सुशासन ही किसी देश के विकास की प्रथम सीढ़ी होती है जिसके माध्यम से देश के विभिन अंगो का संचालन विवेकपूर्ण एवं सुशासित तरीके से होता है- बंटी डामोर पूर्व नगर परिषद अध्यक्षश्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म जयंती पर ढोल प्रतियोगिता का आयोजन।160 ढोल के साथ हजारों नागरिकों ने अटलजी को किया याद।अटलजी के जन्म जयंती पर झाबुआ जिले के थांदला में वृहद स्तर पर आयोजन।
थांदला (वत्सल आचार्य) भारत सरकार द्वारा देश में सुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। भारत में सुशासन दिवस का आयोजन भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री एवं महान व्यक्तित्व के धनी राजनेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर किया जाता है। भारत में जनता हेतु सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सुशासन दिवस का अत्यंत महत्व है। श्री डामोर ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है।इस अवसर पर थांदला-मेघनगर विकासखंड संयुक्त रूप से ढोल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ढोल आदिवासी समाज का आईना है ढोल से ही सेही समाज की संस्कृति जुड़ी है इस प्रतियोगिता के हजारों भाजपा कार्यकर्ता साक्षी बने प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार इक्कीस हजार व द्वितीय पुरस्कार ग्यारह हजार दिया गया वही 158 ढोल को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। कार्यक़म में वरिष्ठ नेता राजू डामोर ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में हर साल 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी केक़ करियर को भारत के इतिहास में एक सुनहरे पृष्ठ के रूप में जाना जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए गए। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर हर साल भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। यह दिन पूरी तरह से अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया जाता है। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने कई क्षेत्रों में भारत का नाम बड़ा किया। 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में हर साल 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। भारत सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि हर साल 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाए। काम के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। इस दिन अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यों को याद किया जाता है। साथ ही कई जगहों पर अनेको कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उसके माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कार्यों का परिचय दिया जाता है। कार्यक़म में पलवाड़ के लोकप्रिय नेता दिलीप कटारा ने विशाल सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। वे तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। वह 1996 में पहली बार और 1998-99 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। 13 अक्टूबर 1999 को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में संबोधित करने वाले पहले नेता थे। उन्हें हिन्दी से बहुत प्रेम था। 27 मार्च 2015 को उन्हें ‘भारत रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी एक जिंदादिल राजनेता, एक सज्जन कवि, एक परोपकारी व्यक्ति, एक सौम्य हिंदुत्व के रूप में जाने जाते थे। हिंदुत्व के रुख की ओर झुकाव के बावजूद, वाजपेयी ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया। कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार भाजपा के सांसद प्रतिनिधि दिलीप कटारा, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, पूर्व जनपद अध्यक्ष राजू डामोर ,पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेश वसुनिया, पूर्व मंडी अध्यक्ष मनु डामोर ,एवं उपस्थित कार्यकर्ता नरसिंग भाबर, रामचंद्र कटारा खवासा, कैलाश सहलोत मेघनगर ,उमेश भूरिया, केशव डामोर मेघनगर ,गेमल जी नौगांवा,ज्ञानी भाबर मंडल अध्यक्ष, युवा मोर्चा महामंत्री पिंटू ठाकुर, मंडल महामंत्री धर्मेंद्र ठाकुर ,बाबू मचार, कमलेश डामोर, रूप सिंह बारिया, रसिया पारगी, बल्लू भूरिया, मकन डामोर, कालिया भूरिया, जवान सिंह निनामा, बदिया निनामा, राजू गढ़वाल, सहकार भारती जिला महामंत्री दिलीप डामोर, दुल्ला भूरिया, युवा मोर्चा मंडल महामंत्री पप्पू खपेड , सेलिया परमार, अजा मोर्चा मंडल अध्यक्ष गोपी पजल,, गोलू रामला पूर्व सरपंच दीपा मावी, संजय मीणा, शैलेश भूरिया, विक्रम डोडियार, संतोष डामोर, ज्ञानी जेल सिंह बाबर मंडल अध्यक्ष, दिनेश पलासिया, कसना धाक, आदि कार्यकर्ता कार्यक्रम में सम्मिलित हुए
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