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RATLAM

युवाओं को आत्मबोध एवं अपने सांस्कृतिक गौरव से परिचित कराना समय की मांग – गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहप्रभारी आशिष सिंह ने कहा – 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में हुआ युवा सम्मेलन~~पावन हुई रतलाम की धरा, देव आव्हान के साथ शुरू हुआ गायत्री महायज्ञ- वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गूंजा गायत्री मंत्र

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युवाओं को आत्मबोध एवं अपने सांस्कृतिक गौरव से परिचित कराना समय की मांग – गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहप्रभारी आशिष सिंह ने कहा – 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में हुआ युवा सम्मेलन

रतलाम। आबादी की दृष्टि से भारत में सबसे ज्यादा युवा है। हम कह सकते हैं कि हमारा देश युवा भारत है। लेकिन युवा कई समस्याओं से भी घिरा हुआ है। पश्चिमी देशों की नकल चल रही है। युवाओं को हमारे गौरवशाली इतिहास की प्रेरणा लेकर आगे बढऩा चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी भी कहते थे कि बी एंड मेक यानि बनो और बनाओ, उसी आधार पर गायत्री परिवार भी युवाओं को जाग्रत करने का अभियान चला रहा है। युवाओं को आत्मबोध एवं अपने सांस्कृतिक गौरव से परिचित कराना समय की मांग है। उक्त विचार अखिल भारतीय विश्व गायत्री परिवार के तत्वाधान में राजीव गांधी सिविक सेंटर के स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास चल रहे 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के पहले दिन शाम को आयोजित युवा सम्मेलन एवं युवा प्रतिभा सम्मान में हरिद्वार से आए गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहप्रभारी आशिष सिंह ने कही। युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी विवेक चौधरी ने श्री सिंह का परिचय दिया। जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़, समाजसेवी गोविंद काकानी, अशोक सोनी ने स्वागत किया। श्री सिंह ने कहा आज हम सांस्कृतिक संक्रमण के ऐतिहासिक दौर से गुजर रहे हैं। भौतिकवाद अपनी चरम सीमा पर है। देश की तरुणाई को दिशाहीनता, दुश्चिंतन, भटकाव, दुष्प्रवृत्तियां एवं सृजनात्मकता का अभाव घुन की तरह खोखला करते जा रहे हैं। उस पर नशा, बेरोजगारी, पाश्चात्य जीवन शैली हावी होती जा रही है। देश का भविष्य युवाओं के हाथों में ही है। युवा जिधर चल पड़ेंगे, देश भी उधर ही चल पड़ेगा। युवकों का संगठन और उनकी गतिविधियों का सही नियोजन आज की प्रथम आवश्यकता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय विश्व गायत्री परिवार द्वारा युवाओं को भी अपने देश, समाज और परिवार के प्रति जाग्रत करने के लिए युवा अभियान संचालित किए जाते हैं। गायत्री परिवार द्वारा युवाओं को जाग्रत करने के लिए चार लक्ष्य कार्यक्रम तय कर चलाए जा रहे हैं। जिनमें युवा स्वस्थ्य बने तो देश सबल बनेगा, युवा शालिन बने देश श्रेष्ठ बने, युवा स्वालंबी बने तो देश संपन्न बने, युवा सेवा भावी बने तो देश सुखी बने, इन चार सूत्र के साथ युवाओं को आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है। युगऋषि पं. श्री राम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की युग वेदना ने आज तरुणाई के लिए नवयुग के निर्माण की आधारशिला रख दी है। शांतिकुंज ने युवा शक्ति को राष्ट्र शक्ति के रूप में निखारने की प्रक्रिया का एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन और अभियान प्रारंभ किया है। जिससे राष्ट्र श्रेष्ठता, संप्रभुता और संपन्नता के श्रेष्ठ शिखर पर पुन: प्रतिष्ठित हो सके। आयोजन में शनिवार की शाम को नारी जागरण एवं नारी शक्ति सम्मान कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। गायत्री धाम सेंधवा से पधारी पूजा पाटील व उज्जैन से आई उर्मीला तोमर ने पूज्य गुरुदेव द्वारा लिखी गई पुस्तक 21वीं सदी की नारी सशक्तिकरण पर जोर देकर संबोधित किया था। इस दौरान बड़ी संख्या में युवा व गायत्री परिजन मौजूद रहे। संचालन गायत्री परिवार के विकास शैवाल ने किया

पावन हुई रतलाम की धरा, देव आव्हान के साथ शुरू हुआ गायत्री महायज्ञ- वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गूंजा गायत्री मंत्र

