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झाबुआ

मनसा महादेव व्रत पति-पत्नी जोड़े से भी करते हैं। फिर सूत के महादेव बना पूजा अर्चना करते हैं।

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पं. पिंटू दास बैरागी के अनुसार, मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए चौथ से शिवालयों में सुबह से ही व्रतधारी व्रत संकल्प लेंगे। मनसा महादेव व्रत पति-पत्नी जोड़े से भी करते हैं। फिर सूत के महादेव बना पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद कथा सुनी जाती है। व्रतधारियों द्वारा उत्साह से व्रत के साथ भगवान शिव पार्वती पूजा-अर्चना किया जाता है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत का उद्यापन किया जाता है। उन्हाेंने बताया कि मंशा महादेव व्रत के करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। व्रत पूर्ण होने पर आटे-गुड़ के लड्डू का प्रसाद तैयार कर उसके चार भाग किए जाते हैं। इसमें एक भाग भगवान को भोग लगाया जाता है। एक भाग ब्राह्मण एक गाय को खिलाया जाता है। चौथे भाग का व्रतधारी अपने घर के सदस्यों में प्रसाद वितरित करता है।
इंद्रदेव व मां पार्वती ने भी किया था व्रत
शास्त्रों के अनुसार मंशा महादेव व्रत देवी-देवताओं के द्वारा किया गया था। जिसे मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। बताया जाता है भगवान इंद्र जब चन्द्रमा के श्राप से कुष्ठ रोग से पीडित हो गए थे तो उन्होंने यह व्रत कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। इसी तरह माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था तथा शिवजी के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने भी यह व्रत किया था। कार्तिकेय भगवान ने इस व्रत की महिमा मंशा राम ब्राह्मण नामक व्यक्ति को बताई थी। जिसके द्वारा व्रत करने से उसे अवंतिकापुरी के राजा की कन्या पत्नी रूप में प्राप्त हुई थी।इस व्रत करने के लिए बाछीखेड़ा से कही विवाहित जोड़ें ने विधिपूर्वक पूजन कर व्रत लिया

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