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हाई कोर्ट के लिक्विडेटर ने निकाला बंदीकरण आदेश:तीन हजार से ज्यादा मजदूरों की 45 महीने की पगार समेत कई भुगतान बाकी

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26 साल से बंद सज्जन मिल की अब यह हालत हो गई है। इनसेट-1931 में उद्घाटन के समय ऐसी थी सज्जन मिल। - Dainik Bhaskar
                                                                                                      26 साल से बंद सज्जन मिल की अब यह हालत हो गई है। इनसेट-1931 में उद्घाटन के समय ऐसी थी सज्जन मिल।

रतलाम~~शहर का सबसे पहला उद्योग श्री सज्जन मिल्स लिमिटेड अब कभी शुरू नहीं हो पाएगी। हाई कोर्ट इंदौर के लिक्विटेडर व्योमेश शेठ ने मंगलवार को बंदीकरण आदेश जारी कर दिया है। अब मिल की बाकी बची हुई जमीन को बेचा जाएगा। इससे मिलने वाले रुपए से मजदूरों को उनके बकाया का भुगतान किया जाएगा। इसमें एसबीआई के लोन समेत तीन हजार से ज्यादा मजदूरों का 45 माह का वेतन भी बताया जा रहा है, जिसके मजदूर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। 1931 में विस्तारित स्वरूप के साथ प्रारंभ हुई सज्जन मिल 1996 से बंद पड़ी है।

26 साल में इसे चालू करने की कई कोशिश हुई, जो नाकाम रही। आखिरकार एसबीआई ने बकाया लोन की वसूली के लिए न्यायालय में प्रकरण लगाया था। इस पर हाईकोर्ट ने 26 सितंबर को लिक्विडेटर बैठा दिया था। 18 अक्टूबर को लिक्विडेटर व्योमेश ने टीम के साथ यहां पहुंचकर बंद पड़ी मिल, उसकी जमीन और बिल्डिंगों का निरीक्षण किया। उसके बाद बाकी बची लगभग 53 बीघा से ज्यादा जमीन को अधिकार में लेने के साथ ही ऑफिस सील कर दिया।

ऐसा रहा सज्जन मिल का सफर: 1929 में कुछ मशीनों के साथ इसकी नींव रखी गई थी, शुरुआती नाम बॉम्बे यूनाइटेड मिल्स था

  • 1929 में कुछ मशीनों के साथ इसकी नींव रखी गई थी, शुरुआती नाम बॉम्बे यूनाइटेड मिल्स था।
  • बाद में तत्कालीन महाराजा सज्जनसिंह ने करीब 146 बीघा जमीन दी, जिस पर विस्तार करके 1931 में 10 हजार बुनाई मशीनों के साथ सज्जन मिल्स नाम के साथ शुरू हुई।
  • मुख्य रूप से इसमें धागा, गादी पाट, पर्दा समेत अन्य कपड़ा बनता था, जो रूस सहित कई देशों तक सप्लाई होता था।
  • 1957 में इसका संचालन एसएन अग्रवाल परिवार ने अपने हाथ में लिया। 1986 में घाटे के चलते मिल्स पहली बार बंद हुई थी।
  • बाद राज्य शासन ने अधिकार में लेकर फिर से संचालन शुरू किया। बावजूद इसके एमपी स्टेट टैक्सटाइल कारपोरेशन लिमिटेड का सरकारी प्रबंधन इसे घाटे से नहीं उबार पाया और 1996 में यह पूरी तरह से बंद हो गई।

एसबीआई के पांच करोड़ के लोन का है मामला
दरअसल जब सज्जन मिल चालू थी तब कंपनी ने नई मशीनों के लिए एसबीआई से 5 करोड़ रुपए का लोन लिया था। लोन चुकता नहीं होने पर एसबीआई ने 2009 में हाईकोर्ट में प्रकरण लगाया था। इसका फैसला 18 सितंबर को आया, जिसमें कोर्ट ने रिकवरी के लिए ऑफिस लिक्विडेटर बैठा दिया है।

सज्जन मिल शुरू होने के 30 साल बाद बना था शहर का पहला औद्योगिक क्षेत्र, मिल ने विदेशों तक जमा ली थी पैठ
कपड़ा उद्योग में सज्जन मिल ने 60 के दशक तक देश ही नहीं विदेशों तक पैठ जमा ली थी। उसको आधार बनाते हुए 1960 में सरकार ने डोसीगांव के पास शहर के पहले औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की। इसके बाद महू रोड व आसपास की जमीनों पर उद्योग लगना शुरू हुए। 1970 में कंपनियों की सहायता के लिए उद्योग विभाग का ऑफिस खुला। वर्तमान ने औद्योगिक क्षेत्र में 152 छोटी-बड़ी यूनिट कार्यरत हैं। इसमें 6 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा सेजावता में इप्का फैक्ट्री कार्यरत है जो बड़े उद्योग में गिनी जाती है और 3 हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं।

कंपोजिट मिल थी, गादी पाट से लेकर जींस बनते थे
^सज्जन मिल कंपोजिट मिल थी, इसमें धागे से लेकर गादी पाट, पर्दा व अन्य कपड़ों से लेकर जींस तक बनते थे। कपड़ा विदेश तक जाता था। 1980 में सिल्वर जुबली मनाई गई थी, तब मजदूरों को टिफिन बांटे गए थे। 1982 में जापान से कलर प्रिटिंग वाला प्रोसेसर हाउस (एक प्रकार की मशीन) आई थी। इसी साल नया बॉडीकेशन करने कंपनी ने लोन लिया था, लेकिन 1986 में पूरे हिंदुस्तान में हड़ताल हो गई। सरकार ने पॉलिसी बदलकर लूम डालने की छूट दे दी। इसका असर भांपकर मालिकों ने सारे पैसे मिल से निकालकर सज्जन इंपेक्स में लगा दिए।

1986 में मिल बंद हो गई। 1989 में दिलीप सिंह भूरिया के प्रयासों से सरकार की अंडरटेकिंग में मिल फिर प्रारंभ हुई, लेकिन पगार नहीं मिलने के कारण मजदूरों ने हड़ताल कर दी थी और 1996 में मिल फिर बंद हो गई। उस समय का फरवरी 1986 से 89 तक का लगभग 3400 मजदूरों का वेतन अभी भी बाकी है। मधु पटेल, मजदूर नेता (1979 से बंद होने तक नौकरी भी की)

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