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झाबुआ

बच्चों द्वारा दिपावली मिलन समारोह के साथ वस्त्र वितरण किया गया

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बच्चों द्वारा दिपावली मिलन समारोह के साथ वस्त्र वितरण किया गया

झाबुआ:  संस्था केशव विद्यापीठ और केशव इंटरनेशनल के बच्चों के द्वारा संयुक्तरूप से प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी गोद लिए गए ग्राम बाढ़कुंँआ में दिपावली मिलन समारोह रखा गया जिसमें संस्था के बच्चों द्वारा शहरी परिवेश, ग्रामीण परिवेश और सामाजिक समरसता को ध्यान में रखकर गाँव के जरूरतमंद बच्चों को शाल, स्वेटर, कंबल, तथा ऊनी वस्त्र आदि का वितरण किया गया। बच्चों द्वारा कुछ दिन पूर्व ही अपने घर से कपड़े, खिलोने, ऊनी कपड़े, साड़ियाँ, टिफिन, बाॅटल, पटाखे, मिठाईयाँ आदि वस्तुएँ बुलवाई गई थी जिसमें बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ अपने-अपने घरों से अपनी रूची अनुसार सभी प्रकार की सामग्री एकत्रित की गई जिसे आज के दिन वितरण किया गया।

       इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवा भारती के मालवा प्रांत के मध्य क्षेत्र सेवा प्रमुख श्री गोरेलाल जी, संगठन मंत्री श्री रूपसिंह नागर की उपस्थिति में संस्था के संचालक ओमप्रकाश शर्मा, केशव इंटरनेशनल की प्राचार्या श्रीमती अंबिका टवली, केशव विद्यापीठ की प्राचार्या श्रीमती वन्दना नायर के साथ संस्था के बच्चों के साथ समस्त स्टाफ उपस्थित था।

       श्री गोरेलाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना चाहिए हम सब भारत माता की संतान हैै तथा एक परिवार की तरह हमें मिलजुल कर रहना चाहिए।

संस्था के संचालक श्री ओमप्रकाश शर्मा द्वारा राम-राम कर भीली भाषा में सम्बोधित किया गया तथा दीपावली की शुभकामनाएं प्रेषित की तथा बताया कि इस प्रकार के आयोजन संचालक के निर्देश या प्राचार्य के आदेश से नहीं होते है। इसकी शुरूआत बच्चों के द्वारा की गई और आज भी यह परम्परा स्थापना के समय से बनी हुई है तथा बच्चों में एक-दूसरे की मदद की भावना उत्पन्न करना ही संस्था का उद्देश्य है।

       केशव इंटरनेशनल की प्राचार्या श्रीमती अंबिका टवली द्वारा ग्राम की बुजुर्ग महिलाओं को शाल ओड़ाकर मिठाई वितरित की गई तथा बताया कि हमारे द्वारा प्रतिवर्ष बच्चों में परोपकार की भावना विकसित करने के लिए इस प्रकार के आयोजन करवाए जाते है।

 

केशव विद्यापीठ की प्राचार्या श्रीमती वन्दना नायर द्वारा बताया गया कि निःस्वार्थ भाव से कोई काम करना आध्यात्मिकता है ऐसा करने पर ही सच्चे सुख और आत्मसंतोष का अनुभव होता है। परिवार में प्रेम, अपनो के लिये त्याग, एक-दूसरे की मदद करना, परोपकार का महत्व समझना तथा दूसरों की खुशी के लिये सहयोग की भावना होना आवश्यक है। बच्चों में बांटने की प्रवृत्ति होगी तभी उन्हंे आत्मीय खुशी का अनुभव होगा। बच्चों में परोपकार की भावना जागृत करने व नैतिक गुणों के विकास के उद्देश्य से बच्चों द्वारा समय-समय पर हमारे द्वारा इस प्रकार के पुनित कार्य करवाए जाते है।

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