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झाबुआ

सीएमएचओ द्वारा नशे में धुत रहने निम्न श्रेणी लिपीक को दिए कई वित्तीय प्रभार……

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झाबुआ। स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही का आलम और अपनों को उपकृत करने की प्रथा ने सारे स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम ही बिगाड़ दिया हैं । यहां हर कोई अधिकारी कर्मचारी अपने हिसाब से इस विभाग को चलाने का प्रयास कर रहा है और अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए नियम कायदों को ताक में रख रहा है ताकि आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सके और हिस्सा लिया जा सके । सूत्रों के अनुसार विभागीय लापरवाही का आलम तो देखिए कि सीएमएचओ डॉ ठाकुर ने नशे में धुत रहने वाले कर्मचारी को ढेर सारे वित्तीय अधिकार सौप दिए और यह कर्मचारी भी मनमानी करने मे पीछे नही हट रहा हैं। इस विभाग में कई कर्मचारियों ने तो मनमानी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए जैसे मनीष, विजय ,.मेहुल आदि अनेक और भी कर्मचारी है जो ठेकेदारों के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग को लूटने में लगे हैं ।इस विभाग के कई कर्मचारी लूट सको तो लूट लो की तर्ज पर काम कर रहे हैं और जो राशि जनता की भलाई के लिए उपयोग की जाना है वह इनके द्वारा चहेतो तो की भलाई में लगाई जा रही है जिससे जिला प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है….। देखना यह दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन इन कर्मचारियों को लेकर क्या कार्रवाई करता है

जानकारी अनुसार स्वास्थ्य विभाग मे एक निम्न श्रेणी लिपिक पद पर कार्यरत कर्मचारी व नशे मैं धुत रहने वाले मेहूल को सीएमएचओ ठाकुर द्वारा कई वित्तीय चार्ज दिये हैं। मेहूल के बारे में चर्चा तो विभाग में सदा ही बनी रहती है । ऐसे में भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. ठाकुर ने इस लापरवाह कर्मचारी पर मेहरबानी करते हुए, ढेर सारे वित्तिय दायित्व सोपे है । जिनमें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामा कालेखापाल का प्रभार , जिला चिकित्सालय कार्यालय का सहायक लेखापाल का प्रभार, सीएमएचओ कार्यालय का केशियर का प्रभार, खाद्य एवं औषधि-प्रशासन के लेखापाल के प्रभार के अलावा जिला स्तरीय रोगी कल्याण समिति का भी सौप कर उसे एक तरह से ’’आल इन वन’’ बना दिया है ।जबकि स्वास्थ्य विभाग में कई सीनियर कर्मचारी भी है उन्हे नकारते हुए हमेशा नशे में धुत्त रहने वाले मेहूल को वित्तिय संबंधित प्रभार क्यो सौपे है? इसमें भी कही ने कहीं शंका की सुई सीएमएचओ ठाकुर पर जाती ही है । अब तो सवाल यह है कि केवल जिले के स्वास्थ्य कार्यालय की केशबुक गायब हुई है, जिन जिन स्थानों पर इन्हे प्रभार सौपा गया है, वहां इसने क्या कुछ नही किया होगा और उसने अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए धन्यवाद केशबुक गुम जाने का बहाना बनाया होगा …यह गंभीर मामला है। और इसकी उच्चस्तरीय जांच होना चाहिये । ज्ञातव्य है कि पूर्व में भी इसी कार्यालय के एक लेखापाल व एक कर्मचारी पर निलम्बन की गाज गिर चुकी है । देखना है कि भ्रष्टपुरी में रोज रोज नये कारनामों के चलते सरकार प्रशासन क्या कदम उठाता हैं । चर्चा चौराहों पर चल पड़ी है जी जिले में ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ और जनसेवक के रूप में कार्य कर रहे कलेक्टर सोमेश मिश्रा के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों का मनमाना रवैया समझ से परे है..। देखना यह दिलचस्प होगा जिले में स्वास्थ्य विभाग के कप्तान के संरक्षण मे मनीष जैसे तिकड़म बाज ,विजय जैसा उगाही करने वाला, मेहुल जैसा घपलेबाज , विवेक जैसा लूटेरा, आदि की कार्यप्रणाली को लेकर शासन प्रशासन द्वारा क्या जांच और कारवाई की जाती है यह जिले की जनता में उत्सुकता है….?

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