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अवैध कॉलोनियों का नियमितिकरण:166 कॉलोनाइजरों में से चार की आपत्ति, अब फाइनल सूची बनेगी

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रतलाम~~नियमों को ताक में रखकर अवैध कॉलोनियां बसाने वाले कॉलोनाइजर दावे-आपत्ति लगाने तक सामने नहीं आ रहे हैं। नगर निगम ने पुलिस में प्रकरण दर्ज कराने के पहले शहर की जिन 55 अवैध कॉलोनियां के 166 कॉलोनाइजरों की सूची प्रकाशित की थी। बुधवार को अंतिम दिन तक उनमें से सिर्फ चार की ही आपत्ति मिली है। तीन-चार दिन में अफसर इनका पक्ष जानकर निराकरण कर देंगे। सभी जरूरी दस्तावेज होने पर कॉलोनाइजरों का नाम लिस्ट से हटा दिया जाएगा।

              संशोधित सूची का फाइनल प्रकाशन करने के साथ ही निगम पुलिस को कॉलोनाइजरों की लिस्ट एफआईआर करवाने के लिए सौंप देगा। इसके तत्काल बाद अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण की प्रक्रिया चालू हो जाएगी। कोई नया अडंगा नहीं आया तो जनवरी अंत या फरवरी में सारी अवैध कॉलोनियां वैध घोषित हो जाएंगी। इससे कॉलोनियों के 18 हजार से ज्यादा रहवासियों को राहत मिलेगी। अधूरे विकास कार्य पूरे होने से मूलभूत सुविधाएं तो मिलेंगी ही, बिल्डिंग परमिशन, बैंक लोन मिलना भी शुरू हो जाएंगे।

पहले अटक चुका है मामला, इसलिए फूंक कर कदम बढ़ा रही सरकार
2015 में 17 और 2018 में 33 कॉलोनियों को विधायक चेतन्य काश्यप के प्रयासों से प्रदेश में सबसे पहले वैध घोषित करके सड़क, पानी और क्राॅस ड्रेन बनाने के लिए क्रमश: 7 और 19 करोड़ की योजना बनी थी। 4 करोड़ के काम भी हो गए थे। दूसरी बार में 19 करोड़ के टेंडर हुए, जिसमें आठ कॉलोनियों में सड़कों की खुदाई भी शुरू हो गई। इसी बीच 3 जून 2019 को न्यायालय ने नपा अधिनियम 1956 की धारा 292-ई के प्रावधान का हवाला देते हुए धारा को शून्य घोषित कर दिया था। इससे वैध कॉलोनियां फिर अवैध हो गई थीं और विकास कार्य रुक गए थे।

अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण में अड़ंगे
1. कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर होगी।
{पेचीदगी – यह सिर्फ खानापूर्ति की कार्रवाई बनकर रह जाएगी। ज्यादातर अवैध कॉलोनी 1980-90 के बीच की हैं। ऐसे में मूल कॉलोनाइजरों को ढूंढना पुलिस के लिए चुनौती भरा होगा।

2. एस्टीमेट बनाकर मूलभूत विकास
कार्य करवाना।
{पेचीदगी – कॉलोनाइजरों ने आधे-अधूरे काम करके छोड़ रखे हैं। सबका सर्वे करवाना होगा। 55 कॉलोनियां होने से यह बहुत लंबी प्रक्रिया होगी। ऐसे में विकास कार्य जल्द चालू नहीं हो पाएंगे।

3. विकास शुल्क निर्धारण करके रहवासियों से भरवाना
{पेचीदगी – 2015 से 2018 के बीच कई कॉलोनी वाले लगभग 22 लाख से ज्यादा का विकास शुल्क भर चुके हैं। नए नियम के अनुसार इनसे दोबारा शुल्क भरवाने में दिक्कत आएगी।

4. पहले के बंद कामों को आगे बढ़ाने की समस्या।
{पेचीदगी – 2018 में 33 कॉलोनियों को वैध घोषित करने के बाद विकास कार्य चल रहे थे, जो कोर्ट के फैसले के बाद बंद हो गए थे। इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा या नए काम होंगे, यह भी अभी तय नहीं है।

                अवैध कॉलोनियों के कॉलोनाइजरों को दी गई समय सीमा पूरी हो गई है। कुछ के आवेदन आए हैं। उनका निराकरण करेंगे। एफआईआर करवाकर जल्द ही कॉलोनियों को वैध घोषित कर दिया जाएगा। –हिमांशु भट्‌ट, आयुक्त नगर निगम

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