है… और इन फर्जी चिकित्सकों की मौत की दुकानों पर और कोई नही भोले भाले आदिवासी ही शिकार होते है… मगर क्या करें स्वास्थ्य विभाग इन अवैध चिकित्सको पर कारवाई करने के बजाय गांधीछापों की चाह मे इन्हें संरक्षण दे रहा है है। ऐसे में चाहे कोई मरे या जीये किसी को कोई फर्क नही पडता है।

जनचर्चा है कि जिले मे स्वास्थ्य विभाग के सीएचएमओ जयपालसिंह ठाकुर के आशीर्वाद से ही ये फर्जी चिकित्सकों की मौत की दुकानें चल रही है… और इस आशीर्वाद के लिए उन्हे गांधीछापों की सौगात मिलती है… ऐसे में कोई अनहोनी भी होती है तो ये मौत के दुकानदार स्वास्थ्य विभाग से गठजोड़ कर कागजों में हेराफेरी कर बच जाते है और आखिर में दोष सत्ता पक्ष को दिया जाता है । कि भाजपा सरकार के संरक्षण में होता है…। और कई बार इन फर्जी चिकित्सकों की गलतियों के कारण ग्रामीण जनों की जान पर भी बन आती है तब ऐसी स्थिति में यह फर्जी चिकित्सक उससे आगे रेफर कर देते हैं कई बार बहुत देर हो चुकी थी होती है और मरीज को अपनी जान गवाना पड़ती है ।
सुत्रों की माने तो जिले भर में फर्जी चिकित्सकों ने गांव गांव में अपनी मौत की दुकानें खोल रखी है जहां गरीब आदिवासियों को जमकर लुटा जाता है…. और उनकी जान से भी खिलवाड किया जा रहा है। करें भी क्यों न सीएचएमओ को ये मौत के दुकानदार हर महिने गांधीछापों की भेंट जो देते है। और रही बात यहां कागजों में हेराफेरी की तो कोई ऐसा काम न होगा जो गांधीछापों के दम पर न हो सके। साल भर में एकाध कार्रवाई भी कागजी खानापूर्ति हेतु की जाती है और मैं महीना बंदी में भी कुछ बढ़ोतरी हो सके । लेकिन स्वास्थ्य विभाग के इस लचीले रवैया के कारण और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण भी यह मौत के सौदागर दिन दुगनी रात चौगुनी की तर्ज पर विकास कर रहे हैं । जिले में हालत यह हो गए हैं कि आज गांव गांव में यह फर्जी चिकित्सक बोर्ड लगाकर बिना कोई डिग्री के ग्रामीण जनों के इलाज कर रहे हैं और इलाज के नाम पर अपनी जेबें भर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी जानकारी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है । कर्मचारियों के अटैचमेंट से लेकर इन मौत की दुकान के संचालको से दलालों के माध्यम से उगाही की जाती है । सुना तो ये भी है सीएमएचओ साहब ने मेडीकल आफिसरों के माध्यम से बिचैलियो को नियुक्त कर रखा हे जो हर महीने उगाही करते नजर आ सकते है। और तो और यह भी सुना है कि जिस कर्मचारी को जिले में जिस जगह पर अटैचमेंट चाहिए या मनचाहे स्थान पर नौकरी करना है लक्ष्मी यंत्रों की पूजा के साथ वह उपस्थित हो सकता है और भेंट के बाद आर्डर लेकर जा सकता है । सूत्रों से यह भी पता चला कि कोरोना काल में भी करीब 1 लाख मास्क की खरीदी जेम पोर्टल के माध्यम से की गई और भुगतान भी हुआ । लेकिन वह मास्क आज तक झाबुआ के स्टोर रूम तक नहीं पहुंचे हैं । इसके अलावा और भी ऐसे अन्य कई भ्रष्टाचार के किससे हैं जिसकी सूक्ष्मता से जांच की जाए तो स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े घोटाले के उजागर होने की भी संभावना है । क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर स्वास्थ विभाग द्वारा की जा रही इस लचीली कार्यप्रणाली को लेकर कोई कार्रवाई करेगा …..।या फिर इस जिले में सीएमएचओ की संरक्षण में यह मौत की दुकानें यूं ही खुलेआम चलती रहेगी……?

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