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झाबुआ

शासकीय विभागों में निविदा आमंत्रण के लिए जेम पोर्टल(हैकिंग पद्धति) या ऑनलाइन पद्धति सर्वोत्तम….?

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झाबुआ – वर्तमान में कंप्यूटर का युग चल रहा है। जिसमें किसी भी कार्य को करने के लिए Computer या Smartphone की आवश्यकता होती है। इसके बिना लगभग किसी भी कार्य को कर पाना संभव नहीं है। क्योंकि आज लगभग सभी कार्य कहीं ना कहीं कंप्यूटर से जुड़ा हुआ है। चाहे कंपनी या व्यापार चलाना हो या फिर किसी सरकारी दफ्तर में काम करना हो। आज कंप्यूटर की आवश्यकता छोटे-छोटे Shop और Restaurant में भी होता है। क्योंकि कंप्यूटर लगभग सभी कार्य में हमारी मदद कर सकता है। चाहे जोडभाग करना हो या बिल बनाना हो। कंप्यूटर सभी कार्य को बहुत तेजी से करता है। शायद इसी कारण सभी कार्य को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है। Digital India के तहत भारत में भी सभी कार्य को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है। जिसमें एक विद्यार्थी Online Exam देने से लेकर Results Check करने तक सभी कार्य को कंप्यूटर से कर सकता है। सरकारी विभागों में भी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से ही स्वीकार की जा रही है चाहे शिकायती आवेदन हो, निविदा प्रक्रिया हो , या कार्यों की जानकारी लेना हो ।

