झाबुआ – स्वास्थ्य विभाग में मानो ऐसा लग रहा है कि अंधेर नगरी और चौपट राजा की तर्ज पर काम किया जा रहा है कई कर्मचारी अपने मूल पदस्थापना को छोड़कर अटैचमेंट के सहारे फ्री की कुर्सी तोड़ रहे हैं और उनमें से कुछ तो अपने आका के संरक्षण में भ्रष्टाचार करने में भी पीछे नहीं हट रहे है वही स्वास्थ्य विभाग कार्यालय में बैठा विजय कर्मचारियों को परेशान भी करता है व लेनदेन कर सरकारी क्वार्टर भी अलर्ट करवा देता है इसके अलावा कई अन्य कर्मचारी हैं जो अपनी मूल पदस्थापना को छोड़कर अन्यत्र जगह अटैचमेंट लेकर सरकार से फ्री की सेलेरी ले रहे हैं। जिससे जिले में स्वास्थ्य सेवाए प्रभावित हो रही हैं लेकिन सीएमएचओ साहब का ध्यान , तो मात्र बजट पर ही ध्यान रहता है।
ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार पदों पर पदस्थ अधिकारियों को ना तो मुख्यमंत्री का भय है, ना स्वास्थ्य मंत्री का लिहाज है, ना ही कार्यवाही की चिंता,ऐसा इसलिए लगता है कि शासन द्वारा जारी संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश के बावजूद अधिकारियों को ना तो खुद ही जारी किए संलग्नीकरण समाप्त किये जाने के आदेश के परिपालन की फिक्र है, ना ही अटैचमेन्ट को समाप्त करने की चिंता,तभी तो शासन के आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे सभी सरकारी विभागों में कर्मचारियों के अटैचमेंट समाप्त कर दिए हैं, मूल पद के बजाय यहां-वहां अटैच करके रखा गया है। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई कर्मचारी हैं। इनमें मैदानी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार कुछ स्वास्थ्य विभाग में कुछ कर्मचारियों ने काम से बचने के लिए, तो कुछ ने विभाग में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए अटैचमेंट करा रखा है। यह कर्मचारी मूल पदस्थापना के विपरीत अपने पसंदीदा अस्पताल या संस्थान में काम कर रहे हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग, सीएमएचओ ऑफिस और अन्य अस्पतालों में स्टाफ का टोटा बरकरार है। इससे न केवल मैदानी स्तर पर काम प्रभावित हो रहा है। बल्कि इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो मनीष को लेकर भी सीएमएचओ साहब शासन के नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे है! सूत्र तो ये भी बता रहे है की वाहन अटेज का जो मामला है उसमें मनीष की ही भूमिका है ओर वो ही वाहन ठेकेदार को लेकर आया है। इसके अलावा भी कई अन्य सप्लायर को मनीष ने इस विभाग में सामग्री सप्लाई के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से एंट्री दी हैं । तथा मनीष इन सभी अपने चहेते सप्लायर से अलग से कमीशन भी मांगता है इसके अलावा अन्य सप्लायर जो मनीष को कमीशन अलग से नहीं देते हैं ।उन सभी सप्लायर का भुगतान मनीष नहीं करता है तथा बजट नहीं होने का बहाना बताकर विभागीय चक्कर लगवाता है ।तथा आगामी खरीदी में भी उन सप्लायर को किस तरह परेशान किया जाना है यह सारी प्रक्रिया मनीष के द्वारा ही संपादित की जाती है। वहीं विभागीय सूत्र बताते है.विजय अपने मूल काम को छोड़कर विभागीय को कर्मचारी को कैसे परेशान करना तथा लक्ष्मी यंत्रों के दम पर कैसे सरकारी क्वार्टर अलर्ट करना, यह सारी प्रक्रिया विजय के द्वारा संपादित की जाती है । तथा जो भी कर्मचारी इनके हिसाब से नहीं चलता है उन्हें जिले मे इधर से उधर करवाना यह इनकी कार्य प्रणाली का हिस्सा है इन सभी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीएमएचओ साहब का संरक्षण भी प्राप्त होता होगा । जिले में स्वास्थ्य सेवाएं धीरे धीरे बिगड़ती जा रही है इस और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान ही नहीं है और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अपने मूल कार्य में कम और अन्य कार्य में अधिक रूचि रखते हैं। क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर अटैचमेंट के नाम पर कुर्सी तोड़ रहे कर्मचारियों को उनकी मूल पदस्थापना पर भेजने के लिए कोई कारवाई करेगा या कोई दिशानिर्देश जारी करेगा या फिर यह कर्मचारियों यू ही मनमानी करते रहेंगे और जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करते रहेंगे…?
इनका अटैचमेन तोड़ रहे
विजय गणावा रंभापुर से झाबुआ अभिषेक तोमर मेघनगर से झाबुआ गोविंद राणावत झकनावद से कल्याणपुरा तेजप्रकाश कहार पेटलावद से झाबुआ धनसिंह चौहान रामा से कल्याणपुरा
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