Connect with us

RATLAM

खुद को न्यायालय से भी उपर मानते है हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी, न्यायालय का आदेश मानने को तैयार नहीं

Published

on

रतलाम। फर्जी रजिस्ट्रीयां कराने से लेकर कई तरह के भ्रष्टाचार को लेकर चर्चित रहे गृह निर्माण मण्डल के अधिकारी अब खुद को न्यायालय से भी उपर समझने लगे है। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी,न्यायालय का आदेश भी मानने को तैयार नहीं है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित एक आदेश को हाउसिंग बोर्ड रतलाम के अधिकारियों ने न सिर्फ मानने से साफ इंकार कर दिया,बल्कि न्यायालय के आदेश के विपरित उपभोक्ता से लिखित रुप में लाखों रु. की मांग भी कर डाली। मामले के परिवादी ने न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर दोषी अधिकारियों को जेल भेजे जाने की मांग की है।

मामला अल्कापुरी के एक भूखण्ड का है। पत्रकार तुषार कोठारी ने हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से बढाए गए भूखण्ड के दाम के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया था। जिला उपभोक्ता फोरम ने श्री कोठारी के पक्ष में आंशिक रुप से फैसला देते हुए हाउसिंग बोर्ड को आदेश दिया था,कि वे परिवादी द्वारा जमा कराई गई राशि पर परिवादी को ब्याज अदा करें साथ ही परिवादी की बकाया राशि पर भी ब्याज देने के आदेश दिए गए थे। जिला उपभोक्ता फोरम के इस आदेश से श्री कोठारी को लगभग 42 हजार रु. का लाभ हो रहा था।

जिला फोरम के इस आदेश को दोनो ही पक्षों ने राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी थी। लम्बी कानूनी लडाई के बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने दोनो ही पक्षों की अपीलें खारिज करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित मूल आदेश को यथावत रखा था।

राज्य उपभोक्ता आयोग के इस फैसले के बाद जब श्री कोठारी ने हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से सम्पर्क कर भूखण्ड की रजिस्ट्री करवाने का आग्रह किया तो हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने जिला फोरम के आदेश को नजर अंदाज करते हुए श्री कोठारी की जमा राशि पर आज दिनांक तक वर्ष 2022 तक का ब्याज जोड कर उनसे करीब पौने चार लाख रु. की मांग की। श्री कोठारी का कहना था कि जिला फोरम के आदेश के मुताबिक बकाया राशि पर मूल आदेश के समय अर्थात वर्ष 2014 तक का ही ब्याज लिया जा सकता है।

हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमानी राशि की मांग किए जाने पर श्री कोठारी ने फिर से जिला फोरम में आदेश के प्रवर्तन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। श्री कोठारी के प्रवर्तन प्रकरण में सुनवाई के पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष रमेश मावी ने हाउसिंग बोर्ड को सुस्पष्ट आदेश दिया कि हाउसिंग बोर्ड,परिवादी तुषार कोठारी से वर्ष 2014 तक की अवधि का ही ब्याज ले सकता है। हाउसिंग बोर्ड को आदेश दिया गया कि वह वर्ष 2014 तक के ब्याज राशि की गणना कर परिवादी को सूचित करें जिससे कि परिवादी राशि जमा करवा कर अपने भूखण्ड की रजिस्ट्री करवा सके।

लेकिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की हठधर्मिता देखिए कि न्यायालय के आदेश के बाद परिवादी तुषार कोठारी को फिर से एक मांग पत्र दिया गया और इस मांग पत्र में फिर से वर्ष 2022 तक के ब्याज की राशि की मांग की गई। जबकि न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ब्याज की गणना केवल 2014 तक ही की जा सकती है। परिवादी श्री कोठारी के अनुसार न्यायालय के आदेश के मुताबिक उन्हें अब केवल करीब 28 हजार रु हाउसिंग बोर्ड को अदा करना है जबकि हाउसिंग बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से उनसे 2 लाख 11 हजार रु की मांग की जा रही है।

हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियो की हठधर्मिता के विरुद्ध परिवादी श्री कोठारी ने फिर से उपभोक्ता फोरम में आवेदन प्रस्तुत किया है। अपने आवेदन में श्री कोठारी ने न्यायालय से मांग की है कि न्यायालय के आदेश की अवमानना करने वाले हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री और संपदा प्रबन्धक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 27 के प्रावधानों के तहत जेल भेजा जाए। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर की तिथी तय की है। 17 अक्टूबर को न्यायालय इस सम्बन्ध में निर्णय लेगा कि खद को न्यायालय से उपर समझने वाले हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को कैसे दण्डित किया जाए।(इ खबर टुडे से साभार)

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!