हाल ही में नगर के पॉलिटेक्निक कॉलेज हॉस्टल के छात्रों के दो गुटों में झगड़ा हो गया। कथित रूप से छात्रों के एक गुट ने दूसरे गुट को बेल्ट व पत्थरों से मारा। पीड़ित छात्र थाना कोतवाली झाबुआ एवं कलेक्टर ऑफिस झाबुआ पहुंचे जहां उनके द्वारा हॉस्टल में रहने वाले अलीराजपुर के छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने एवं सुरक्षा प्रदान करने हेतु गुहार लगाई गई।
संजय रावत है थाना प्रभारी झाबुआ
थाना कोतवाली झाबुआ में थाना प्रभारी के रूप में संजय रावत पदस्थ है। संजय रावत को अपनी उन्नत कार्यशैली के चलते नगर के बड़े एवं प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। चोरी के प्रकरण, मारपीट, गुमशुदा मोबाइल एवं अन्य जघन्य अपराधों में, अपराधियों की धर पकड़ करने एवं नगर के विभिन्न सामाजिक व धार्मिक इकाइयों के साथ समन्वय स्थापित कर आदिवासी समाज से आने वाले टी आई संजय रावत की आदर्श पुलिसिंग प्रारंभ से प्रशंसा के पात्र रही है।
सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार मारपीट की घटना वाले दिन पूरे प्रकरण में छात्रों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी संजय रावत के ऊपर थी। रावत की काबिलियत पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन छात्रों को कथित रूप से आंदोलित करने वाले संगठनों द्वारा संजय रावत पर अलग-अलग माध्यमों से लगातार दबाव बनाया जा रहा था। रावत द्वारा मामले को सफलतापूर्वक हल भी किया जा रहा था, लेकिन भड़काऊ संगठनों ने मामले को अनावश्यक रूप से तूल देने के इरादे से एवं थाना प्रभारी संजय रावत की अच्छी छवि को खराब करने के उद्देश्य से एसपी अरविंद तिवारी को फोन लगाने के लिए छात्रों को उकसाया।
अपने पुलिसकर्मियों का ख्याल रखते थे एसपी तिवारी
मात्र 4 महीने पहले आए एसपी अरविंद तिवारी द्वारा पुलिस विभाग में अपनी एक अलग पहचान बना ली गई थी, जिसका कारण था कि पुलिस वालों पर आने वाले प्रशासनिक, सामाजिक एवं शासकीय दबाव की स्थिति में एसपी तिवारी द्वारा हमेशा अपने विभाग के पुलिस कर्मियों की पूरी मदद की जाती थी।पुलिस कर्मियों को बिना किसी दबाव में काम करने का मौका दिया जाता था। दिन हो या रात कभी भी थाने से आने वाली समस्या को सही परामर्श एवं मार्गदर्शन देने के लिए एसपी तिवारी द्वारा हर थाना प्रभारी की पूरी मदद की जाती थी।
संजय रावत की मदद करना पड़ गया भारी
विभिन्न सामाजिक एवं छात्र संगठनों द्वारा झाबुआ थाने के थाना प्रभारी संजय रावत पर बनाए जा रहे अनावश्यक दबाव की स्थिति में अपने अफसर की मदद करने हेतु एसपी तिवारी द्वारा छात्रों से सीधा संवाद किया गया। जो कॉल रिकॉर्डिंग सभी ने सुनी उसमें छात्र द्वारा अपना नाम नहीं बताया गया जिससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि बात करने वाला छात्र किस समाज का था। आदिवासी समाज से आने वाले अपने पुलिस अफसर के बचाव में एसपी तिवारी द्वारा सख्त रवैये में छात्र से बात की गई एवं अनुचित शब्दावली का प्रयोग किया गया, जिसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया।
तनावपूर्ण स्थिति में अपने आदिवासी अफसर की मदद को आगे आए एसपी अरविंद तिवारी पर आज वामपंथी विचारधारा से प्रेरित संगठनों द्वारा जातिवाद एवं ब्राह्मणवाद के आरोप लगाए जा रहे हैं।
जिस अधिकारी को अपने आदिवासी अफसर की मदद करने के चलते निलंबित कर दिया गया हो,ऐसे अधिकारी पर केवल उसके ब्राह्मण होने के चलते जातिवादी के आरोप लगाना निंदनीय है।
गौरतलब है कि पॉलिटेक्निक कॉलेज के सैकड़ों छात्रों में से किसी एक भी छात्र द्वारा जातिगत आधार पर भेदभाव होने का आरोप नहीं लगाया गया। इसके बावजूद भी अपने आप को आदिवासी संगठन बताने वाले संगठन से जुड़े कुछ लोग एसपी अरविंद तिवारी की जगह पंडित अरविंद तिवारी एवं पॉलिटेक्निक के छात्र की जगह आदिवासी छात्र बोलकर दो समाजों में शत्रुता उत्पन्न कर जिले की शांति व्यवस्था को भंग कर रहे हैं। समरसता के विरुद्ध जाकर अपने राजनीतिक लाभ के लिए आदिवासी समाज को भ्रमित करने वाले संगठनों पर सख्त कानूनी कार्रवाई किए जाने की बात जिले में चर्चित है।
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