झाबुआ । दिया तले अंधेरा की कहावत झाबुआ जिले की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर बदस्तुर जारी है । ओर इन कार्या मे जिले के खाद्य विभाग की संदिग्ध भूमिका को नकारा नही जा सकता है । खाद्य विभाग के आला अधिकारियों के आशीर्वाद कहे या उन्हे लक्ष्मी यंत्रों की चाहत जिले में गरीब आदिवासियों एवं गरीब वर्गो के लिये शासन की ओर से आवंटित गेहू, चावल आदि खाद्यान्न बडे बडे रसूकदारों के गोदामों में जाकर कई गुना अधिक दामों में बाजारों में खपाया जा रहा है। पिछले एक पखवाडे की ही बात करे तो अवेध तरिके से गरीबों के निवालों के लिये आये अनाज की हेरा फेरी का खेल लोगों की जागरूकता के कारण प्रकाश में आया और 2 बार मेघनगर में ही एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है तथा कथित तौर पर 31 अनाज के बोरों को जप्त करके प्रकरण बनाये गये है ।
जिले भर में ग्रामीण एवं आन्तरिक अचंलों में सरकार द्वारा भेजे जाने वाले खाद्यान्न यानें सरकारी अनाज की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। कहीं आटो से तो कही बसों से तो कहीं कहीं मीनी ट्रको से इस प्रकार का खेल उचित मूल्य की दुकानों की सेल्समेन फुड ओफिसर्स की मिली भगत से कर रहे है । पीओएस मशीन के नाम पर भी काफी गडबडी दिखाई दे रही है। गरीबों के अनाज पर सतत डाका डाला जा रहा है । पता तो यह भी चला है कि जो व्यक्ति इस तरह सरकारी अनाज की काला बाजारी कर रहे है उनकी ना तो राशन की दुकान है ओर ना ही राशन बिक्री के लायसेंस हैं । बावजूद इसके गेहूं, चावल, शक्कर हितग्राहियों को देने की बजाय दूसरे के घर पहुंचाकर कमा रहे है अनुचित लाभ लेने वालों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जाने के साथ ही सभी दूर वृहद स्तर पर, जांच के आदेश दिये जाना चाहिये । शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से गरीबों के लिए आने वाले राशन की कैसे बंदरबाट की जाती है यह जिले के सभी विकासखंड की उचित मूल्य की दुकान पर चल रहा है । दुकान संचालकों ने हितग्राहियों को देने के लिए आए राशन की हेराफेरी करके उसे दूसरे को बेच डलने का क्रम अनवरत जारी है। हितग्राहियों को सामान नहीं मिलने की शिकायत विभाग को भी मिली पर जांच नही की गई। यदि निष्पक्ष जोच हो तो संचालकों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया जाना चाहिये । शासकीय उचित मूल्य की दुकानों की मौके पर जाकर जांच करने पर पीओएस मशीन को चैक किया जाना चाहिये। रिकार्ड प्रिंट अनुसार स्टाक में उपलब्ध राशन को चैक किया जाना चाहिये । स्टाक का भोतिक सत्यापन भी कई राज खोल सकता है। वास्तविक सामने आवेगी तो लाखों रूपये के राशन की हेराफेरी कीजानकारी सामने आसकती है तथा ऐसे आरोपियों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिये ।
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