रतलाम। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में विराट 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की शुरूआत शुक्रवार से हुई। गायत्री महायज्ञ स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शांतिकुंज हरिद्वार से आई यज्ञाचार्यों ने सबसे पहले देव पूजा के साथ पांच तत्व वायु, जल, आकाश, पृथ्वी एवं अग्नि के प्रतीकों का पूजन कर सप्त ऋषियों का आव्हान किया गया। गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए यज्ञशाला में आहूति देते हुए पूरा वातावरण धर्ममय हो गया।
युग ऋषि पंडित श्री राम शर्मा आचार्य की प्रेरणा से संगीता प्रकाश प्रभु राठौड़ द्वारा लगातार दो साल से 24, 24  हजार के गायत्री मंत्र जाप के 24 महापुश्चरण 24 महीने में अभिनव साधना की गई है। पूज्य गुरूदेव एवं मां गायत्री की असीम अनुकम्पा से संपन्न हुई साधना की महापूर्णाहुति विराट 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के साथ हो रही है। राजीव गांधी सिविक सेंटर स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बनाई गई गायत्री महायज्ञ शाला में आयोजन हो रहे हैं। यज्ञ शाला के चार कोनों में चार तत्व वेदियां बनाई गई है। मध्यम में सर्वतोभद्र मंडल तो चार कोनों में वायु तत्व, वरुण तत्व, अग्नि तत्व एवं पृथ्वी तत्व बनाए गए है। यज्ञ की शुरूआत के पहले वैदिक मंत्र, मध्यम स्वर, विलंबित गति के निर्देश के साथ मंत्रोच्चार कर देव शक्तियों का आव्हान किया गया। देव पूजा संगीता प्रकाश प्रभु राठौड़, दिनेश चौहान, जनक नागल,नवीन दुबे, दयानंद राठौड़, अजय राठौड़, हेमांग, हर्षद राठौड़, विजय सोनी, राजीव रावत, गोपाल राठौड़, अनिल पाटील ने सपत्नीक ने किया। शांतिकुंज हरिद्वार से आए यज्ञाचार्य पं. जितेंद्र मिश्रा, सहायक बसंतीलाल सोलंकी, युग गायक प्रेमनाथ ध्रुव, युग वादक श्रवण कुमार, सारथी विवेकसिंह का स्वागत गायत्री परिवार के रतलाम नगर के मुख्य ट्रस्टी पातीराम शर्मा, मुख्ययजमान जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़, अर्जुनसिंह चौहान, सुरेंद्रसिंह ठाकुर, गोपालसिंह तोमर, डॉ. आईपी त्रिवेदी, विवेक चौधरी, एमएस साहू, ऋषिराज धाकड़ आदि ने किया। देव मंच की व्यवस्था शिवपाल छप्री व रजनी छप्री ने संभाली। यज्ञ स्थल पर राठौड़ परिवार द्वारा गंगाजल व गायत्री चालिसा का वितरण किया गया। शनिवार को सिद्ध रुद्राक्ष वितरित किया जाएगा। शांतिकुंज से पधारी यज्ञाचार्यों की टोली द्वारा यज्ञ स्थल पर लगाए गए युग ऋषि पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा रचित युग साहित्य पुस्तक मेले का अवलोकन किया गया। मध्यजोन प्रभारी राजेश दवे पटेल ने रतलाम एवं मालवांचल के अन्य क्षेत्रों में लगाए जा रहे पुस्तक मेले के बारे में जानकारी दी। दोपहर 2 बजे से आयोजन स्थल पर यज्ञाचार्य पं. संतोष मिश्रा ने पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम शर्मा द्वारा रचित प्रज्ञा पुराण कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित प्रज्ञा पुराण कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। इस पुराण से हमें शिक्षा तो मिलेगी ही उन्नति का मार्ग भी खुलते है। संचालन विकास शैवाल ने किया।

माता-पिता का सुसंस्कारी होना आवश्यक
गायत्री परिवार जनमानस में सनातन संस्कार पद्धति के पुनर्जीवन के लिए निरंतर समर्पित भाव से प्रयासरत है। इसी क्रम में महायज्ञ के पहले दिन गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष पुंसवन संस्कार संपन्न कराया गया। यज्ञाचार्य पं. जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि गर्भस्थ शिशु के समुचित विकास के लिए गर्भिणी का यह संस्कार किया जाता है। शिशु को संस्कारवान बनाने के लिए सर्वप्रथम जन्मदाता माता-पिता का सुसंस्कारी होना आवश्यक है। गर्भ सुनिश्चित हो जाने के 3 माह पूरे हो जाने तक पुंसवन संस्कार किया जाता है।गर्भस्थ शिशु जन्म लेने के बाद माता-पिता, कुल परिवार तथा समाज के लिए सौभाग्य एवं गौरव बने, इस बारे में शिक्षा दी गई।  बताया गया किसी भी समय क्रोध ना करे, अच्छे से रहे, साहित्य का अध्ययन करे जिससे आपकी संतान वीर, यशस्वी, तेजस्वी होगी। 15 जनवरी तक होने वाले इस आयोजन में शिशुओं के लिए नामकरण, अन्नप्राशन, मुण्डन, विद्यारम्भ तथा यज्ञोपवित (जनेऊ) संस्कार तथा गुरु दीक्षा, जन्म दिवस, विवाह दिवस आदि संस्कार प्रतिदिन यज्ञ के समय नि:शुल्क संपन्न कराए जाएंगे।

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