पूर्व के वर्षों में शासकीय विभागों में निर्माण कार्य हो या सामग्री खरीदी हो आदि अन्य कोई भी निविदा कार्य ऑफलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से पूर्ण किए जाते थे । लेकिन वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है और इस दौर में ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से सारे कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं जिसमें विशेष तौर पर निविदा प्रक्रिया को या सामग्री खरीदी प्रक्रिया को जेम पोर्टल के माध्यम से और ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से पूर्ण किए जा रहे हैं प्रारंभ में जब जेम पोर्टल के माध्यम से सामग्री खरीदी की प्रक्रिया पूर्ण की गई , तो प्रक्रिया पूर्ण रूप से सुरक्षित थी तथा इस प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता भी थी। लेकिन वर्तमान दौर में हैकर्स द्वारा जेम पोर्टल को हैक कर सामग्री की दरें 2 से 3 गुना अधिक दर पर Bid शो(मिनिमम रेट ) करता है । Hacking का अर्थ कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क के Data में सेंध लगाना या पहुंच प्राप्त करना होता है। और धीरे-धीरे हैकर्स द्वारा जेम पोर्टल को पूर्ण रूप से हैक कर व्यक्ति विशेष के लिए उपयोग किया जा रहा है या पार्टी विशेष के लिए उपयोग किया जा रहा है । वहीं कई शासकीय कार्यालयों में भी जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी की जा रही है जोकि ऑनलाइन पद्धति का हिस्सा है लेकिन हैकिंग पद्धति होने के कारण सप्लायर इस पद्धति का विशेष तौर पर उपयोग कर रहे हैं और शासन को लाखों/ करोडो का चूना लगा रहे हैं । वही हमारे जिले में भी कई शासकीय विभागों में जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी की जा रही है तथा इस प्रक्रिया में व्यक्ति विशेष या फर्म विशेष को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए हैकर्स द्वारा कार्य किया जा रहा है और सामग्री जिस दर पर बाजार मे उपलब्ध हो रही है उससे 2 से 3 गुना अधिक दरों पर इस पद्धति में (मिनिमम रेट शो) Bid मे शो कर पूर्ण किए जा रहे हैं । हैकर्स द्वारा इस प्रक्रिया के लिए अच्छी खासी रकम भी वसूली जाती है । वही विभाग के कुछ कर्मचारी भी इस प्रक्रिया में शामिल होकर शासन को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं विशेष तौर पर झाबुआ का स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभाग जो जेम पोर्टल को तवज्जो दे रहे हैं । सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग झाबुआ में जेम पोर्टल पर सामग्री खरीदी या Bid मिनिमम रेट शो कर आर्डर और सप्लाई के बाद 30% कमीशन की मांग की जाती है जो जांच का विषय है । कोरोना काल में तो स्वास्थय विभाग में पदस्थ बाबू सेन ने सप्लायरो के साथ मिलकर इस पद्धति के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को जमकर लूटा और आर्थिक लाभ भी कमाया। वही यदी यही निविदा प्रक्रिया ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से निविदा आमंत्रित की जाए, तो इसमें कई तरह के सप्लायर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं और शासन को उक्त सामग्री और उच्च गुणवत्ता युक्त निम्न दरों पर उपलब्ध हो सकती है और शासन को टेंडर राशि के रूप में राजस्व भी प्राप्त होता है । विगत दिनों ही झाबुआ के आदर्श महाविद्यालय में जेम पोर्टल के माध्यम से फर्नीचर खरीदी को लेकर बीड आमंत्रित की गई थी जिसमें विशेष सप्लायर के कहने पर उस बीड़ में विशेष शर्तें रखी गई थी जिसकी शिकायत भी हुई थी और बाद में प्रशासन द्वारा जांच कमेटी भी बनाई गई थी । यदि हम बात करें जेम पोर्टल और ऑनलाइन टेंडर पद्धति की तो ऑनलाइन टेंडर पद्धति में शासन को टेंडर राशि भी राजस्व के रूप में प्राप्त होती है । तथा पूर्ण रूप से सुरक्षित और पारदर्शी भी है ।वही यह पद्धति में खुले रूप में नजर आती है वही जेम पोर्टल पर खरीदी यदि व्यक्ति विशेष के लिए या फर्म विशेष के लिए है तो कुछ निश्चित घंटों के लिए बीड शो होती है । तथा हैकर्स द्वारा संबंधित फर्म के बीड मे मिनिमम रेट शो करने के लिए लगातार घंटो तक प्रयास किए जाते हैं और सफल भी होते हैं । शासन को भी चाहिए कि जैम पोर्टल पद्धति में पूर्ण रूप से पारदर्शिता रहे, ऐसे प्रयास किया जाना चाहिए तथा विशेष शर्तों का उल्लेख भी Bid में नहीं होना चाहिए । वहीं संभवतःउच्च शिक्षा विभाग में भी कुछ भोपाली सप्लायर जेम पोर्टल के माध्यम से संभवत कार्य कर रहे हैं और जिले को जमकर लूट रहे हैं । शासन प्रशासन को चाहिए कि इस ओर ध्यान देकर जेम पोर्टल के माध्यम से जो खरीदी की जा रही है उसकी जांच की जानी चाहिए, चूकी हैकर्स द्वारा मिनिमम Bid अपने अनुसार बनाई जा रही हैं जिसे शासन को नुकसान हो रहा है और सप्लायर को आर्थिक लाभ मिल रहा है । संपूर्ण प्रक्रिया को भी ऑनलाइन टेंडर पद्धति के माध्यम से ही स्वीकार की जाए, ऐसी कार्यप्रणाली बनानी चाहिए । यदि जेम पोर्टल पर हैकिंग पद्धति नहीं होती ,तो भी यह पोर्टल भी पूर्ण रूप से ऑनलाइन पद्धति की तरह सुरक्षित और पारदर्शी होता । लेकिन हैकर्स द्वारा इस पद्धति की पारदर्शिता पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दी है । शासन प्रशासन का चाहिए की ओर ध्यान देकर संपूर्ण प्रक्रिया को सुरक्षित और पारदर्शिता प्रक्रिया के माध्यम से पूर्ण की जाए, ऐसी कार्यप्रणाली बनानी चाहिए क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर कोई निर्णय या आदेश पारित करेगा या फिर यह सब यू ही चलता रहेगा और सप्लायर जिले को लूटते रहेंगे…?

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